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Sonipat News: सुरक्षा के नाम पर फिर हाईवे के बीच रखे गए पत्थर

संवाद न्यूज एजेंसी, सोनीपत Updated Sat, 13 Sep 2025 02:36 AM IST
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In the name of safety, stones were again placed in the middle of the highway
फोटो :24: सोनीपत में नेशनल हाईवे-44 पर बहालगढ़ के पास हाईवे के संपर्क मार्ग पर बीचोंबीच रखे पत्थ - फोटो : Samvad
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संवाद न्यूज एजेंसी
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सोनीपत। नेशनल हाईवे-44 पर सुरक्षा के नाम पर लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। उपायुक्त के आदेश पर कुछ समय पहले हटाए गए पत्थर के बैरिकेड अब फिर बीच सड़क पर रख दिए गए हैं। यह बैरिकेड तेज रफ्तार वाहनों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का कहना है कि बैरिकेड दुर्घटनाओं की वजह बन सकते हैं। अचानक सामने आने वाले यह पत्थर चालकों की जान को जोखिम में डाल सकते हैं।
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व्यस्त मार्ग पर बीच सड़क पर पत्थर रखना यातायात सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ है। इन्हें तुरंत नहीं हटाया गया तो कभी भी दुर्घटना हो सकती है। रोजाना यहां से 80 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं जिससे जोखिम और भी बढ़ गया है।

जिला सड़क सुरक्षा सुरक्षा समिति की बैठक में उपायुक्त सुशील सारवान ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सीमेंट के बैरिकेड्स हटाकर सुरक्षित विकल्प लगाए जाएं। आदेशों का पालन न होने पर उन्होंने एनएचएआई को अल्टीमेटम दिया था।
दबाव के बाद बैरिकेड्स हटाकर प्लास्टिक बैरिकेड्स लगाए गए लेकिन अब बहालगढ़ के पास दोबारा पत्थर रख दिए गए हैं।
निर्माण पर खर्च हुए 900 करोड़, फिर भी स्थिति बदहाल

कुंडली से पानीपत तक 24 किलोमीटर लंबे एनएच-44 और संपर्क मार्ग का 900 करोड़ रुपये में चौड़ीकरण किया गया था। 20 जून 2023 को लोकार्पित इस हाईवे से दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर का सीधा संपर्क है। बारिश के बाद कई स्थानों पर सड़क टूट गई गई। एनएचएआई की ओर से फिलहाल सड़क के गड्ढों को रोड़ियां डालकर भरा जा रहा है। लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हाईवे पर बार-बार पैबंद लगाना स्थायी समाधान नहीं है। टोल टैक्स के रूप में प्रतिदिन करोड़ों की आमदनी होने के बाद भी यात्री असुविधा और जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं।



वर्जन
हाईवे के संपर्क मार्ग पर पत्थर रखने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर पत्थर रखे गए हैं तो उन्हें हटवाया जाएगा, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो सके। टूटी सड़क पर पैचवर्क कराया जा रहा है।-जगभूषण शर्मा, परियोजना निदेशक, एनएचएआई।
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