बिलासपुर: रात नौ बजते ही चिट्टा माफिया को पकड़ने निकल पड़ती है महिलाओं की टोली, लघट का महिला मंडल बना मिसाल
हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में एक टोली रोज की तरह चिट्टा माफिया के खिलाफ रातभर पहरा देने के लिए निकलने को तैयार है। महिलाओं का कहना है कि अपने इलाके में किसी सूरत में चिट्टा बिकने नहीं देंगी, भले ही कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने पड़े तो लड़ लेंगे। पढ़ें पूरी खबर...
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रात करीब नौ बजे का समय। लघट महिला मंडल की पहले से निर्धारित एक टोली रोज की तरह चिट्टा माफिया के खिलाफ रातभर पहरा देने के लिए निकलने को तैयार है। गांव के पटवारघर के सामने महिलाएं इकट्ठा होती हैं। हाथों में डंडे, आंखों में निडरता और खुद बनाए इस गीत मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, चिट्टे का होगा विनाश... को गुनगुनाती हुईं निकल पड़ती हैं। उनके साथ उनके बच्चे, पति और परिवार के अन्य सदस्य भी हैं।
सात डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे रातभर चिट्टे के संभावित ठिकानों पर दबिश दी जाती है और फिर एक बीच के ठिकाने पर आग जलाकर ठीकरी पहरा दिया जाता है। ऐसा पिछले 16 दिनों से लघट महिला मंडल की प्रधान पिंकी शर्मा की अगुवाई में हो रहा है। ऐसा इसलिए, ताकि युवा पीढ़ी को चिट्टे से बचाया जा सके। बीते दिनों युवकों को पकड़ने के बाद उनसे हुई हाथापाई के चलते महिला मंडल की सदस्यों पर एफआईआर भी हो चुकी हैं, लेकिन हौसला और बुलंद हो गया है। सरकार की चिट्टे के खिलाफ मुहिम के बाद यह पहला महिला मंडल है तो आगे आया है। महिलाओं का कहना है कि किसी सूरत में चिट्टा बिकने नहीं देंगी, भले ही कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने पड़े तो लड़ लेंगे।
महिलाएं सबसे पहले बैरी पंचायत की सीमा तक गश्त लगाती हैं। वापस लौटकर गांव के मैदान में आग जलाकर बैठती हैं। इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत यह है कि महिलाएं अकेली नहीं हैं। रात 10 बजे के बाद उनके पति, बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य भी मौके पर पहुंच जाते हैं। कोई पहरा देता है, कोई चाय लेकर आता है, तो कोई बच्चों को संभालते हुए महिलाओं का हौसला बढ़ाता है। महिला मंडल की 22 सदस्य हैं। सभी ने पहरे के लिए दिन बांधे हैं। पहरे के दौरान हर 15 मिनट में महिलाएं या पुरुष गांव की सीमा तक जाते हैं। सुन भारत की नारी, तू मत बनना बेचारी, हार मान न लेना तू, तेरी जंग अभी है जारी... जैसे गीत गाकर वे खुद को और एक-दूसरे को इस लड़ाई के लिए तैयार करती हैं। कंचन चंदेल, रीना ने बताया कि नई सड़क ने तीन पंचायतों पंजगाईं, बरमाणा और बैरी रजादियां को लघट से जोड़ा है। रास्ता पूरा जंगल है। यहां निगरानी की ज्यादा जरूरत है।
एफआईआर होने के पर नहीं टूटा हौसला
22 दिसंबर को हालात तब बिगड़े जब गांव की सीमा में पहुंचे कुछ चिट्टे के आदी युवक आपस में मारपीट करने लगे। महिलाओं के अनुसार, ये युवक गांव के ही किसी सप्लायर से चिट्टा लेने पहुंचे थे। महिलाओं ने उन्हें रोका और पुलिस को सूचना दी। लेकिन शिकायत के बाद उलटा महिलाओं पर ही करीब सात धाराओं में केस दर्ज कर दिया गया। यह खबर गांव में मायूसी जरूर लाई, लेकिन हौसला नहीं तोड़ पाई।
महिला मंडल की प्रधान पिंकी शर्मा कहती हैं कि यह अभियान हमने मुख्यमंत्री की अपील के बाद शुरू किया। उन्होंने कहा था कि समाज आगे आए। हमें लगा कि हमारे बच्चों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। किसी और पर क्यों निर्भर रहें? एफआईआर होने पर दुख जरूर हुआ। हमारी कोशिशों का इनाम केस के रूप में मिला, इसका शिकवा सरकार से है। लेकिन हमारी लड़ाई सही है और हम इसे आखिरी दम तक लड़ेंगे।
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