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Bilaspur News: नादौन के 15 किसानों ने पराहू में लिया मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
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उत्पादक जगदीश वर्मा ने बताई बटन, ऑयस्टर व दूधिया मशरूम की बारीकियां
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति परियोजना के तहत हमीरपुर के विकास खंड नादौन के 15 प्रगतिशील किसान मंगलवार को झंडूता उपमंडल के पराहू गांव पहुंचे। यहां उन्होंने प्रसिद्ध एवं सफल मशरूम उत्पादक जगदीश वर्मा की मशरूम उत्पादन इकाई में प्रशिक्षण प्राप्त किया। जगदीश वर्मा ने किसानों को बटन, ऑयस्टर और दूधिया (मिल्की) मशरूम की उन्नत खेती तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने कंपोस्ट निर्माण, स्पॉन लगाने की विधि, आर्द्रता व तापमान प्रबंधन, फ्लशिंग प्रक्रिया, तैयार उत्पाद की मार्केटिंग तक की पूरी शृंखला को व्यावहारिक रूप से समझाया। किसानों ने विभिन्न कक्षों में चल रही उत्पादन प्रक्रिया का निरीक्षण कर अपने सवालों के समाधान भी किए। जगदीश वर्मा पिछले 10 वर्ष से व्यावसायिक स्तर पर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं और राज्य व जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं। उनकी यह इकाई अब क्षेत्र में किसानों के लिए प्रेरणास्रोत और प्रशिक्षण केंद्र का रूप ले चुकी है। प्राकृतिक कृषि पद्धति परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि मशरूम उत्पादन रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक रहित होने के कारण प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों से पूरी तरह मेल खाता है, इसलिए किसान इस तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद किसानों ने इसे बेहद लाभकारी और ज्ञानवर्धक बताया।
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संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति परियोजना के तहत हमीरपुर के विकास खंड नादौन के 15 प्रगतिशील किसान मंगलवार को झंडूता उपमंडल के पराहू गांव पहुंचे। यहां उन्होंने प्रसिद्ध एवं सफल मशरूम उत्पादक जगदीश वर्मा की मशरूम उत्पादन इकाई में प्रशिक्षण प्राप्त किया। जगदीश वर्मा ने किसानों को बटन, ऑयस्टर और दूधिया (मिल्की) मशरूम की उन्नत खेती तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने कंपोस्ट निर्माण, स्पॉन लगाने की विधि, आर्द्रता व तापमान प्रबंधन, फ्लशिंग प्रक्रिया, तैयार उत्पाद की मार्केटिंग तक की पूरी शृंखला को व्यावहारिक रूप से समझाया। किसानों ने विभिन्न कक्षों में चल रही उत्पादन प्रक्रिया का निरीक्षण कर अपने सवालों के समाधान भी किए। जगदीश वर्मा पिछले 10 वर्ष से व्यावसायिक स्तर पर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं और राज्य व जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं। उनकी यह इकाई अब क्षेत्र में किसानों के लिए प्रेरणास्रोत और प्रशिक्षण केंद्र का रूप ले चुकी है। प्राकृतिक कृषि पद्धति परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि मशरूम उत्पादन रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक रहित होने के कारण प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों से पूरी तरह मेल खाता है, इसलिए किसान इस तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद किसानों ने इसे बेहद लाभकारी और ज्ञानवर्धक बताया।