Himachal Disaster: आपदा में अपने खोए... आशियाना भी छिना, सैकड़ों घरों में न दीप जलेंगे, न बंटेगी मिठाई
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के सैकड़ों परिवारों के लिए दिवाली का त्योहार सिर्फ एक तारीख बनकर रह गया है। बारिश और भूस्खलन से उजड़े ये परिवार तिरपाल तले रातें काट रहे हैं। ऐसे में आपदा प्रभावित हजारों लोगों की दिवाली इस बार फीकी ही रहेगी। घरों में न दीप जलेंगे, न बंटेगी मिठाई। जानें विस्तार से...

विस्तार
हर साल की तरह इस बार भी दीपावली आएगी, दीये जलेंगे, मिठाइयां बनेंगी, घर रोशन होंगे। लेकिन कुल्लू के सैकड़ों परिवारों के लिए यह त्योहार सिर्फ एक तारीख बनकर रह गया है। इस बार न उनके घर हैं, न रौनक, और न ही वह उत्साह, जो त्योहारों में होता है। बारिश और भूस्खलन से उजड़े ये परिवार तिरपाल तले रातें काट रहे हैं। उनके लिए यह दीपावली उम्मीद की नहीं, बल्कि दर्द में बीतेगी। आपदा से उजड़े सैकड़ों परिवार तंबुओं और किराये के कमरों में दीपावली मनाएंगे।

दीपों का त्योहार मनाने वाले जिले के चार सौ से अधिक परिवार इस बार बेघर हैं। इनमें कुछ लोग तंबुओं में रह रहे हैं तो कुछ लोगों ने पड़ोसियों और रिश्तेदार के घरों में शरण ली है। आपदा प्रभावित खेमराज, राजवीर, डोले राम, ठाकर दास, लाल चंद और दौलत राम ने कहा कि हर बार वह घर को रोशन कर दीपावली का त्योहार परिवार के साथ हंसी-खुशी मनाते थे। इस बार न घर बचा है और न ही त्योहार मनाने की खुशियां गैं। रोशनी के इस त्योहार में परिवार के पास पहाड़ जैसे दुख के सिवाय कुछ नहीं बचा है। डेढ़ सौ से ज्यादा परिवार रिश्तेदारों के घरों में शरण लेकर रह रहे हैं।
जीवा के प्रवीण शर्मा ने कहा कि आपदा हमारे परिवार की सारी खुशियां छीन ले गई है। अबकी बार दीपावली की रौनक भी फीकी पड़ गई है। सब कुछ खत्म होने के बाद दीपावली मनाने को लेकर अब कोई उत्साह नहीं है। सैंज के गुमत राम कहते हैं, आपदा के जख्म अभी भरे नहीं हैं। आशियाना था, वह पूरी तरह तबाह हो गया है। रहने के लिए घर नहीं बचा है। प्रभावितों को तिरपाल के तंबू में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। दीपावली की रात जख्मों को और कुरेदेगी। प्रभावित यज्ञदेव ने कहा िक आपदा को ढाई महीने बीत चुके हैं। लोगों को मिले गहरे जख्म अभी कम नहीं हुए हैं। पिछली बार लोगों ने जिन घरों में दीपावली मनाई थी, उन्हें आपदा ने तहस-नहस कर दिया है।
आपदा के जख्म हरे, सराज में दिवाली पर भी सन्नाटा
इस बार मानसून में आई आपदा ने सराज घाटी की दीपावली की खुशियां छीन ली हैं। जहां हर वर्ष धनतेरस और दीपावली पर बाजारों में रौनक दिखती थी, वहीं इस बार बगस्याड़, थुनाग और जंजैहली जैसे प्रमुख बाजार सूने नजर आ रहे हैं। बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित लोगों के चेहरों पर उदासी साफ झलक रही है। थुनाग बाजार जो सराज का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है, आपदा में बुरी तरह प्रभावित हुआ है। दुकानदार अभी तक अपनी दुकानें ठीक से दोबारा नहीं सजा पाए हैं। कई दुकानें तो अब भी मलबे के ढेर में तब्दील हैं।
दीपावली से पहले जिस बाजार में खरीदारों की भीड़ रहती थी, वहां इस बार वीरानी छाई हुई है। स्थानीय निवासी तेज सिंह, सतीश कुमार, नारायण, पीतांबर और रितिक ठाकुर बताते हैं कि इस बार दीपावली मनाने का कोई उत्साह नहीं है। जब घर ही उजड़ गए हैं तो रोशनी कैसे करें। उनका कहना है कि बहुत से लोग अब भी आपदा आश्रय स्थलों में रह रहे हैं और अपने गांव नहीं लौट पाए हैं। इस बार सराज के कई गांवों में न तो दीप जलेंगे न मिठाइयां बंटेंगी। लोग रिश्तेदारों के घर या अस्थायी शिविरों में रहकर जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में हैं। प्रशासन राहत पहुंचाने में जुटा है, लेकिन पर्व की भावना लौटने में समय लगेगा। सराज की इस दीपावली में रंग, मिठास और रोशनी की जगह एक गहरी चुप्पी है। लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में जीवन दोबारा पटरी पर लौटेगा लेकिन इस साल की दिवाली याद बन कर रह जाएगी। एक ऐसी दिवाली जो आपदा की छाया में फीकी पड़ गई।
70 परिवारों के पास नहीं बचे घर
उपमंडल निरमंड में बरसात के दौरान करीब 70 परिवार आपदा में अपने घर गंवा चुके हैं। इनमें से 37 परिवार अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के पास रह रहे हैं। 10 परिवार अपने दूसरे घरों में और 12 परिवार किराये के कमरों में रह रहे हैं। एक परिवार अस्थायी टेंट, छह परिवार पंचायत भवन में, दो परिवार स्कूल भवन में, एक परिवार महिला मंडल भवन में और एक सरकारी भवन में जीवन यापन कर रहा है। ये सभी परिवार दिवाली अपने घरों में नहीं मना पाएंगे।
आपदा प्रभावित लोगों की दिवाली फीकी
हिमाचल में इस मानसून सीजन में भारी बारिश, आपदा से 4881 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। प्रदेश में 454 लोगों की जान चली गई, जबकि 674 पक्के, 1062 कच्चे मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। 50 लोग अभी भी लापता हैं। 2,376 पक्के और 5,118 कच्चे मकानों को नुकसान हुआ है। 496 दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके अलावा 7,399 गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। ऐसे में आपदा प्रभावित हजारों लोगों की दिवाली इस बार फीकी ही रहेगी। घरों में न दीप जलेंगे, न बंटेगी मिठाई।