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हिमाचल प्रदेश: स्कूटर आपको ही नहीं, आप भी स्कूटर को ले जा सकेंगे उठाकर; कीमत महज 35 हजार रुपये; जानें

देवेंद्र गुप्ता, सुंदरनगर (मंडी)। Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 03 Dec 2025 05:00 AM IST
सार

हिमाचल प्रदेश में जेएनजीईसी कॉलेज सुंदरनगर के मेकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रशिक्षुओं ने एक ऐसा स्कूटर तैयार किया है जो आपको भी उठा ले जाएगा, साथ में ही आप भी उसको उठाकर आसानी से जा सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर...

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Himachal Not only will you get the scooter you too can carry it the price is just 35000 rupees
जेएनजीईसी कॉलेज सुंदरनगर के मैकेनिकल प्रशिक्षु इंजीनियरों द्वारा बनाया गया इलेक्ट्रिक स्कूटर। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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बढ़ती ई-मोबिलिटी और महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच जेएनजीईसी कॉलेज सुंदरनगर के मेकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रशिक्षुओं ने किफायती स्कूटर तैयार किया है। इसकी लागत मात्र 35 हजार रुपये आई है। यह एक सीटर स्कूटर आपका बोझ तो उठाएगा ही, साथ ही हल्का और टिकाऊ होने के कारण आप भी इसे उठाकर कहीं भी ले जा सकते हैं। इसी श्रेणी के स्कूटर की बाजार में कीमत 60 हजार से 2 लाख रुपये तक होती है।

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छात्रों का यह नवाचार कम बजट में टिकाऊ परिवहन समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह स्कूटर 35 से 45 किलोग्राम वजन का है और 120 से 150 किलो तक भार उठा सकता है। लिथियम आयन बैटरी आधारित यह मॉडल एक बार चार्ज होने पर 40 से 60 किलोमीटर तक दूरी तय कर सकता है। इसकी अधिकतम गति 25 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई है। निर्माण के दौरान प्रशिक्षुओं ने हल्के ढांचे, ऊर्जा दक्षता और सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दी है, जिससे यह स्कूटर दैनिक उपयोग के लिए व्यावहारिक विकल्प बनता है।
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यह प्रोजेक्ट प्रशिक्षु जागीर सिंह, अंकुश कुमार, विशाल उपाध्याय, तुल्या जमवाल और चंदन शर्मा ने मिलकर तैयार किया। पूरी टीम को मेकेनिकल विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. रितेश कौंडल का मार्गदर्शन मिला। डॉ. कौंडल ने कहा कि छात्रों ने सीमित संसाधनों के बावजूद उत्कृष्ट तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया है।

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के इस दौर में छात्रों की ओर से विकसित यह स्कूटर नई पीढ़ी की तकनीकी क्षमता और नवाचार को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता है। संस्थान के इस प्रोटोटाइप को सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। टीम आगे इसके प्रदर्शन परीक्षण, सुधार तथा संभावित व्यावसायिक उपयोग के अवसर तलाश रही है। -राजीव खंडूजा, निदेशक एवं प्राचार्य, जेएनजीईसी कॉलेज सुंदरनगर

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