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हिमाचल की आर्थिकी का सशक्त आधार है सहकारिता : अग्निहोत्री
संवाद न्यूज एजेंसी, कांगड़ा
Updated Sun, 21 Dec 2025 08:27 AM IST
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कृषि विवि पालमपुर में सहकारिता समारोह के समापन कार्यक्रम का शुभारंभ करते मुकेश अग्निहोत्री और अ
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पालमपुर (कांगड़ा)। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में सहकारिता आंदोलन एक मजबूत स्तंभ की तरह है। हिमाचल न केवल इस आंदोलन का जन्मदाता है, बल्कि प्रदेश ने पूरे देश को इस क्षेत्र में नई दिशा दिखाई है। वह शनिवार को कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के समापन समारोह में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
इस अवसर पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया और एक संक्षिप्त वीडियो के माध्यम से इसे औपचारिक रूप से लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारिता का लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक साम्राज्य है, जिससे 20 लाख लोग जुड़े हैं। वर्तमान में राज्य में 5730 सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जो ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं।
अग्निहोत्री ने कहा कि सहकारिता की मशाल ऊना से मियां हीरा सिंह ने जलाई थी, जिसके परिणामस्वरूप 1906 में देश की पहली पंजीकृत सहकारी समिति ऊना में बनी। उन्होंने हिमकैप्स जैसे संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि सहकारिता से निकले संस्थान आज नर्सिंग और लॉ कॉलेज चला रहे हैं, जहां से निकले युवा जज, वकील और नर्स बनकर देश सेवा कर रहे हैं।
कार्यक्रम से पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सहकार प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों को सराहा। इस मौके पर विधायक आशीष बुटेल विशेष, कृषि विवि के कुलपति डॉ. अशोक पांडा, हिमफेड अध्यक्ष महेश्वर चौहान, पालमपुर के महापौर गोपाल नाग, वूलफेड अध्यक्ष मनोज कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
2026 तक प्रदेश की सभी समितियां होंगी ऑनलाइन
तकनीकी सुधारों पर चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों में पारदर्शिता लाने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि अब तक 1125 समितियां ऑनलाइन (गो लाइव) हो चुकी हैं और मार्च 2026 तक प्रदेश की सभी समितियों का पूर्ण डिजिटलीकरण कर दिया जाएगा। इसके लिए ई-पेक्स और जीआईएस आधारित निगरानी प्रणाली जैसे आधुनिक तंत्र अपनाए जा रहे हैं।
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इस अवसर पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया और एक संक्षिप्त वीडियो के माध्यम से इसे औपचारिक रूप से लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारिता का लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक साम्राज्य है, जिससे 20 लाख लोग जुड़े हैं। वर्तमान में राज्य में 5730 सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जो ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं।
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अग्निहोत्री ने कहा कि सहकारिता की मशाल ऊना से मियां हीरा सिंह ने जलाई थी, जिसके परिणामस्वरूप 1906 में देश की पहली पंजीकृत सहकारी समिति ऊना में बनी। उन्होंने हिमकैप्स जैसे संस्थानों का उदाहरण देते हुए कहा कि सहकारिता से निकले संस्थान आज नर्सिंग और लॉ कॉलेज चला रहे हैं, जहां से निकले युवा जज, वकील और नर्स बनकर देश सेवा कर रहे हैं।
कार्यक्रम से पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सहकार प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों को सराहा। इस मौके पर विधायक आशीष बुटेल विशेष, कृषि विवि के कुलपति डॉ. अशोक पांडा, हिमफेड अध्यक्ष महेश्वर चौहान, पालमपुर के महापौर गोपाल नाग, वूलफेड अध्यक्ष मनोज कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
2026 तक प्रदेश की सभी समितियां होंगी ऑनलाइन
तकनीकी सुधारों पर चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों में पारदर्शिता लाने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि अब तक 1125 समितियां ऑनलाइन (गो लाइव) हो चुकी हैं और मार्च 2026 तक प्रदेश की सभी समितियों का पूर्ण डिजिटलीकरण कर दिया जाएगा। इसके लिए ई-पेक्स और जीआईएस आधारित निगरानी प्रणाली जैसे आधुनिक तंत्र अपनाए जा रहे हैं।