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Kullu News: ... दरारों में दबी जिंदगी भर की कमाई
संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Updated Sun, 14 Sep 2025 10:52 PM IST
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रहने लायक नहीं बचा जीवनभर की पंजी लगाकर बनाया सपनों का घर
पिगरंग गांव के ओम प्रकाश बोले- पुराने घर को भी बढ़ा खतरा
गौरीशंकर
कुल्लू। जिस घर की नींव में मेहनत थी, छत में उम्मीदें और दीवारों में सपने, वही अब दरारों में बदल चुका है। गड़सा घाटी के पिगरंग गांव के ओम प्रकाश ने वर्षों की कमाई और परिश्रम से एक-एक ईंट जोड़ी थी पर अब उस मकान में न रोशनी है, न राहत।
बरसात ने न सिर्फ उनका नया घर उजाड़ा, बल्कि भविष्य की बुनियाद भी हिला दी है। पुराना घर भी खतरे में है, नया घर रहने लायक नहीं।
एक साल निर्माण के बाद घर की एक मंजिल पूरी हो चुकी थी और दूसरी का काम चल रहा था। मकान में रहना शुरू नहीं किया था कि बरसात ने ओम प्रकाश के परिवार के सपनों का घर रहने लायक नहीं छोड़ा। घर के चारों तरफ दरारें आ चुकी हैं। घर के पिलर और दीवारों में भी दरारें आ गई हैं।
ओम प्रकाश ने कहा कि उन्होंने पूरी कमाई मकान बनाने में लगा दी। करीब 15 लाख खर्च करने के बाद मकान तैयार होने वाला था लेकिन जब तक इसमें रहना शुरू करते आपदा ने इसे असुरक्षित कर दिया है।
कि उनके परिवार में माता रामी देवी, पत्नी और तीन बच्चे हैं। पिता 4 साल पहले स्वर्ग सिधार चुके हैं। ऐसे में अब परिवार के पालन पोषण का जिम्मा उनके ही सिर पर है। साथ में जो पुराना मकान है, उसे भी खतरा पैदा हो गया है। अब स्थिति यह बनी हुई है नए बनाए मकान में न तो बसने लायक रहे हैं और न ही इसे उखाड़ने लायक बचे हैं। प्रशासन से गांव के कुछ लोगों को राहत के नाम पर तिरपालें मिली हैं लेकिन उन्हें तिरपाल भी नहीं मिल पाई है। ऐसे में मुआवजा मिलेगा इसकी उम्मीद नहीं है।
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नियमों में ढील मिली तो....
आपदा में नुकसान होने पर मुआवजा के लिए जो नीति है वह काफी सख्त है। जिस घर का स्टक्चर खड़ा है और रहने लायक नहीं है उसे पूर्ण क्षतिग्रस्त न मानकर मुआब्जा नहीं मिलता है। ऐसे में अगर सरकार नीति में ढील बरते तो मुआवजा मिलने की उम्मीद है अन्यथा सरकारी सहायता नहीं मिल पाएगी, अपने स्तर पर शायद ही कभी नुकसान की भरपाई हो पाएगी।

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पिगरंग गांव के ओम प्रकाश बोले- पुराने घर को भी बढ़ा खतरा
गौरीशंकर
कुल्लू। जिस घर की नींव में मेहनत थी, छत में उम्मीदें और दीवारों में सपने, वही अब दरारों में बदल चुका है। गड़सा घाटी के पिगरंग गांव के ओम प्रकाश ने वर्षों की कमाई और परिश्रम से एक-एक ईंट जोड़ी थी पर अब उस मकान में न रोशनी है, न राहत।
बरसात ने न सिर्फ उनका नया घर उजाड़ा, बल्कि भविष्य की बुनियाद भी हिला दी है। पुराना घर भी खतरे में है, नया घर रहने लायक नहीं।
एक साल निर्माण के बाद घर की एक मंजिल पूरी हो चुकी थी और दूसरी का काम चल रहा था। मकान में रहना शुरू नहीं किया था कि बरसात ने ओम प्रकाश के परिवार के सपनों का घर रहने लायक नहीं छोड़ा। घर के चारों तरफ दरारें आ चुकी हैं। घर के पिलर और दीवारों में भी दरारें आ गई हैं।
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ओम प्रकाश ने कहा कि उन्होंने पूरी कमाई मकान बनाने में लगा दी। करीब 15 लाख खर्च करने के बाद मकान तैयार होने वाला था लेकिन जब तक इसमें रहना शुरू करते आपदा ने इसे असुरक्षित कर दिया है।
कि उनके परिवार में माता रामी देवी, पत्नी और तीन बच्चे हैं। पिता 4 साल पहले स्वर्ग सिधार चुके हैं। ऐसे में अब परिवार के पालन पोषण का जिम्मा उनके ही सिर पर है। साथ में जो पुराना मकान है, उसे भी खतरा पैदा हो गया है। अब स्थिति यह बनी हुई है नए बनाए मकान में न तो बसने लायक रहे हैं और न ही इसे उखाड़ने लायक बचे हैं। प्रशासन से गांव के कुछ लोगों को राहत के नाम पर तिरपालें मिली हैं लेकिन उन्हें तिरपाल भी नहीं मिल पाई है। ऐसे में मुआवजा मिलेगा इसकी उम्मीद नहीं है।
नियमों में ढील मिली तो....
आपदा में नुकसान होने पर मुआवजा के लिए जो नीति है वह काफी सख्त है। जिस घर का स्टक्चर खड़ा है और रहने लायक नहीं है उसे पूर्ण क्षतिग्रस्त न मानकर मुआब्जा नहीं मिलता है। ऐसे में अगर सरकार नीति में ढील बरते तो मुआवजा मिलने की उम्मीद है अन्यथा सरकारी सहायता नहीं मिल पाएगी, अपने स्तर पर शायद ही कभी नुकसान की भरपाई हो पाएगी।