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Mandi Cloud Burst: खेत डूबे, घर टूटे, बुजुर्ग बोले- हम तो जीवन के अंतिम पड़ाव में, अगली पीढ़ी कैसे जिएगी

संवाद न्यूज एजेंसी, थुनाग (मंडी)। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 08 Jul 2025 05:00 AM IST
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सार

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में प्रकृति ने ऐसा ताडंव मचाया कि घर, खेत, और आजीविका सब कुछ बह गया, और बचे हैं तो सिर्फ दर्द और निराशा के आंसू। बुजुर्ग कह रहे हैं कि हम तो जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं, लेकिन हमारी अगली पीढ़ी कैसे जिएगी। पढ़ें पूरी खबर...

Mandi Cloud Burst elderly said we are in the last stage of life how will the next generation survive
थुनाग के आपदा प्रभावित क्षेत्रों को राशन ले जाते आईटीबीपी के जवान - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
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सराज क्षेत्र में थुनाग के जूड़ और रूशाड़ गांव के लोगों को आपदा ने कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं। प्रकृति के प्रकोप ने इन गांवों की जिंदगियों को तहस-नहस कर दिया। घर, खेत, और आजीविका सब कुछ बह गया, और बचे हैं तो सिर्फ दर्द और निराशा के आंसू। उनका कहना है कि आपदा सिर्फ मकानों और खेतों को नहीं बहा ले गई, बल्कि लोगों के सपनों, हिम्मत और भविष्य को भी अपने साथ ले गई। जूड़ गांव की भैरवू देवी की कहानी दिल दहला देती है। पाई-पाई जोड़कर बनाया गया उनका मकान, आपदा की भेंट चढ़ गया। भैरवू के लिए यह मकान सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और सपनों का प्रतीक था। अब सब कुछ मलबे में तब्दील है।

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आपदा ने स्थानीय निवासी नोक सिंह की जिंदगी भी उजाड़ दी। दो मंजिला मकान, जिसमें उनकी दुकान थी, पूरी तरह बह गया। कर्ज लेकर बनाया घर, जमीन, और आजीविका सब कुछ खत्म। नोक सिंह सड़क पर आ गए हैं और उनकी हिम्मत टूट चुकी है। कर्ज लिया था घर बनाने को, अब न घर बचा, न हौसला। रूशाड़ गांव के 96 वर्षीय सूरत राम की आंखों में उस रात की तबाही का मंजर अब भी ताजा है। उन्होंने बताया कि मेरे सामने की पहाड़ी उस रात बह गई। पांडवशिला तक सब कुछ तबाह हो गया। मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा जलजला देखा। गांव के 83 वर्षीय सूरत नाम की चिंता भविष्य को लेकर है। बोले-हम तो जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं, लेकिन हमारी अगली पीढ़ी कैसे जिएगी। सारे खेत बह गए, कुछ नहीं बचा है।

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थुनाग बस स्टैंड पर चाय की दुकान चलाने वाले डागी राम भी सदमे में हैं। जमीन से किसान की अर्थव्यवस्था चलती थी, लेकिन अब सब चौपट हो गया। बाजार आना भी डरावना लगता है। सब सूना और खंडहर सा है। आपदा ने न सिर्फ उनकी आजीविका छीनी, बल्कि उनके मन में डर भी भर दिया। थुनाग में कारपेंटर पूर्ण चंद के अनुसार यह आपदा सिर्फ मकानों और खेतों को नहीं बहा ले गई, बल्कि लोगों के सपनों, हिम्मत और भविष्य को भी अपने साथ ले गई। सराज के लोग अब राहत और पुनर्वास की उम्मीद में सरकार की ओर देख रहे हैं, लेकिन उनकी आंखों में अनिश्चितता और दर्द साफ दिखाई देता है।
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