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Mandi Cloudburst: आपदा के जख्म! आंसुओं के सैलाब के बीच नम आंखों से आपदा में लापता लोगों का क्रिया कर्म

संवाद न्यूज एजेंसी, थुनाग (मंडी)। Published by: अंकेश डोगरा Updated Sun, 13 Jul 2025 11:08 AM IST
सार

आपदा के 13वें दिन परिजनों ने लापता लोगों का क्रिया कर्म किया। हिंदू परंपरा में पिंडदान, श्राद्ध, हवन, पूजन, भोज और अस्थि विसर्जन दिवंगत आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं, परंतु लापता लोगों के न मिलने से परिजनों का दिल दुख से भर गया। पढ़ें पूरी खबर...

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Mandi Cloudburst Last rites of those missing in the disaster performed with moist eyes amid a deluge of tears
आपदा में पत्नी, दो बच्चों व माता-पिता को खोने वाले मुकेश की नजरें जमीन में गढ़ी रहीं। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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आपदा के 13वें दिन शनिवार को परिजनों ने नियति को स्वीकारते हुए आंसुओं के बीच लापता लोगों का क्रिया कर्म किया। सराज के देजी और बाखली खड्ड ने ऐसी तबाही मचाई कि देजी पखरैर से 11, थुनाग बाजार से 4, पांडव शीला और तलवाड़ा से 2-2, रोपा और लंबाथाच से दो लोग लापता हो गए। 

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हिंदू परंपरा में पिंडदान, श्राद्ध, हवन, पूजन, भोज और अस्थि विसर्जन दिवंगत आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं, परंतु लापता लोगों के न मिलने से परिजनों का दिल दुख से भर गया। देजी पखरैर के गोकुल चंद, डोलमा देवी, भुवनेश्वरी देवी, उर्वशी और सूर्यांश के लिए पयाला में पिंडदान और श्राद्ध हुआ। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
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बालो देवी का रकचुई में, कांता देवी व उनकी बेटियों एकता, दिवांशी, कामाक्षी का कटेड़ में क्रिया कर्म हुआ। थुनाग के स्वर्ण सिंह, मथरा, मोनिका और अरुण का घियारधार में श्राद्ध और भोज हुआ। पांडव शीला के वीरेंद्र व रोशन का रूशाड़ में, तलवाड़ा की राधा और पूर्णू देवी का तलवाड़ा में, रोपा के त्रिलोक का अपने गांव में कर्मकांड हुआ। पड़ोसी गांवों के लोग भी पहुंचे। परिजनों को अंतिम संस्कार और हरिद्वार में अस्थि विसर्जन न हो पाने का दर्द जीवनभर रहेगा। घियार  के 90 वर्षीय ज्ञान चंद ने कहा- ऐसी त्रासदी कभी नहीं देखी। 

बाड़ा की मंघरी देवी, विधि चंद, तलवाड़ा के रमेश कुमार, शिल्ही बागी के भंती देवी, तापे राम, थुनाग के बुधे राम, भनवास के सुरेंद्र और पांडव शीला से रूशाड़ के चिंतराम के शव मिल चुके हैं। 

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