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Challan Discount: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ट्रैफिक चालान छूट पर उठाए सवाल, कहा- इससे कानून का डर कम होता है
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 01 Dec 2025 06:08 PM IST
सार
तेलंगाना हाई कोर्ट ने लंबित ट्रैफिक चालानों पर दी जाने वाली सरकारी छूट योजनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की छूट न केवल कानून के डर को कमजोर करती है, बल्कि लोगों को बार-बार नियम तोड़ने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकती है।
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ट्रैफिक चालान (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : एआई फोटो
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विस्तार
तेलंगाना हाई कोर्ट ने लंबित ट्रैफिक चालानों पर दी जाने वाली सरकारी छूट योजनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की छूट न केवल कानून के डर को कमजोर करती है, बल्कि लोगों को बार-बार नियम तोड़ने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकती है। यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान की गई जिसमें एक विशेष चालान और जुर्माने के निर्धारण तथा जानकारी को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए।
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ट्रिपल राइडिंग चालान पर दायर याचिका
याचिकाकर्ता वी. राघवेन्द्र चारी, जो तर्नाका के निवासी हैं, को ट्रिपल राइडिंग के लिए 1,235 रुपये का ई-चालान जारी किया गया था। जिसमें 1,200 रुपये जुर्माना और 35 रुपये यूजर चार्ज था। उनका मुख्य तर्क यह था कि चालान में यह उल्लेख नहीं किया गया कि उन्हें किस कानून के तहत दंडित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 167 और 167-A का उल्लंघन है। जिसमें स्पष्ट रूप से हर चालान पर संबंधित कानूनी प्रावधान लिखना अनिवार्य है।
चारी ने यह भी दलील दी कि ट्रिपल राइडिंग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 128 तथा धारा 177 के तहत दंडनीय है। जिसमें 100 रुपये से 300 रुपये तक का जुर्माना तय है, ना कि 1,200 रुपये। उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में मोटर वाहन अधिनियम में बढ़ाई गई सजा तेलंगाना ने अब तक अपनाई नहीं है, इसलिए उन्हें राज्य में लागू नहीं किया जा सकता।
यह भी पढ़ें - Road Accident: कार हादसे में लोकप्रिय इंफ्लुएंसर 'बाइकर गर्ल' करेन सोफिया रामिरेज की मौत, सड़क पर इस गलती से गई जान!
याचिकाकर्ता वी. राघवेन्द्र चारी, जो तर्नाका के निवासी हैं, को ट्रिपल राइडिंग के लिए 1,235 रुपये का ई-चालान जारी किया गया था। जिसमें 1,200 रुपये जुर्माना और 35 रुपये यूजर चार्ज था। उनका मुख्य तर्क यह था कि चालान में यह उल्लेख नहीं किया गया कि उन्हें किस कानून के तहत दंडित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 167 और 167-A का उल्लंघन है। जिसमें स्पष्ट रूप से हर चालान पर संबंधित कानूनी प्रावधान लिखना अनिवार्य है।
चारी ने यह भी दलील दी कि ट्रिपल राइडिंग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 128 तथा धारा 177 के तहत दंडनीय है। जिसमें 100 रुपये से 300 रुपये तक का जुर्माना तय है, ना कि 1,200 रुपये। उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में मोटर वाहन अधिनियम में बढ़ाई गई सजा तेलंगाना ने अब तक अपनाई नहीं है, इसलिए उन्हें राज्य में लागू नहीं किया जा सकता।
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सरकार की दलीलें और अदालत की आपत्तियां
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि यह उल्लंघन मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 के तहत दर्ज किया गया था। जो खतरनाक ड्राइविंग से संबंधित है और जिसमें 1,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान ई-चालान पोर्टल पर कानूनी धारा नहीं दिखाई जाती, परंतु इसे जोड़ने के लिए तकनीकी अपग्रेड जारी है।
कोर्ट ने दो गंभीर मुद्दों की ओर इशारा किया:
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सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि यह उल्लंघन मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 के तहत दर्ज किया गया था। जो खतरनाक ड्राइविंग से संबंधित है और जिसमें 1,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान ई-चालान पोर्टल पर कानूनी धारा नहीं दिखाई जाती, परंतु इसे जोड़ने के लिए तकनीकी अपग्रेड जारी है।
कोर्ट ने दो गंभीर मुद्दों की ओर इशारा किया:
- चालान में कोई भी कानूनी धारा या नियम का उल्लेख नहीं था, जो नियमों के खिलाफ है।
- यदि धारा 184 ही लागू की गई है, तो जुर्माना 1,000 रुपये होना चाहिए, न कि 1,200 रुपये। इससे अधिक राशि वसूलने का सवाल उठता है।
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चालान डिस्काउंट योजना पर अदालत की कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने सबसे कठोर टिप्पणी सरकार की छूट प्रणाली पर की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुमार ने कहा कि चालान जारी कर बाद में उन पर छूट देना लोगों में कानूनी परिणामों का भय खत्म कर देता है। इससे हैदराबाद सहित पूरे राज्य में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को बढ़ावा मिलता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि लंबे समय से लंबित चालानों पर छूट देना इसे राजस्व संग्रहण का माध्यम बना देता है। जबकि उद्देश्य सड़क सुरक्षा लागू करना होना चाहिए।
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कोर्ट ने सबसे कठोर टिप्पणी सरकार की छूट प्रणाली पर की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुमार ने कहा कि चालान जारी कर बाद में उन पर छूट देना लोगों में कानूनी परिणामों का भय खत्म कर देता है। इससे हैदराबाद सहित पूरे राज्य में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को बढ़ावा मिलता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि लंबे समय से लंबित चालानों पर छूट देना इसे राजस्व संग्रहण का माध्यम बना देता है। जबकि उद्देश्य सड़क सुरक्षा लागू करना होना चाहिए।
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अगली सुनवाई और संभावित असर
हाई कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस और हैदराबाद ट्रैफिक पुलिस से विस्तृत हलफनामे मांगे हैं, जिनमें बताया जाए:
अदालत यह भी जानना चाहती है कि क्या पोर्टल में हाल ही में किए गए अपग्रेड के बाद ये जानकारी अब दिखाई जा रही है।
मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। इसका फैसला भविष्य में ट्रैफिक चालान कैसे जारी होंगे, जुर्मानों की रकम कैसे निर्धारित होगी, और लंबित चालानों पर छूट की नीति जारी रहेगी या नहीं- इन सभी पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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हाई कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस और हैदराबाद ट्रैफिक पुलिस से विस्तृत हलफनामे मांगे हैं, जिनमें बताया जाए:
- जुर्माना किस आधार पर तय किया जाता है
- ई-चालान सिस्टम कैसे काम करता है
- और कानूनी प्रावधान क्यों नहीं दिखाए जाते
अदालत यह भी जानना चाहती है कि क्या पोर्टल में हाल ही में किए गए अपग्रेड के बाद ये जानकारी अब दिखाई जा रही है।
मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। इसका फैसला भविष्य में ट्रैफिक चालान कैसे जारी होंगे, जुर्मानों की रकम कैसे निर्धारित होगी, और लंबित चालानों पर छूट की नीति जारी रहेगी या नहीं- इन सभी पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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