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CAFE: छोटी कारों के लिए प्रस्तावित छूट पर कई वाहन निर्माताओं की आपत्ति, सिर्फ मारुति को फायदा पहुंचने की आशंका
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 29 Nov 2025 02:38 PM IST
सार
टाटा मोटर्स, ह्यूंदै, महिंद्रा और जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर समेत कई बड़े कार निर्माता सरकार द्वारा छोटे और हल्के पेट्रोल वाहनों के लिए दिए गए प्रस्तावित छूट का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
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छोटी कारों की फ्यूल एफिशिएंसी
- फोटो : AI
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विस्तार
भारत में प्रस्तावित नई ईंधन दक्षता और उत्सर्जन नियमों ने ऑटो उद्योग के भीतर तीखी बहस छेड़ दी है। टाटा मोटर्स, ह्यूंदै, महिंद्रा और जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर समेत कई बड़े कार निर्माता सरकार द्वारा छोटे और हल्के पेट्रोल वाहनों के लिए दिए गए प्रस्तावित छूट का कड़ा विरोध कर रहे हैं। कंपनियों का कहना है कि यह छूट उद्योग के लिए असंतुलन पैदा करेगी और केवल एक ही निर्माता मारुति सुजुकी को लाभ पहुंचाएगी। जिससे देश के इलेक्ट्रिक वाहन लक्ष्यों को भी नुकसान हो सकता है।
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सरकार को लिखा पत्र
सरकार के नए ड्राफ्ट नियमों में 909 किलोग्राम या उससे कम वजन वाली, 4 मीटर से छोटी और 1200cc इंजन क्षमता वाली पेट्रोल कारों के लिए उत्सर्जन मानकों में ढील देने का प्रस्ताव है। टाटा, महिंद्रा, ह्यूंदै और जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर ने सरकार को लिखे पत्रों में कहा है कि यह छूट वजन या आकार के आधार पर उद्योग को विभाजित करती है और छोटे कार सेगमेंट को असमान रूप से लाभ देती है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव का सबसे बड़ा लाभ मारुति सुजुकी को मिलेगा, जिसकी 16 प्रतिशत बिक्री इसी कैटेगरी में आती है।
यह भी पढ़ें - EV Two-Wheelers: नवंबर में ईवी बाजार में बड़ा फेरबदल, जानें बिक्री में कौन सा इलेक्ट्रिक दोपहिया रहा किससे आगे
सरकार के नए ड्राफ्ट नियमों में 909 किलोग्राम या उससे कम वजन वाली, 4 मीटर से छोटी और 1200cc इंजन क्षमता वाली पेट्रोल कारों के लिए उत्सर्जन मानकों में ढील देने का प्रस्ताव है। टाटा, महिंद्रा, ह्यूंदै और जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर ने सरकार को लिखे पत्रों में कहा है कि यह छूट वजन या आकार के आधार पर उद्योग को विभाजित करती है और छोटे कार सेगमेंट को असमान रूप से लाभ देती है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव का सबसे बड़ा लाभ मारुति सुजुकी को मिलेगा, जिसकी 16 प्रतिशत बिक्री इसी कैटेगरी में आती है।
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ईवी लक्ष्यों पर संभावित असर और उद्योग में असंतुलन की चिंता
कंपनियों का तर्क है कि ऐसा प्रावधान भारत के ईवी ट्रांजिशन को कमजोर कर सकता है क्योंकि कड़े CO₂ लक्ष्यों से कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ने के लिए मजबूर होना चाहिए। महिंद्रा ने मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि किसी “स्पेशल कैटेगरी” या आकार/वजन आधारित छूट को हटाया जाना चाहिए। क्योंकि यह नियम सुरक्षित और स्वच्छ वाहनों की दिशा में प्रगति को धीमा कर सकता है और सभी निर्माताओं के लिए समान अवसर खत्म कर सकता है।
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कंपनियों का तर्क है कि ऐसा प्रावधान भारत के ईवी ट्रांजिशन को कमजोर कर सकता है क्योंकि कड़े CO₂ लक्ष्यों से कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ने के लिए मजबूर होना चाहिए। महिंद्रा ने मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि किसी “स्पेशल कैटेगरी” या आकार/वजन आधारित छूट को हटाया जाना चाहिए। क्योंकि यह नियम सुरक्षित और स्वच्छ वाहनों की दिशा में प्रगति को धीमा कर सकता है और सभी निर्माताओं के लिए समान अवसर खत्म कर सकता है।
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ह्यूंदै की चेतावनी
ह्यूंदै ने चेतावनी दी कि ऐसी छूट अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की नीतियों को पीछे की ओर ले जाने वाली मानी जा सकती है, जबकि वैश्विक उद्योग तेजी से जीरो-एमिशन मानकों की ओर बढ़ रहा है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर ने भी कहा कि 909 किलोग्राम से कम वजन वाली 95 प्रतिशत कारें केवल एक ही निर्माता से आती हैं। जिससे यह छूट एक कंपनी के लिए असामान्य लाभ जैसी दिखती है।
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ह्यूंदै ने चेतावनी दी कि ऐसी छूट अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की नीतियों को पीछे की ओर ले जाने वाली मानी जा सकती है, जबकि वैश्विक उद्योग तेजी से जीरो-एमिशन मानकों की ओर बढ़ रहा है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर ने भी कहा कि 909 किलोग्राम से कम वजन वाली 95 प्रतिशत कारें केवल एक ही निर्माता से आती हैं। जिससे यह छूट एक कंपनी के लिए असामान्य लाभ जैसी दिखती है।
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मारुति सुजुकी का बचाव
विवाद के बीच मारुति सुजुकी ने तर्क दिया कि छोटे वाहन अपनी संरचना के कारण कम ईंधन जलाते हैं और कम CO₂ उत्सर्जन करते हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा मिलनी चाहिए। कंपनी का कहना है कि यह वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप है। यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान और कोरिया में भी छोटे वाहनों को इसी तरह की राहत मिलती है।
हालांकि, उसने यह भी स्वीकार किया कि भारत में छोटी कारों की मांग घट रही है। क्योंकि ग्राहक अब बड़े एसयूवी मॉडलों की ओर झुक रहे हैं।
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नियमों को अंतिम रूप देने में देरी, निवेश योजनाएं प्रभावित
उद्योग में इस विभाजन के कारण नया कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) (कैफे) नियम अभी तक अंतिम रूप नहीं ले सका है। जबकि यह ऑटो कंपनियों की भविष्य की इंजन तकनीक, ईवी योजनाओं और निवेश रणनीतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कंपनियों का कहना है कि अचानक किए गए ऐसे बदलाव उद्योग स्थिरता और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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