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Una News: डेरा बाबा रुद्रानंद नारी में पंच भीष्म की धूम, हजारों भक्त नतमस्तक
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डेरे में श्रद्धालुओं ने चखा पारंपरिक खिचड़ी प्रसाद का स्वाद
संवाद न्यूज एजेंसी
नारी (ऊना)। आश्रम डेरा बाबा रुद्रानंद नारी में बुधवार को पंच भीष्म पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व वर्ष 1864 से निरंतर रूप से मनाया जा रहा है। इसका शुभारंभ कार्तिक मास की पूर्णिमा को आदि गुरु बाबा रुद्रानंद के कर कमलों से हुआ था। इसी दिन आश्रम में सदाव्रत लंगर की भी स्थापना की गई थी। तभी से यह पर्व परंपरागत रूप से धूमधाम से मनाया जा रहा है।
बुधवार को इस पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु आश्रम पहुंचे और पवित्र धूने के समक्ष शीश नवाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने सदाव्रत लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। जानकारी के अनुसार इस वर्ष कार्यक्रम का शुभारंभ 28 अक्तूबर को हुआ था। उसी दिन 351 ब्राह्मणों ने कोटि गायत्री जाप का संकल्प लिया था। पांच नवंबर 2025 को इस पर्व का विधिवत समापन हुआ। पूर्णाहुति आश्रम के महंत हेमानंद की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस अवसर पर भागवत कथा का आयोजन भी किया गया, जिसका समापन चार नवंबर को हुआ। पर्व के पहले दिन खिचड़ी का लंगर वितरित किया गया। यह परंपरा पिछले लगभग 162 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। समय के साथ चाहे व्यंजनों में विविधता आई हो, परंतु खिचड़ी का भोग आज भी अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। हजारों श्रद्धालुओं ने अखंड धूने के दर्शन किए और माथा टेका। सुग्रीवानंद महाराज को ब्रह्मलीन हुए अभी एक वर्ष पूरा नहीं हुआ है, इसलिए इस वर्ष पर्व को साधारण रूप से मनाया गया। यज्ञ में बनारस से पधारे विद्वानों ने वेद मंत्रों के साथ अगुवाई की। यज्ञ के दौरान गुरुचरण जप, द्वादशाक्षर पुरुष चरण, भागवत पुराण कथा, अन्नपूर्णा पुरुष चरण, चंडी पाठ और वैदिक मंत्र पाठ किया गया। अंत में हजारों श्रद्धालुओं ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया और प्रभु नाम जपते हुए अपने घरों को लौटे।
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नारी (ऊना)। आश्रम डेरा बाबा रुद्रानंद नारी में बुधवार को पंच भीष्म पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व वर्ष 1864 से निरंतर रूप से मनाया जा रहा है। इसका शुभारंभ कार्तिक मास की पूर्णिमा को आदि गुरु बाबा रुद्रानंद के कर कमलों से हुआ था। इसी दिन आश्रम में सदाव्रत लंगर की भी स्थापना की गई थी। तभी से यह पर्व परंपरागत रूप से धूमधाम से मनाया जा रहा है।
बुधवार को इस पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु आश्रम पहुंचे और पवित्र धूने के समक्ष शीश नवाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने सदाव्रत लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। जानकारी के अनुसार इस वर्ष कार्यक्रम का शुभारंभ 28 अक्तूबर को हुआ था। उसी दिन 351 ब्राह्मणों ने कोटि गायत्री जाप का संकल्प लिया था। पांच नवंबर 2025 को इस पर्व का विधिवत समापन हुआ। पूर्णाहुति आश्रम के महंत हेमानंद की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस अवसर पर भागवत कथा का आयोजन भी किया गया, जिसका समापन चार नवंबर को हुआ। पर्व के पहले दिन खिचड़ी का लंगर वितरित किया गया। यह परंपरा पिछले लगभग 162 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। समय के साथ चाहे व्यंजनों में विविधता आई हो, परंतु खिचड़ी का भोग आज भी अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। हजारों श्रद्धालुओं ने अखंड धूने के दर्शन किए और माथा टेका। सुग्रीवानंद महाराज को ब्रह्मलीन हुए अभी एक वर्ष पूरा नहीं हुआ है, इसलिए इस वर्ष पर्व को साधारण रूप से मनाया गया। यज्ञ में बनारस से पधारे विद्वानों ने वेद मंत्रों के साथ अगुवाई की। यज्ञ के दौरान गुरुचरण जप, द्वादशाक्षर पुरुष चरण, भागवत पुराण कथा, अन्नपूर्णा पुरुष चरण, चंडी पाठ और वैदिक मंत्र पाठ किया गया। अंत में हजारों श्रद्धालुओं ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया और प्रभु नाम जपते हुए अपने घरों को लौटे।
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