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Una News: लाल सिंगी में जमीन बेचने, खरीदने पर रोक लगाने की मांग
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सरदार रुड़का सिंह कल्याण समिति ने जिलाधीश से की मुलाकात
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। किसान योद्धा सरदार रुड़का सिंह कल्याण समिति के प्रतिनिधियों (लाल सिंगी वासी) ने शुक्रवार को उपायुक्त जिला ऊना से मुलाकात की। उन्होंने उपायुक्त जतिन लाल को आवेदन सौंपकर महाल लाल सिंगी क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख़्त, तबादला, निशानदेही तथा तकसीम पर रोक लगाने की मांग की।
समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह चौधरी ने बताया कि हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को आगामी आदेशों तक बंदोबस्त फाइनल न करने के निर्देश दिए हैं। महाल लाल सिंगी क्षेत्र में खरीदारों को उनका पूरा रकबा नियमों के अनुसार उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। याचिकाकर्ताओं के 170 कनाल भूमि के कागजात माल रिकॉर्ड में कम दर्शा दिए गए हैं, जबकि मौके पर कब्जा पूर्ण है। बलबीर सिंह ने बताया कि 13 मई 2008 को वित्त आयुक्त एवं सचिव (राजस्व) ने भू-व्यवस्था अधिकारी को आदेश दिया था कि महाल लाल सिंगी का बंदोबस्त मौके के कब्जे के आधार पर किया जाए, क्योंकि क्षेत्र का लट्ठा बुरी तरह क्षतिग्रस्त है तथा असल मुसाबी और मोमी तहसील एवं जिला कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। इसके बावजूद बंदोबस्त विभाग ने याचिकाकर्ताओं को नए राजस्व अभिलेखों में वास्तविक भूमि उपलब्ध नहीं करवाई, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया।
महाल लाल सिंगी में पिछले 54 वर्षों से न तो भूमि का सही उपयोग हो पाया है, न ही बंदोबस्त पूरा हुआ है। इसलिए हाईकोर्ट के आगामी आदेशों तक यहां जमीन की खरीद-फरोख़्त, तबादला, निशानदेही व तक्सीम पर रोक लगाई जाए, ताकि याचिकाकर्ताओं को न्याय मिल सके। उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
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संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। किसान योद्धा सरदार रुड़का सिंह कल्याण समिति के प्रतिनिधियों (लाल सिंगी वासी) ने शुक्रवार को उपायुक्त जिला ऊना से मुलाकात की। उन्होंने उपायुक्त जतिन लाल को आवेदन सौंपकर महाल लाल सिंगी क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख़्त, तबादला, निशानदेही तथा तकसीम पर रोक लगाने की मांग की।
समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह चौधरी ने बताया कि हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को आगामी आदेशों तक बंदोबस्त फाइनल न करने के निर्देश दिए हैं। महाल लाल सिंगी क्षेत्र में खरीदारों को उनका पूरा रकबा नियमों के अनुसार उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। याचिकाकर्ताओं के 170 कनाल भूमि के कागजात माल रिकॉर्ड में कम दर्शा दिए गए हैं, जबकि मौके पर कब्जा पूर्ण है। बलबीर सिंह ने बताया कि 13 मई 2008 को वित्त आयुक्त एवं सचिव (राजस्व) ने भू-व्यवस्था अधिकारी को आदेश दिया था कि महाल लाल सिंगी का बंदोबस्त मौके के कब्जे के आधार पर किया जाए, क्योंकि क्षेत्र का लट्ठा बुरी तरह क्षतिग्रस्त है तथा असल मुसाबी और मोमी तहसील एवं जिला कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। इसके बावजूद बंदोबस्त विभाग ने याचिकाकर्ताओं को नए राजस्व अभिलेखों में वास्तविक भूमि उपलब्ध नहीं करवाई, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया।
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महाल लाल सिंगी में पिछले 54 वर्षों से न तो भूमि का सही उपयोग हो पाया है, न ही बंदोबस्त पूरा हुआ है। इसलिए हाईकोर्ट के आगामी आदेशों तक यहां जमीन की खरीद-फरोख़्त, तबादला, निशानदेही व तक्सीम पर रोक लगाई जाए, ताकि याचिकाकर्ताओं को न्याय मिल सके। उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।