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सरकारी स्कूलों की तस्वीर : कहीं अधूरे कमरे, कहीं बिना दरवाजे-खिड़कियों के भवन

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Thu, 25 Dec 2025 01:00 AM IST
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The picture of government schools: incomplete rooms, buildings without doors and windows
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सरकारी स्कूलों की पीड़ा, किताबें तो हैं, पर छत और दरवाज़े अधूरे
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विद्यार्थी भुगत रहे असुविधाओं की मार
आधे अधूरे भवनों के सहारे पढ़ाई के लिए मजबूर बच्चे
अभिभावकों ने कहा, घट रहा है सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर, निजी में पढ़ाने को मजबूर

संवाद न्यूज एजेंसी

ऊना। जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक, उच्च एवं प्राथमिक विद्यालयों में कई विकास कार्य वर्षों से बजट के अभाव में अधूरे पड़े हैं। इसके चलते विद्यार्थियों को असुविधाओं के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था निजी स्कूलों को टक्कर देने में नाकाम साबित हो रही है, जिसके कारण सक्षम अभिभावक अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में दाखिल कराने को मजबूर हैं। ऐसे में सरकारी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार ऊना जिले के अग्रणी विद्यालयों में शामिल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रायंसरी में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान आठ कमरों को मंजूरी मिली थी। इनमें से चार कमरों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि शेष चार कमरे बजट न मिलने के कारण अब तक अधूरे हैं।
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इसी प्रकार ख्वाजा प्राथमिक विद्यालय बसाल में पुराने कमरों को गिराकर दो नए कमरे तो बना दिए गए, लेकिन पिछले पांच वर्षों से उनमें प्लास्टर का कार्य नहीं हो पाया है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पंडोगा में करोड़ों रुपये की लागत से छह नए कमरे तैयार किए गए हैं, लेकिन इनमें न तो खिड़कियां लगी हैं और न ही दरवाजे। इसके अलावा बिजली की वायरिंग और कनेक्शन भी अब तक नहीं हो पाया है।
बढ़ेड़ा राजपूतां प्राथमिक विद्यालय में कमरों की कमी के चलते विद्यार्थियों को आज भी असुविधाओं में पढ़ाई करनी पड़ रही है। इसी परिसर में स्थित वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का विज्ञान भवन भी कई वर्षों से अधूरा पड़ा है। यहां आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना प्रस्तावित है, लेकिन लंबे समय बाद भी कार्य पूरा नहीं हो सका। वहीं हरिजन बस्ती बदोली के प्राथमिक विद्यालय की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है।
अभिभावकों रमेश कुमार, नीलम देवी, रविंद्र कुमार, अजय कुमार, सतपाल सैनी, राम प्रकाश, सुरेंद्र कुमार, सुनीता देवी और सपना सहित अन्य ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में अव्यवस्थाओं के कारण उन्हें निजी स्कूलों में भारी फीस देकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में खिड़कियां और दरवाजे तक नहीं हैं, वहां बच्चे सर्दी और गर्मी में कैसे पढ़ाई कर पाएंगे। बच्चों की एकाग्रता और बेहतर शिक्षा के लिए अनुकूल वातावरण बेहद जरूरी है।
इस संबंध में उपनिदेशक जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग सोमलाल धीमान ने बताया कि जिन स्कूलों में निर्माण कार्य रुके हुए हैं, उनमें से कुछ के लिए जल्द ही बजट उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि अन्य स्कूलों की स्थिति से भी उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
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