8thCPC: 49 लाख केंद्रीय कर्मियों और 65 लाख पेंशनरों को झटका, मूल वेतन में DA/DR का विलय नहीं
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन केंद्र सरकार के 49 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों को झटका लगा है। केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों के हितों को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया ने लोकसभा में पूछा था कि क्या सरकार उन कर्मचारियों/पेंशनर्स को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए मौजूदा डीए/डीआर को उनके मूल वेतन में विलय करने का विचार रखती है, जो पिछले 30 वर्षों से महंगाई का सामना कर रहे हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि वर्तमान में मूल वेतन पर मौजूदा महंगाई भत्ते के विलय के संबंध में केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
आनंद भदौरिया ने अपने सवाल में पूछा था कि इन कर्मचारियों को दिया गया डीए/डीआर, वास्तविक समय खुदरा महंगाई के हिसाब से नहीं है। यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है। यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं। इनके अलावा, लोकसभा सांसद भदौरिया के सवाल में यह भी शामिल था कि क्या सरकार ने हाल ही में आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी की है। यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने डीए डीआर यानी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि जीवन निर्वाह की लागत के समायोजन तथा मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक मूल्य में गिरावट से मूल वेतन/पेंशन को सुरक्षित रखने के लिए महंगाई भत्ते/महंगाई राहत को श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा औद्योगिक श्रमिकों (एआईसीपीआई आईडब्लू) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर प्रत्येक 6 माह में समय समय पर संशोधित किया जाता है।
क्या सरकार ने हाल ही में आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी की है। इस सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि हां, ऐसी अधिसूचना जारी की गई है। उन्होंने अपने जवाब में तीन पन्नों वाली अधिसूचना को अटैच की है। उसमें आठवें वेतन आयोग के सदस्यों का नाम, कार्यकाल व मुख्यालय को लेकर जानकारी दी गई है। इसके अलावा उसमें वेतन आयोग के लिए 'संदर्भ की शर्तें' लिखी हैं।
बता दें कि पिछले दिनों भारत पेंशनभोगी समाज (बीपीएस) ने केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग के लिए जारी संदर्भ की शर्तें यानी 'टीओआर' में लिखे कुछ शब्दों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। यह चिंता केंद्र सरकार के 65 लाख से ज्यादा पेंशनर, जिनमें पारिवारिक पेंशनर भी शामिल हैं, को हो रही है। टीओआर में लिखा है 'गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत', यही वो शब्द हैं, जिसे हटाने के संबंध में भारत पेंशनभोगी समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित, डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, सचिव (डीओपी एंड पीडब्ल्यू), सचिव व्यय विभाग को 17 नवंबर को पत्र लिखा था।
भारत पेंशनभोगी समाज के महासचिव अविनाश राजपूत द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तों' में पेंशन को लेकर आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आने वाले वर्तमान 65 लाख से अधिक पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए पेंशन, समानता और अन्य पेंशन लाभों में संशोधन के बारे में मौजूदा टीओआर में स्पष्टता का अभाव है।
बीपीएस ने टीओआर में कई संशोधनों की मांग की है। इनमें पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की संरचना को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों की जांच करना, जिसमें पेंशन में संशोधन, किसी भी तिथि को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों (अर्थात, जो 01.01.2026 से पहले या 01.01.2026 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं) के मामले में पेंशन में समानता शामिल है।
केंद्रीय कर्मचारी संगठन, 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' ने भी आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तों' (टीओआर) में बदलाव की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाई है। पीएम मोदी, कैबिनेट सचिव, डीओपीटी सचिव और वित्त सचिव को भेजे गए पत्र में कॉन्फेडरेशन के महासचिव एसबी यादव ने लिखा है कि 'पेंशनभोगियों' और उनके परिवारों के लिए पेंशन संशोधन को आयोग में शामिल किया जाए। विभिन्न पेंशन योजनाओं के अंतर्गत पेंशन एवं पेंशन लाभों में संशोधन और संदर्भ शर्तों (टीओआर) से गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की 'अवित्तपोषित लागत' शब्दावली को टीओआर से हटाना, यह बात भी कर्मचारियों की मांग का हिस्सा है। अनफंडेड स्कीम/पुरानी पेंशन पर भी 'कॉन्फेडरेशन' ने महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग की है।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव और कर्मियों की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य सी. श्रीकुमार ने आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों को लेकर कहा था, यह जानकर वाकई हैरानी होती है कि वेतन आयोग, जिससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और मौजूदा पेंशनभोगियों की पेंशन में संशोधन की सिफारिश करने की उम्मीद की जाती है, को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राजकोषीय विवेक पर केंद्रित कार्यवृत्त (टीओआर) सौंपा गया है। इससे कर्मियों/पेंशनरों के हित दबते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें 'संदर्भ की शर्तों' में संशोधन व कर्मचारी/ पेंशनभोगी संबंधी प्रमुख प्रावधानों को शामिल करने का आग्रह किया गया है।
श्रीकुमार के मुताबिक, पिछले वेतन आयोगों के विपरीत, 8वें सीपीसी के टीओआर में कर्मचारियों के वेतन ढांचे और पेंशन संशोधन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करने के बजाए राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, राजकोषीय विवेक और विकास एवं कल्याणकारी गतिविधियों के लिए धन पर अधिक जोर दिया गया है। मौजूदा 65 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को 8वें सीपीसी के दायरे से बाहर रखा गया है। इस कदम ने कर्मचारियों/पेंशनरों में व्यापक चिंता पैदा कर दी है।
श्रीकुमार के मुताबिक, यह कुछ-कुछ वित्त आयोग जैसा है, जो कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाले वैध भत्ते को कम करके सरकारी धन बचाने की कोशिश कर रहा है। सातवें वेतन आयोग के विपरीत, जिसे कर्मचारियों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखने का निर्देश दिया गया था, वर्तमान कार्यवृत्त में कर्मचारी कल्याण या वेतन संबंधी आकांक्षाओं का कोई उल्लेख नहीं है।
इसका अर्थ है कि आयोग उनकी लंबे समय से लंबित मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं कर सकता। पुरानी पेंशन योजना को कार्य-दर-नियम (टीओआर) में शामिल करने की मांग को अस्वीकार कर दिया गया। श्रीकुमार ने सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना की है। इसे "सरकारी कर्मचारियों की वृद्धावस्था सुरक्षा की घोर उपेक्षा" बताया है।
ये भी पढ़ें: Digital Arrest Scam: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिया बड़ा आदेश, कहा- पहले डिजिटल अरेस्ट घोटाले की जांच करें
सरकार को ऐसे लगता है कि 65 लाख से ज्यादा पेंशनभोगी और पारिवारिक पेंशनभोगी, 2016 में निर्धारित पेंशन पर बिना किसी संशोधन के जीवनयापन करेंगे। ऐसा लगता है जैसे वे अब वित्तीय न्याय के पात्र ही नहीं हैं। विरोध स्वरूप, एआईडीईएफ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कार्य-दर-नियम (टीओआर) में संशोधन और कर्मचारी एवं पेंशनभोगी संबंधी प्रमुख प्रावधानों को शामिल करने का आग्रह किया गया है। इन मांगों में अधिकांश विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी को देखते हुए, आवश्यकता-आधारित, सम्मानजनक वेतन संशोधन के लिए कर्मचारियों की अपेक्षाओं पर विचार करना और अंशदायी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली, आदि शामिल हैं।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.