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Delhi Election: बीते तीन चुनावों में कैसा रहा पार्टियों का प्रदर्शन, आप-कांग्रेस के साथ नहीं आने का कितना असर?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Tue, 03 Dec 2024 05:13 AM IST
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दिल्ली चुनावों में पार्टियों का प्रदर्शन
- फोटो :
AMAR UJALA
विस्तार
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सियासी सरगर्मी ने जोर पकड़ लिया है। सभी प्रमुख दलों ने अपनी चुनावी रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वहीं दिल्ली कांग्रेस इकाई ने भी कहा है कि वह सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।कुछ महीने पहले ही लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने दिल्ली में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों दलों को कोई सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद दोनों दलों के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी सहमति कि कोशिश हुई थी लेकिन कोशिशें बेनतीजा रही थीं।
आइये जानते हैं कि दिल्ली में चुनाव को लेकर आप-कांग्रेस ने क्या घोषणा की है? बीते तीन चुनावों में कैसा रहा है पार्टियों का प्रदर्शन? किस पार्टी को कितनी सीटें आईं और वोट प्रतिशत क्या रहा?
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया
- फोटो :
अमर उजाला
दिल्ली चुनाव को लेकर आप-कांग्रेस ने क्या घोषणा की है?
आप संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि चुनाव में आप अकेले ही मैदान में उतरेगी। केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन के सवाल पर कहा, आप विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इससे पहले कांग्रेस ने भी कहा था कि दिल्ली में वह अकेले ही मैदान में उतरेगी। पहले ही आप 11 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। इनमें हाल ही में भाजपा और कांग्रेस छोड़कर आप के साथ आने वाले छह नेता भी शामिल हैं। उधर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा है कि पार्टी 2025 के चुनाव में सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी।
राजधानी में अगले वर्ष फरवरी में विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव होने हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को पूरा हो रहा है। माना जा रहा है कि जनवरी में चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है। अटकलें थीं कि आम चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टी एकसाथ मैदान में उतरेंगी। मगर, केजरीवाल के एलान के बाद सभी अटकलों पर विराम लग गया है। इससे दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया है। कांग्रेस और आप दोनों ही दल विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा हैं, पर अक्तूबर में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी दोनों अलग-अलग मैदान में उतरे थे।
आप संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि चुनाव में आप अकेले ही मैदान में उतरेगी। केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन के सवाल पर कहा, आप विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इससे पहले कांग्रेस ने भी कहा था कि दिल्ली में वह अकेले ही मैदान में उतरेगी। पहले ही आप 11 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। इनमें हाल ही में भाजपा और कांग्रेस छोड़कर आप के साथ आने वाले छह नेता भी शामिल हैं। उधर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा है कि पार्टी 2025 के चुनाव में सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी।
राजधानी में अगले वर्ष फरवरी में विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव होने हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को पूरा हो रहा है। माना जा रहा है कि जनवरी में चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है। अटकलें थीं कि आम चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टी एकसाथ मैदान में उतरेंगी। मगर, केजरीवाल के एलान के बाद सभी अटकलों पर विराम लग गया है। इससे दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया है। कांग्रेस और आप दोनों ही दल विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा हैं, पर अक्तूबर में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी दोनों अलग-अलग मैदान में उतरे थे।
2013 के चुनाव में क्या हुआ था?
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन ने आम आदमी पार्टी को जन्म दिया। जन लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले लोगों का समूह 2012 में आम आदमी पार्टी नामक राजनीतिक दल बन गया। अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें भाजपा के बाद आप दूसरे नंबर पर रही। दिसंबर 2013 में आए नतीजों में भाजपा को 31, आप को 28 और कांग्रेस को आठ सीटें आईं। बाकी एक-एक सीट शिरोमणि अकाली दल, बसपा और जदयू के खाते में गईं। 2013 के चुनाव में मिले मत प्रतिशत पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 34.12% वोट भाजपा को मिले थे। इसके बाद आप के खाते में 29.64% मत गए थे। तीसरी नंबर पर रही कांग्रेस को 24.67% वोट मिले थे।
इस तरह से किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। जब भाजपा ने त्रिशंकु विधानसभा में सरकार बनाने से इनकार कर दिया, तो आप ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। हालांकि, दिल्ली की सत्ता संभालने के 49 दिनों के बाद ही फरवरी 2014 में केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह से पहली बार सरकार में आई आप सरकार का पहला कार्यकाल 50 दिन तक भी नहीं चल पाया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन ने आम आदमी पार्टी को जन्म दिया। जन लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले लोगों का समूह 2012 में आम आदमी पार्टी नामक राजनीतिक दल बन गया। अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें भाजपा के बाद आप दूसरे नंबर पर रही। दिसंबर 2013 में आए नतीजों में भाजपा को 31, आप को 28 और कांग्रेस को आठ सीटें आईं। बाकी एक-एक सीट शिरोमणि अकाली दल, बसपा और जदयू के खाते में गईं। 2013 के चुनाव में मिले मत प्रतिशत पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 34.12% वोट भाजपा को मिले थे। इसके बाद आप के खाते में 29.64% मत गए थे। तीसरी नंबर पर रही कांग्रेस को 24.67% वोट मिले थे।
इस तरह से किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। जब भाजपा ने त्रिशंकु विधानसभा में सरकार बनाने से इनकार कर दिया, तो आप ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। हालांकि, दिल्ली की सत्ता संभालने के 49 दिनों के बाद ही फरवरी 2014 में केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह से पहली बार सरकार में आई आप सरकार का पहला कार्यकाल 50 दिन तक भी नहीं चल पाया।
2015 में कैसा रहा पार्टियों का प्रदर्शन?
फरवरी 2014 में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद अगले साल 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। आप को दिल्ली की पिछले चुनाव के मुकाबले दुगुनी से भी ज्यादा 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत मिली। आप की सीटों के साथ इसके मत प्रतिशत के आंकड़े में जबरदस्त उछाल आया। 54.59% वोटों के साथ मत प्रतिशत में आप सबसे आगे आगे रही जबकि 2013 में उसे 29.64% वोट मिले थे। वहीं, 2015 में भाजपा की सीटें घटकर 3 हो गईं जबकि 2013 में इसके 31 विधायक चुने गए थे। भाजपा का वोट प्रतिशत 34.12% से घटकर 32.78% हो गया। यानी 1.34% वोट घटने से भाजपा को 28 सीटों का नुकसान हुआ। इसके अलावा 2013 में 8 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2015 में खाली हाथ रही। इसका वोट प्रतिशत भी 24.67% से घटकर 9.70% पर आ गया।
इस तरह से दिल्ली में आप ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। आप संयोजक केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
फरवरी 2014 में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद अगले साल 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। आप को दिल्ली की पिछले चुनाव के मुकाबले दुगुनी से भी ज्यादा 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत मिली। आप की सीटों के साथ इसके मत प्रतिशत के आंकड़े में जबरदस्त उछाल आया। 54.59% वोटों के साथ मत प्रतिशत में आप सबसे आगे आगे रही जबकि 2013 में उसे 29.64% वोट मिले थे। वहीं, 2015 में भाजपा की सीटें घटकर 3 हो गईं जबकि 2013 में इसके 31 विधायक चुने गए थे। भाजपा का वोट प्रतिशत 34.12% से घटकर 32.78% हो गया। यानी 1.34% वोट घटने से भाजपा को 28 सीटों का नुकसान हुआ। इसके अलावा 2013 में 8 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2015 में खाली हाथ रही। इसका वोट प्रतिशत भी 24.67% से घटकर 9.70% पर आ गया।
इस तरह से दिल्ली में आप ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। आप संयोजक केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
पिछले विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?
दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुए थे। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में एक बार फिर आप ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। इस बार पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कीं और उसे पिछले चुनाव के मुकाबले पांच सीटों का नुकसान हुआ। आप की सीटों के साथ इसके मत प्रतिशत के आंकड़े में भी गिरावट आई। इसे 54.59% के मुकाबले इस बार 53.57% वोट मिले। वहीं 2020 में भाजपा की सीटें बढ़कर 8 हो गईं जबकि 2015 में इसके 3 विधायक चुने गए थे। भाजपा का वोट प्रतिशत 32.78% से बढ़कर 40.57% हो गया। यानी करीब 8% वोट बढ़ने से भाजपा को 5 सीटों का फायदा हुआ। इसके अलावा कांग्रेस 2015 की तरह कांग्रेस 2020 में भी खाली हाथ रही। इसका वोट प्रतिशत भी 9.70% से भी घटकर 4.63% पर आ गया।
नतीजों के बाद 16 फरवरी 2020 को अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार दिल्ली की सत्ता संभाली। आप को इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले तब झटका लगा जब इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। मार्च 2024 में शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की थी। 13 सितंबर को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई। हालांकि, जेल से बाहर आने के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया और उनकी कैबिनेट में सहयोगी रहीं आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली।
दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुए थे। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में एक बार फिर आप ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। इस बार पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कीं और उसे पिछले चुनाव के मुकाबले पांच सीटों का नुकसान हुआ। आप की सीटों के साथ इसके मत प्रतिशत के आंकड़े में भी गिरावट आई। इसे 54.59% के मुकाबले इस बार 53.57% वोट मिले। वहीं 2020 में भाजपा की सीटें बढ़कर 8 हो गईं जबकि 2015 में इसके 3 विधायक चुने गए थे। भाजपा का वोट प्रतिशत 32.78% से बढ़कर 40.57% हो गया। यानी करीब 8% वोट बढ़ने से भाजपा को 5 सीटों का फायदा हुआ। इसके अलावा कांग्रेस 2015 की तरह कांग्रेस 2020 में भी खाली हाथ रही। इसका वोट प्रतिशत भी 9.70% से भी घटकर 4.63% पर आ गया।
नतीजों के बाद 16 फरवरी 2020 को अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार दिल्ली की सत्ता संभाली। आप को इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले तब झटका लगा जब इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। मार्च 2024 में शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की थी। 13 सितंबर को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई। हालांकि, जेल से बाहर आने के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया और उनकी कैबिनेट में सहयोगी रहीं आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली।