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AAP: चुनाव में हार के बाद आतिशी ने संभाली आप की जिम्मेदारी, केजरीवाल की चुप्पी पर खड़े हुए सवाल
सार
चुनाव परिणाम आने के पहले से ही ये सवाल किए जा रहे थे कि यदि आम आदमी पार्टी चुनाव में हार जाती है तो उसके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? अरविंद केजरीवाल की चुप्पी के बाद यह सवाल और ज्यादा गहरा गया है।
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अरविंद केजरीवाल और आतिशी
- फोटो : x/aap
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विस्तार
जब से दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम आया है, अरविंद केजरीवाल राजनीतिक परिदृश्य से पूरी तरह से गायब हैं। कभी हर बात पर ट्वीट और प्रेस कांफ्रेंस कर पूरी मीडिया और जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले केजरीवाल ने चुनाव परिणाम आने के बाद से न कोई बड़ा बयान दिया है, और न ही किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में देखे गए हैं। बीच-बीच में उनके ट्वीट अवश्य आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने कोई ऐसी पहल नहीं की है जो चर्चा का विषय बने। विपश्यना के लिए जाने के पहले वे चर्चा में आए भी तो अपनी भारी-भरकम सुरक्षा और बड़े वाहनों के काफिले के कारण। राजनीतिक गलियारों में अब अरविंद केजरीवाल की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
चुनाव परिणाम आने के पहले से ही ये सवाल किए जा रहे थे कि यदि आम आदमी पार्टी चुनाव में हार जाती है तो उसके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? अरविंद केजरीवाल की चुप्पी के बाद यह सवाल और ज्यादा गहरा गया है। राजनीति में चर्चा में बने रहना बेहद आवश्यक माना जाता है। केजरीवाल का राजनीतिक परिदृश्य से गायब होना स्वयं उनकी राजनीतिक पारी के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा है।
आतिशी ने दिखाई मजबूत पारी
अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ मनीष सिसोदिया भी इस दौरान बहुत सक्रिय नहीं दिखाई दिए हैं। एक-दो प्रेस कांफ्रेंस करने के अलावा उनकी भी कोई बड़ी सक्रिय भूमिका नहीं दिखाई पड़ी है। हालांकि, चुनाव परिणाम आने के बाद के एक महीने में आम आदमी पार्टी ने विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका निभाने की कोशिश अवश्य की है। आतिशी मारलेना के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में भी अपनी मजबूत आवाज रखी है। आम आदमी पार्टी के विधायकों को सदन से निलंबित करने के मामले में भी आतिशी ने मजबूती से आवाज उठाई है। सत्ता में न रहने के बाद भी वे आम आदमी पार्टी का पक्ष जनता के बीच ले जाने में सफल रही हैं। इसे उनकी सफलता कहा जा सकता है।
आम आदमी पार्टी सक्रिय
आम आदमी पार्टी लगातार महिलाओं को जल्द से जल्द 2500 रुपये की सम्मान राशि दिए जाने के लिए आवाज उठा रही है। आतिशी मारलेना के नेतृत्व में प्रदर्शन करने से लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखने तक आम आदमी पार्टी ने लगातार यह संदेश देने की कोशिश की है कि यदि भाजपा सरकार जनता के मुद्दों से विचलित होती है तो वह इन मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाएगी। दिल्ली सरकार के 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद करने के निर्णय पर भी आम आदमी पार्टी ने आक्रामक प्रतिक्रिया दी है। आम आदमी पार्टी का संकेत साफ है कि वह इन मुद्दों को जनता के बीच ले जाने और अपनी वापसी की संभावनाओं को तलाशने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देगी। आम आदमी पार्टी की यह आक्रामक रणनीति दिल्ली की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए आवश्यक भी है। साथ ही, यह भाजपा सरकार को भी सतर्क रखेगी जो लोकतंत्र के लिए बेहद आवश्यक है।
दिल्ली को आतिशी के हवाले कर केंद्रीय राजनीति पर कर सकते हैं फोकस
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी तक अरविंद केजरीवाल ने अपनी भूमिका को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन माना यही जा रहा है कि फिलहाल दिल्ली की राजनीति को उन्होंने आतिशी मारलेना और कुछ नेताओं के सहारे छोड़ दिया है। उनकी तरफ से पार्टी नेताओं को आंतरिक तौर पर निर्देश मिलते रहेंगे, लेकिन स्वयं वे अपनी भूमिका को राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के लिए सुरक्षित रखेंगे। हालांकि, इस बीच शराब घोटाले में सुनवाई की प्रगति और उसके संभावित निर्णय के बाद ही केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य की तस्वीर साफ हो सकेगी।
अगला लक्ष्य सामने है
आम आदमी पार्टी नेता के अनुसार, पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव है। इन चुनावों में लगभग दो साल का समय है। इस समय में पार्टी दिल्ली की हार से उबरते हुए अपने आपको एक बार फिर मजबूत करने का काम करेगी। पंजाब में बेहतर कामकाज कर जनता के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगी तो नगर निगम में भी वह अपनी उपस्थिति मजबूत रखने का प्रयास करेगी।
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चुनाव परिणाम आने के पहले से ही ये सवाल किए जा रहे थे कि यदि आम आदमी पार्टी चुनाव में हार जाती है तो उसके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? अरविंद केजरीवाल की चुप्पी के बाद यह सवाल और ज्यादा गहरा गया है। राजनीति में चर्चा में बने रहना बेहद आवश्यक माना जाता है। केजरीवाल का राजनीतिक परिदृश्य से गायब होना स्वयं उनकी राजनीतिक पारी के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा है।
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आतिशी ने दिखाई मजबूत पारी
अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ मनीष सिसोदिया भी इस दौरान बहुत सक्रिय नहीं दिखाई दिए हैं। एक-दो प्रेस कांफ्रेंस करने के अलावा उनकी भी कोई बड़ी सक्रिय भूमिका नहीं दिखाई पड़ी है। हालांकि, चुनाव परिणाम आने के बाद के एक महीने में आम आदमी पार्टी ने विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका निभाने की कोशिश अवश्य की है। आतिशी मारलेना के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में भी अपनी मजबूत आवाज रखी है। आम आदमी पार्टी के विधायकों को सदन से निलंबित करने के मामले में भी आतिशी ने मजबूती से आवाज उठाई है। सत्ता में न रहने के बाद भी वे आम आदमी पार्टी का पक्ष जनता के बीच ले जाने में सफल रही हैं। इसे उनकी सफलता कहा जा सकता है।
आम आदमी पार्टी सक्रिय
आम आदमी पार्टी लगातार महिलाओं को जल्द से जल्द 2500 रुपये की सम्मान राशि दिए जाने के लिए आवाज उठा रही है। आतिशी मारलेना के नेतृत्व में प्रदर्शन करने से लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखने तक आम आदमी पार्टी ने लगातार यह संदेश देने की कोशिश की है कि यदि भाजपा सरकार जनता के मुद्दों से विचलित होती है तो वह इन मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाएगी। दिल्ली सरकार के 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद करने के निर्णय पर भी आम आदमी पार्टी ने आक्रामक प्रतिक्रिया दी है। आम आदमी पार्टी का संकेत साफ है कि वह इन मुद्दों को जनता के बीच ले जाने और अपनी वापसी की संभावनाओं को तलाशने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देगी। आम आदमी पार्टी की यह आक्रामक रणनीति दिल्ली की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए आवश्यक भी है। साथ ही, यह भाजपा सरकार को भी सतर्क रखेगी जो लोकतंत्र के लिए बेहद आवश्यक है।
दिल्ली को आतिशी के हवाले कर केंद्रीय राजनीति पर कर सकते हैं फोकस
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी तक अरविंद केजरीवाल ने अपनी भूमिका को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन माना यही जा रहा है कि फिलहाल दिल्ली की राजनीति को उन्होंने आतिशी मारलेना और कुछ नेताओं के सहारे छोड़ दिया है। उनकी तरफ से पार्टी नेताओं को आंतरिक तौर पर निर्देश मिलते रहेंगे, लेकिन स्वयं वे अपनी भूमिका को राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के लिए सुरक्षित रखेंगे। हालांकि, इस बीच शराब घोटाले में सुनवाई की प्रगति और उसके संभावित निर्णय के बाद ही केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य की तस्वीर साफ हो सकेगी।
अगला लक्ष्य सामने है
आम आदमी पार्टी नेता के अनुसार, पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव है। इन चुनावों में लगभग दो साल का समय है। इस समय में पार्टी दिल्ली की हार से उबरते हुए अपने आपको एक बार फिर मजबूत करने का काम करेगी। पंजाब में बेहतर कामकाज कर जनता के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगी तो नगर निगम में भी वह अपनी उपस्थिति मजबूत रखने का प्रयास करेगी।