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AIMIM: ओवैसी का 'इंडिया' ब्लॉक पर हमला, बोले- एकतरफा मोहब्बत नहीं हो सकती; SIR को बताया 'बैक डोर एनआरसी'

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद। Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 14 Jul 2025 04:31 PM IST
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सार

AIMIM: ओवैसी का 'इंडिया' ब्लॉक पर हमला, बोले- एकतरफा मोहब्बत नहीं हो सकती; SIR को बताया 'बैक डोर एनआरसी'

AIMIM: Owaisi attacks INDIA block, says there can't be one-sided love; calls bihar SIR back door NRC
असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुख - फोटो : एएनआई (फाइल)
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इंडिया ब्लॉक को लेकर कहा कि एकतरफा मोहब्बत नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा, बिहार की जनता को यह समझना चाहिए कि हमारे खिलाफ जो आरोप लगाए गए थे, वे झूठ पर आधारित थे। ये आरोप इसलिए लगाए गए, क्योंकि वे नहीं चाहते कि गरीबों और कमजोर वर्गों का कोई नेता उनकी राजनीतिक अगुवाई करे। वे बिहार की जनता को अपना गुलाम बनाए रखना चाहते हैं। हम पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा है कि हमें तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिश करनी चाहिए। यह हमारी ओर से एक प्रयास था। बिहार की जनता के सामने यह सब किसी वजह से आया है। 
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर ओवैसी ने कहा, चुनाव आयोग को नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार गृह मंत्रालय और सीमा क्षेत्र के पुलिस निरीक्षक के पास है। जब अधिकार ही नहीं है, तो वह ऐसा कर क्यों रहा है? मैंने इसी वजह कहा था कि यह 'पीछे वाले दरवाजे से एनआरसी' है। बिहार में नवंबर में चुनाव हैं। वे सीमांचल के लोगों को कमजोर क्यों करना चाहते हैं? 
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एसआईआर को लेकर ओवैसी ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक सांविधानिक संस्था खुद बयान नहीं दे रही है और सूचनाएं ‘सूत्रों’ के जरिए सामने आ रही हैं। ये सूत्र कौन हैं? किसने चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया कि वह तय करे कि कौन नागरिक है और कौन नहीं? हमारी पार्टी पहली थी जिसने कहा कि एसआईआर एनआरसी को पिछले दरवाजे से लागू करने की कोशिश है।

ओवैसी ने कहा, हम मांग करते हैं कि उन बीएलओ (बीएलओ) की सूची सार्वजनिक की जाए। हम अपने कार्यकर्ताओं से कहेंगे कि वे उन बीएलओ से मिलें और पूछें कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से आए हुए लोग कहां हैं, जिनकी बात की जा रही है। एसआईआर साल 2003 में भी हुआ था, तब कितने विदेशी नागरिक सामने आए थे? जुलाई 2019 में संसद में कानून मंत्री ने कहा था कि 2016, 2017 और 2019 में एक भी विदेशी नागरिक नहीं मिला। ये सूत्र बेशर्म हैं। एक सांविधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को क्यों नुकसान पहुंचाया जा रहा है? 



 
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