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Operation Sindoor: इसरो प्रमुख बोले- देश की सुरक्षा के लिए सैटेलाइट्स अहम, ऑपरेशन सिंदूर में ऐसे निभाई भूमिका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Tue, 09 Sep 2025 02:48 PM IST
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सार

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को धूल चटाई और उस पर इतने भीषण हमले किए कि वो संघर्षविराम के लिए भारत से गुहार लगाए। ऑपरेशन सिंदूर में एक तरफ जहां सेना ने तीनों मोर्चे पर अभूतपूर्व पराक्रम दिखाया, वहीं देश के कई संस्थानों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।

All satellites were working perfectly during Operation Sindoor, says ISRO Chairman V. Narayanan
वी. नारायणन, इसरो अध्यक्ष - फोटो : PTI
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विस्तार
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी. नारायणन ने मंगलवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सभी सैटेलाइट्स ने बिना किसी रुकावट के लगातार काम किया और सेना को जरूरी मदद पहुंचाई।
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'सैटेलाइट्स 24 घंटे काम और हर जरूरत को कर रहे थे पूरा'
उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे सभी सैटेलाइट्स 24 घंटे बेहतरीन तरीके से काम कर रहे थे और हर जरूरत को पूरा कर रहे थे।' नारायणन ने बताया कि फिलहाल भारत के पास 58 सक्रिय सैटेलाइट्स कक्षा (ऑर्बिट) में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य तय किया है कि अगले तीन साल में यह संख्या तीन गुना हो जाएगी।
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आतंक के खिलाफ भारत का ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को शुरू किया गया था। यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हुई थी। यह सेना का त्रि-सेवा (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) संयुक्त अभियान था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त करना था।

'देश की सुरक्षा के लिए सैटेलाइट्स का होना बहुत जरूरी'
सरकार की तरफ से 14 मई को जारी एक आधिकारिक बयान में भी इसरो की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया गया था। इसमें कहा गया कि कम से कम 10 सैटेलाइट्स लगातार निगरानी के लिए काम कर रहे थे। इसरो प्रमुख ने कहा, 'देश की सुरक्षा के लिए सैटेलाइट्स का होना बहुत जरूरी है।

समुद्री तट और उत्तरी सीमाओं की निगरानी जारी- नारायणन
उन्होंने आगे कहा- हमें अपने 7000 किलोमीटर लंबे समुद्री तट और उत्तरी सीमाओं की लगातार निगरानी करनी होती है। सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना यह संभव नहीं है।' वी नारायणन के मुताबिक, इन सैटेलाइट्स की मदद से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

400 से अधिक वैज्ञानिकों संभाला था मोर्चा
इसरो प्रमुख ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 400 से अधिक वैज्ञानिकों ने पृथ्वी अवलोकन और संचार उपग्रहों का उपयोग करके सहायता प्रदान करने के लिए चौबीसों घंटे काम किया। सशस्त्र संघर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र की भूमिका ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आई, जिसमें ड्रोन और युद्ध सामग्री का व्यापक उपयोग किया गया तथा स्वदेशी रूप से विकसित आकाश तीर जैसी वायु रक्षा प्रणालियों की क्षमताओं का परीक्षण किया गया।

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चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन पर काम कर रहा इसरो
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष वी. नारायणन ने मंगलवार को बताया कि संगठन चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस)' का पहला मॉड्यूल कक्षा में स्थापित किया जाएगा और 2035 तक यह पूरी तरह तैयार होगा। नारायणन ने बताया कि अगले तीन साल में वर्तमान की तुलना में तीन गुना ज्यादा सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाएंगे। साथ ही, मार्क-III लॉन्चर की क्षमता 4000 किलोग्राम से बढ़ाकर 5100 किलोग्राम की जाएगी, वह भी बिना अतिरिक्त लागत के। गगनयान मिशन के तहत इस साल बिना चालक वाला मिशन लॉन्च होगा और 2027 की पहली तिमाही में मानवयुक्त मिशन भेजा जाएगा। दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और प्रशांत नायर को अमेरिका में प्रशिक्षण दिया गया है। नारायणन ने बताया कि प्रधानमंत्री के विजन के तहत 2040 तक भारत चंद्रमा पर लैंड करेगा और अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में शीर्ष स्तर पर पहुंचेगा।

'2040 तक भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में शीर्ष पर होगा'
इसरो प्रमुख ने कहा, पीएम मोदी के नेत़ृत्व में 2040 तक भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में शीर्ष स्थान पर होगा। उनके निर्देशन और दृष्टिकोण के आधार पर, हम चंद्रयान-4 मिशन शुरू करने जा रहे हैं। हम वीनस ऑर्बिटर मिशन शुरू करने जा रहे हैं। हम 2035 तक बीएएस (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) नामक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने जा रहे हैं, और पहला मॉड्यूल 2028 तक प्रक्षेपित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने एक एनजीएल (नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्चर) को मंज़ूरी दे दी है। 2040 तक, भारत चंद्रमा पर उतरेगा और हम उसे सुरक्षित वापस लाएंगे। इस प्रकार, 2040 तक, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के किसी भी अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के बराबर होगा।
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