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Amar Ujala Batras: क्या पुरुष प्रधानता की चर्चा के बीच खुद घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे पुरुष? देखें पॉडकास्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sat, 15 Nov 2025 08:30 PM IST
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अमर उजाला बतरस।
- फोटो : AU
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अमर उजाला बतरस एक और हफ्ते आम लोगों की जिंदगी से जुड़े अहम मुद्दे के साथ हाजिर है। इस हफ्ते पॉडकास्ट में चर्चा हुई समाज के एक अहम पहलू की। यह रहा घरेलू हिंसा का शिकार होते मर्द। दरअसल, हमेशा से माना जाता रहा है कि मर्द को दर्द नहीं होता। यानी भावनाओं को प्रदर्शित करने के मामले में मर्द काफी कमजोर होते हैं। एंकर और पत्रकार नंदिता कुदेशिया ने इस हफ्ते बतरस में इन्हीं समस्याओं को लेकर दो विशेषज्ञों से बात की और जाना की आखिर घरेलू हिंसा के शिकार 'पीड़ित पुरुषों' का सच क्या है।
इस पूरे पॉडकास्ट को आप शनिवार रात आठ बजे अमर उजाला के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स पर सुन सकते हैं।
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इस पूरे पॉडकास्ट को आप शनिवार रात आठ बजे अमर उजाला के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स पर सुन सकते हैं।
नंदिता कुदेशिया ने अमर उजाला के स्टूडियो में जिन दो विशेषज्ञों से चर्चा की, उनमें कानूनी मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार और सामाजिक कार्यकर्ता राहुल कुमार शामिल रहे। दोनों ही विशेषज्ञों ने कई अहम सवालों के जवाब दिए। मसलन- मर्दानगी की असल परिभाषा क्या है? यह कोई अवधारणा है या एक तरह की मानसिक कैद? क्या पुरुष प्रधानता का दंश अब पुरुष ही ज्यादा झेल रहे? महिलाओं के हक की बात में पुरुषों के अधिकारों का हनन हो रहा? घर की बात घर में रखने की पुरुषों की आदत अब परेशानी कैसे बन रही है?
बतरस में विशेषज्ञों ने न सिर्फ इन सवालों के जवाब दिए, बल्कि मौजूदा समय में घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे। इसके अलावा उन्होंने पुरुषों के लिए कानून बनाए जाने पर भी अपना पक्ष रखा। विशेषज्ञों ने बताया कि पुरुषों के लिए शिकायत लिखवाना या पुलिस के पास जाना कितनी बड़ी चुनौती है और जब घर में दोनों पति-पत्नी कामकाजी हो रहे तो किस तरह का बदलाव दिख रहा है।
बतरस में विशेषज्ञों ने न सिर्फ इन सवालों के जवाब दिए, बल्कि मौजूदा समय में घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे। इसके अलावा उन्होंने पुरुषों के लिए कानून बनाए जाने पर भी अपना पक्ष रखा। विशेषज्ञों ने बताया कि पुरुषों के लिए शिकायत लिखवाना या पुलिस के पास जाना कितनी बड़ी चुनौती है और जब घर में दोनों पति-पत्नी कामकाजी हो रहे तो किस तरह का बदलाव दिख रहा है।