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कार्रवाई: आपत्तिजनक पोस्ट न हटाने पर ट्विटर को कोर्ट का नोटिस, अधिकारियों ने कहा फर्जी खबरों को लेकर बने सख्त नीति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अमरावती
Published by: सुभाष कुमार
Updated Wed, 02 Feb 2022 11:03 PM IST
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सार
चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एम सत्यनारायण मूर्ति की पीठ ने मल्टी ब्लॉगिंग साइट से दो टूक कहा, अगर आपको देश में काम करना है तो यहां के कानूनों का पालन करना पड़ेगा।

सोशल मीडिया
- फोटो : Social Media
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विस्तार
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्विटर को न्यायपालिका के खिलाफ की गई आपत्तिजनक पोस्ट को आदेश के बावजूद नहीं हटाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पूछा, आखिर ट्विटर को बंद क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

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चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एम सत्यनारायण मूर्ति की पीठ ने मल्टी ब्लॉगिंग साइट से दो टूक कहा, अगर आपको देश में काम करना है तो यहां के कानूनों का पालन करना पड़ेगा। आपसे पिछली सुनवाई में सत्तरूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य व कार्यकर्ताओं द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ की गई पोस्ट 15 दिन में हटाने का आदेश दिया गया था। अब तक इन पोस्ट को हटाया नहीं गया। पीठ ने इसे सीधे तौर पर अदालत की अवमानना बताया और ट्विटर को 7 फरवरी तक हलफनामा देकर यह बताने को कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही क्यों नहीं की जाए।
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शिकायतकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि ट्विटर दावा कर रही है कि पोस्ट हटा दी गई लेकिन वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिये अभी भी आपत्तिजनक पोस्ट को देखा जा सकता है। वहीं सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि ट्विटर अपमानजनक सामग्री हटाने में सहयोग नहीं कर रही।
यूट्यूब ने 36 घंटे में हटा दी थी पोस्ट
सुनवाई के दौरान यूट्यूब के वकील ने कोर्ट को बताया कि कुछ टीवी मीडिया द्वारा पोस्ट किये गए वीडियो को यूट्यूब ने 36 घंटे के भीतर हटा दिया था।
गूगल फेसबुक ट्विटर को फर्जी खबरों पर सख्त नीति अपनाने की नसीहत
गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी अमेरिकी दिग्गज टेक कंपनियों को फर्जी खबरों पर लापरवाही को लेकर सरकार ने एक बार फिर सख्त नसीहत दी है। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही हुई एक बैठक में सरकारी अधिकारियों ने इन कंपनियों को खरी-खरी सुनाते हुए फर्जी खबरों को लेकर सख्त नीति अपनाने की नसीहत दी। इन्हें देश की छवि नहीं बिगाड़ने की दो टूक हिदायत भी दी।
सूत्रों के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने सोमवार को यह बैठक की। इसमें दिग्गज कंपनियों से साफ कहा कि उनके फर्जी खबरों के प्रसार पर अंकुश नहीं लगाने के कारण सरकार को कड़े कदम उठाने पड़ते हैं। सरकार जब इस तरह की फर्जी सामग्री को प्लेटफार्म से हटाने का निर्देश देती है तो विवाद होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जाती है और सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के आरोप लगते हैं। जबकि विभिन्न मंचों पर फर्जी खबरों के जरिये देश की छवि बिगाड़ने की कोशिश होती है। अफसरों ने दो टूक कहा, ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए जरूरी है कि कंपनियां खुद अपनी नीति में सुधार करें और फर्जी खबरों का प्रसार रोकें। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान सरकार के अफसरों की कंपनियों के अधिकारियों के साथ तल्ख कहा-सुनी भी हुई।
कोई अल्टीमेटम नहीं, मगरउचित कदम उठाने ही होंगे
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान हुई गरमागरमी से साफ है कि अमेरिकी दिग्गज कंपनियों व पीएम मोदी प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति है। हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है। लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि कंपनियों को फर्जी खबरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने ही होंगे। सरकार भी इस दिशा में कड़े नियामक बना रही है। कंपनियों को भी उनके मंचों पर जाने वाली सामग्री पर निगरानी बढ़ानी होगी। 55 यूट्यूब चैनल, फेसबुक व ट्विटर खातों को बंद करने के निर्देश सरकार ने दिसंबर जनवरी में दिए थे। पाकिस्तान के इन चैनलों व खातों पर फर्जी खबरों के जरिये देश-विरोधी सामग्री का प्रसार हो रहा था।
गूगल बोला, कड़े कदम उठा रहे
बैठक को लेकर गूगल के अधिकारियों ने कहा, वह फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। आगे भी निगरानी बढ़ाएंगे। उन्होंने साथ ही सरकार से फर्जी खबरों को लेकर उसके कदमों को सार्वजनिक करने के बजाय सीधे गूगल से इस मसले को साझा करने की सलाह दी। हालांकि सरकार ने इसे खारिज करते हुए तर्क दिया कि जब तक इस मसले को सार्वजनिक नहीं किया जाता, तब तक लोगों में इन फर्जी खबरों के प्रति जागरूकता नहीं फैलेगी और इनसे बचने की सीख नहीं मिलेगी। वहीं फेसबुक और ट्विटर ने इस बैठक के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
शेयरचैट व कू भी बैठक में थे
बैठक में घरेलू कंपनियां शेयर चैट व कू के अधिकारी भी मौजूद रहे। इनका दावा था कि ये दोनों देश के कानून के दायरे में रहकर काम करते हैं। फर्जी खबरों और देश-विरोधी सामग्री पर कड़ी निगरानी रखी जाती है।
रूस के बाद भारत ने की सबसे अधिक शिकायतें
फर्जी खबरों को लेकर भारत की सतर्कता काफी अधिक है। प्रौद्योगिकी वेबसाइट कम्पेयरिटेक के मुताबिक 2020 में भारत ने रूस के बाद सबसे अधिक 97631 शिकायतें कीं और फर्जी खबरों की सामग्री विभिन्न सोशल मीडिया मंचों से हटवाईं। इनमें ज्यादातर सामग्री फेसबुक और गूगल से हटवाई गई।