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Aravalli Mining Controversy: 'अर्थव्यवस्था के साथ पर्यावरण भी...', अरावली विवाद पर अब केंद्र सरकार ने दी सफाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 22 Dec 2025 05:25 PM IST
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सार

अरावली विवाद पर केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि एनसीआर में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है और सरकार अरावली संरक्षण के पक्ष में है। वहीं कांग्रेस ने चेतावनी दी कि नए आदेश से पर्यावरण संतुलन बिगड़ सकता है।

Aravalli hills issue government say conservation effort accelerate under PM modi leadership Congress criticize
अरावली पर्वतमाला - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर चल रहे विवाद पर केंद्र सरकार ने साफ रुख अपनाया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर जानबूझकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रही है और पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था दोनों को साथ लेकर चलने की नीति पर कायम है।

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भूपेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विस्तार से पढ़ा है। कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली, गुजरात और राजस्थान में फैली अरावली श्रृंखला का संरक्षण वैज्ञानिक आकलन के आधार पर किया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने हमेशा ग्रीन अरावली को बढ़ावा दिया है और इस फैसले से सरकार की संरक्षण नीति को समर्थन मिला है।
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सुप्रीम कोर्ट का रुख
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह पहली बार है जब सरकार के ग्रीन मूवमेंट को इस स्तर पर मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल सीमित उद्देश्य के लिए एक तकनीकी समिति बनाई है, जिसका काम सिर्फ खनन से जुड़े पहलुओं की जांच करना है। इसका यह मतलब नहीं है कि अरावली में खनन को खुली छूट दी जा रही है।

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100 मीटर नियम की व्याख्या
अरावली को लेकर सबसे ज्यादा भ्रम 100 मीटर नियम को लेकर है। भूपेंद्र यादव ने साफ किया कि यह माप किसी पहाड़ी की ऊंचाई को ऊपर से नीचे तक नापने से जुड़ा है। उन्होंने दो टूक कहा कि एनसीआर क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। नए खनन की अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता।

जैव विविधता और वन्यजीव
मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा 38 में स्पष्ट है कि किसी भी नई खनन लीज की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय बेहद जरूरी परिस्थितियों के। उन्होंने बताया कि अरावली क्षेत्र में 20 वन्यजीव अभयारण्य और चार टाइगर रिजर्व हैं, जो इसकी पर्यावरणीय अहमियत को दिखाते हैं। यही वजह है कि सरकार इसके संरक्षण को लेकर गंभीर है।

संस्थानों की रिपोर्ट और बहस
इस बीच फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी है कि अरावली की करीब 10 हजार पहाड़ियों में खनन गतिविधियों से भारी नुकसान हो रहा है और इसे रोका जाना चाहिए। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने भी इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के जरिए रोकने की बात कही थी। हालांकि केंद्र का तर्क है कि राजस्थान में लागू 100 मीटर पहाड़ी सिद्धांत पर आधारित है, जिसके तहत केवल 100 मीटर से ऊंची संरचनाओं को ही अरावली माना जाए।

कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर अरावली से जुड़ा नया आदेश लागू हुआ तो पूरे क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा। उनके मुताबिक, अरावली पर्वत श्रृंखला थार मरुस्थल से आने वाली रेत को रोककर दिल्ली, हरियाणा और आसपास की खेती को बचाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अरावली से छेड़छाड़ करने वाला देश और क्षेत्र का दुश्मन माना जाएगा।

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