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Odisha: स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर को एएसआई ने घोषित किया संरक्षित स्मारक, ओडिशा की धरोहर को मिला नया सम्मान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर Published by: पवन पांडेय Updated Sat, 05 Jul 2025 04:43 PM IST
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सार

स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, बल्कि यह ओडिशा की वास्तुकला और आध्यात्मिक विरासत का भी एक अनमोल उदाहरण है। छठवीं सदी में बना यह मंदिर राज्य की प्राचीन संस्कृति को आज भी जीवंत बनाए हुए है। स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित करना ओडिशा की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ASI declares Odisha's Swapneswar Mahadev temple as protected monument
स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर संरक्षित स्मारक घोषित - फोटो : X @PrithivirajBJP
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विस्तार
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ओडिशा के खोरधा जिले के पुंजीआमा गांव में मौजूद छठवीं सदी का प्राचीन स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर को अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया है। यह घोषणा 2 जुलाई को जारी गजट अधिसूचना के जरिए की गई। यह शिव मंदिर बनपुर ब्लॉक में मौजूद है और माना जाता है कि इसकी स्थापना शैलोद्भव वंश के शासनकाल में की गई थी, जो उस समय ओडिशा के एक प्रमुख राजवंश थे।
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केंद्र सरकार का आदेश
एएसआई ने 'प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958' के तहत यह फैसला लिया। अधिसूचना में कहा गया है कि यह प्राचीन मंदिर अब राष्ट्रीय महत्व का स्मारक माना जाएगा और इसकी सुरक्षा व देखरेख एएसआई की तरफ से की जाएगी।

ओडिशा के कानून मंत्री ने जताई खुशी
ओडिशा के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने इस फैसले पर खुशी जताई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और केंद्रीय मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत और जी. किशन रेड्डी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन सभी के प्रयासों से ओडिशा की यह ऐतिहासिक धरोहर अब संरक्षित हो पाई है। मंत्री हरिचंदन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि उनके पिता बिस्वभूषण हरिचंदन जब 1977-78 में ओडिशा के संस्कृति मंत्री थे, तब उन्होंने इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी राज्य के एंडॉवमेंट कमिशन को दी थी। परंतु समय के साथ मंदिर उपेक्षा का शिकार हो गया।
 
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'डबल इंजन सरकार के बाद तेज हुआ काम'
मंत्री हरिचंदन ने बताया कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र में सरकार बनाई, तब इस मंदिर को बचाने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2024 में ओडिशा में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस प्रक्रिया को और तेज किया गया और अब यह मंदिर आधिकारिक रूप से संरक्षित स्मारक घोषित हो चुका है।
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