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Assam: पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी और सत्यपाल मलिक के खिलाफ असम में FIR, देश की संप्रभुता कमजोर करने का आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी
Published by: नितिन गौतम
Updated Sat, 23 Aug 2025 02:41 PM IST
सार
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि करण थापर ने 'द वायर' पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (जिनका 5 अगस्त को निधन हो गया) जैसे व्यक्तियों के साथ साक्षात्कारों की एक श्रृंखला की मेजबानी की थी, जिसमें भारत सरकार के खिलाफ गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं, खासकर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद।
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FIR Demo
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
असम के गुवाहाटी में पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, करन थापर, आशुतोष भारद्वाज, जम्मू कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल दिवंगत सत्यपाल मलिक, पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी के साथ ही एक अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह एफआईआर 9 मई को दर्ज कराई गई थी, जिसे गुवाहाटी के रहने वाले बीजू वर्मा ने दर्ज कराया। आरोप है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद और ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑनलाइन न्यूज पोर्टल द वायर पर लेख और इंटरव्यू पोस्ट किए गए थे। आरोप है कि प्रथम दृष्टया इन लेखों और इंटरव्यू के दौरान भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर किया गया और साथ ही दुश्मनी को बढ़ावा देते हुए अव्यवस्था फैलाने और फर्जी जानकारी फैलाने का भी आरोप है।
पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
पुलिस ने इस मामले में सिद्धार्थ वरदराजन और करन थापर को बीते हफ्ते समन भी जारी किया था और दोनों को क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को राहत देते हुए पुलिस को दोनों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो अन्य पत्रकारों को भी पुलिस कार्रवाई से संरक्षण दिया है। पुलिस ने देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज किया है। गुवाहाटी पुलिस ने गुरुवार को एक अन्य पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि करण थापर ने 'द वायर' पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (जिनका 5 अगस्त को निधन हो गया) जैसे व्यक्तियों के साथ साक्षात्कारों की एक श्रृंखला की मेजबानी की थी, जिसमें भारत सरकार के खिलाफ गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं, खासकर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद।
ये भी पढ़ें- Jaishankar: 'पाकिस्तान के मामले में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की', जयशंकर ने ट्रंप को दिखाया आईना
फर्जी और भड़काऊ बयानबाजी प्रसारित करने का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया, 'ये साक्षात्कार पत्रकारिता की जांच-पड़ताल से परे हैं और असत्यापित, भड़काऊ और राजनीतिक बयानबाजी के लिए एक मंच प्रदान करते प्रतीत होते हैं, जो सीमा पार तत्वों द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों के लिए भारत को ही दोषी ठहराते हैं। इन साक्षात्कारों का बार-बार इस्तेमाल पहलगाम हमले में भारतीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत, लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। यह एक ऐसा आरोप है जो सीधे तौर पर दुश्मन के दुष्प्रचार को बढ़ावा देते हैं और भारतीय नागरिकों में अविश्वास पैदा करते हैं।
पत्रकारिता की आड़ में गलत सूचना और राजद्रोह का आरोप
शिकायतकर्ता ने कहा, 'जब ऐसे साक्षात्कार किसी आतंकवादी हमले के तुरंत बाद लिए जाते हैं और घरेलू और वैश्विक दर्शकों के लिए व्यापक रूप से प्रसारित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल असहमति के रूप में नहीं देखा जा सकता; वे पत्रकारिता की आड़ में गलत सूचना, राजद्रोह और राष्ट्रीय अस्थिरता के साधन बन सकते हैं।' उन्होंने कहा कि एक लेख में प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद का अपमान किया गया है और आतंकवाद के सामने भारत की प्रतिक्रिया प्रणाली को भी बदनाम किया गया है, जिससे सरकार की अपने नागरिकों की रक्षा करने की क्षमता में जनता का विश्वास कमजोर हुआ है।
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पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
पुलिस ने इस मामले में सिद्धार्थ वरदराजन और करन थापर को बीते हफ्ते समन भी जारी किया था और दोनों को क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को राहत देते हुए पुलिस को दोनों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो अन्य पत्रकारों को भी पुलिस कार्रवाई से संरक्षण दिया है। पुलिस ने देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज किया है। गुवाहाटी पुलिस ने गुरुवार को एक अन्य पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
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शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि करण थापर ने 'द वायर' पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (जिनका 5 अगस्त को निधन हो गया) जैसे व्यक्तियों के साथ साक्षात्कारों की एक श्रृंखला की मेजबानी की थी, जिसमें भारत सरकार के खिलाफ गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं, खासकर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद।
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फर्जी और भड़काऊ बयानबाजी प्रसारित करने का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया, 'ये साक्षात्कार पत्रकारिता की जांच-पड़ताल से परे हैं और असत्यापित, भड़काऊ और राजनीतिक बयानबाजी के लिए एक मंच प्रदान करते प्रतीत होते हैं, जो सीमा पार तत्वों द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों के लिए भारत को ही दोषी ठहराते हैं। इन साक्षात्कारों का बार-बार इस्तेमाल पहलगाम हमले में भारतीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत, लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। यह एक ऐसा आरोप है जो सीधे तौर पर दुश्मन के दुष्प्रचार को बढ़ावा देते हैं और भारतीय नागरिकों में अविश्वास पैदा करते हैं।
पत्रकारिता की आड़ में गलत सूचना और राजद्रोह का आरोप
शिकायतकर्ता ने कहा, 'जब ऐसे साक्षात्कार किसी आतंकवादी हमले के तुरंत बाद लिए जाते हैं और घरेलू और वैश्विक दर्शकों के लिए व्यापक रूप से प्रसारित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल असहमति के रूप में नहीं देखा जा सकता; वे पत्रकारिता की आड़ में गलत सूचना, राजद्रोह और राष्ट्रीय अस्थिरता के साधन बन सकते हैं।' उन्होंने कहा कि एक लेख में प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद का अपमान किया गया है और आतंकवाद के सामने भारत की प्रतिक्रिया प्रणाली को भी बदनाम किया गया है, जिससे सरकार की अपने नागरिकों की रक्षा करने की क्षमता में जनता का विश्वास कमजोर हुआ है।