Kolkata: SSC भर्ती विवाद पर शिक्षक अभ्यर्थियों में आक्रोश, 10 अनुभव अंक और नियुक्तियों में देरी पर काटा बवाल
West Bengal Teachers Recruitment: कोलकाता में सोमवार को एसएससी भर्ती को लेकर दो बड़े विरोध प्रदर्शन हुए। नए अभ्यर्थियों ने 10 ‘अनुभव अंक’ को अनुचित बताते हुए सड़क जाम किया। वहीं, 2016 अपर प्राइमरी बैच के उम्मीदवारों ने नौ साल से लंबित नियुक्तियों पर विरोध जताया।
विस्तार
पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग की भर्ती को लेकर नाराजगी एक बार फिर सड़क पर दिखी। सोमवार को एसएलएसटी परिणाम जारी होने से कुछ घंटे पहले ही टीचर भर्ती उम्मीदवारों के दो समूहों ने कोलकाता में अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किए। नए अभ्यर्थियों ने ‘अनुचित’ मार्किंग स्कीम पर सवाल उठाए, जबकि 2016 अपर प्राइमरी उम्मीदवारों ने नौ साल से लंबित नियुक्तियों में देरी को लेकर सड़कों पर उतरकर गुस्सा जताया।
सोमवार सुबह नए एसएससी अभ्यर्थियों ने 11वीं-12वीं वर्गों की भर्ती में गैरकानूनी 10 एक्सपीरियंस मार्क जोड़ने का विरोध किया। सियालदाह से निकले सैकड़ों उम्मीदवारों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ते हुए एस्प्लेनेड के दोरीना क्रॉसिंग तक मार्च किया और करीब 40 मिनट तक मुख्य सड़क जाम कर दी। पुलिस ने उन्हें निर्धारित मार्ग से हटाने की कोशिश की, लेकिन अभ्यर्थियों ने वैकल्पिक रास्ता मानने से इनकार कर दिया। अंततः पुलिस को कई प्रदर्शनकारियों को शारीरिक रूप से हटाकर वाहनों में बिठाना पड़ा, जिसके बाद जाम खुल सका।
10 अनुभव अंक पर विवाद
नए अभ्यर्थियों की मुख्य मांग एसएससी द्वारा उन शिक्षकों को दिए गए 10 ‘अनुभव अंक’ को हटाने की थी, जिनकी नियुक्ति स्कूल भर्ती घोटाले में कोर्ट द्वारा रद्द की जा चुकी है। अभ्यर्थियों ने कहा कि जिन 12,000 से ज्यादा शिक्षकों की नौकरी सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को रद्द की, उन्हें दोबारा परीक्षा में यह बोनस अंक देना असमानता है। कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि वे लिखित परीक्षा में पूर्ण अंक हासिल करने के बावजूद इस अतिरिक्त मार्किंग के कारण बाहर धकेल दिए जा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने ओएमआर शीट सार्वजनिक करने और एक लाख अतिरिक्त पद सृजित करने की भी मांग रखी।
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कोर्ट में चुनौती भी जारी
‘10 अनुभव अंक’ वाली नीति अब कानूनी लड़ाई का भी हिस्सा बन गई है। अभ्यर्थियों ने इस नियम को सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट दोनों जगह चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह अंक प्रणाली निष्पक्ष प्रतियोगिता की भावना के खिलाफ है और इससे योग्य अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। प्रदर्शन के दौरान कई उम्मीदवारों ने कहा कि जब पूरे देश में भर्ती प्रक्रियाएं साफ-सुथरी बनाने की मांग बढ़ रही है, तब राज्य में पुराने पैनल को परोक्ष रूप से लाभ देना नई असमानता पैदा कर रहा है।
2016 बैच के उम्मीदवारों का अलग मोर्चा
इसी दिन 2016 की अपर प्राइमरी बैच के सैकड़ों उम्मीदवारों ने करुणामयी से बिकाश भवन तक मार्च निकाला। उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग एक दशक पहले परिणाम घोषित होने के बावजूद 14,052 उम्मीदवारों की भर्ती प्रक्रिया अधर में अटकी हुई है। उनमें से 1,241 उम्मीदवार सभी औपचारिकताएं, इंटरव्यू सहित, पूरी कर चुके हैं, लेकिन फिर भी नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया गया। अभ्यर्थियों ने केंद्रीय पार्क के पास धरना देते हुए कहा कि हर बार उन्हें अधिकारियों के बीच धकेला जाता है। कभी चेयरमैन के पास तो कभी विकास भवन के अफसरों के पास।
2016 बैच के उम्मीदवारों ने कहा कि उनकी काउंसलिंग अब तक नहीं कराई गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर 20 नवंबर तक की समयसीमा तय की थी। बावजूद इसके, प्रक्रिया शुरू नहीं होने से अभ्यर्थियों ने इसे कोर्ट आदेश की अवमानना बताया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे लंबे समय से भर्ती का इंतजार कर रहे हैं और अब प्रशासनिक असमंजस की वजह से उनका भविष्य फिर रुक गया है। दोनों प्रदर्शनों ने इस बात पर मुहर लगा दी कि राज्य की शिक्षक भर्ती प्रणाली अभी भी कई स्तरों पर विवादों और देरी से घिरी है।
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