Bangladesh: 'मोहम्मद यूनुस खुद दें दखल, भीड़तंत्र को हावी...', बांग्लादेश हिंसा पर शशि थरूर ने दी सलाह
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश में हुए स्थानीय अखबारों के दफ्तर में हमले पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा- मीडिया संस्थानों पर हमला नहीं है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।
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बांग्लादेश से आ रही हिंसा की खबरों पर कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों पर की गई भीड़ द्वारा हिंसा और आगजनी सिर्फ दो मीडिया संस्थानों पर हमला नहीं है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता और बहुलतावादी समाज की बुनियाद पर सीधा प्रहार है।
थरूर ने डेली स्टार के संपादक महफूज अनाम और अन्य साहसी पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि पत्रकारों को अपनी जान बचाने के लिए संदेश भेजने पड़ें, जबकि उनके दफ्तर जल रहे हों यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
वीजा सेवाएं बंद होना बड़ी चिंता
उन्होंने बताया कि बढ़ते सुरक्षा खतरों के चलते खुलना और राजशाही स्थित भारतीय सहायक उच्चायोगों में वीजा सेवाओं का निलंबन एक बड़ा झटका है। इसका सीधा असर छात्रों, मरीजों और परिवारों पर पड़ा है, जो भारत-बांग्लादेश के बीच सामान्य होती आवाजाही से राहत महसूस कर रहे थे।
अंतरिम सरकार से तीन अहम मांगें
स्थिर और समृद्ध पड़ोस के लिए थरूर ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से तीन प्रमुख कदम उठाने की अपील की:-
- पत्रकारों की सुरक्षा: भीड़तंत्र को हावी न होने दिया जाए और मीडिया कर्मियों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- राजनयिक मिशनों की सुरक्षा: दूतावास और वाणिज्य दफ्तर सुरक्षित रहें, ताकि लोगों के बीच संपर्क बना रहे।
- शांति की बहाली: हिंसा की जगह संवाद को प्राथमिकता दी जाए। इसमें अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को खुद नेतृत्व करना चाहिए।
शशि थरूर ने याद दिलाया कि बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को राष्ट्रीय चुनाव होने हैं। ऐसे में हिंसा और असहिष्णुता का माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने चेताया कि अगर हालात नहीं संभले, तो चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
पूरे क्षेत्र के लिए जरूरी है बांग्लादेश की स्थिरता
शशि थरूर ने कहा कि बांग्लादेश की स्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए बेहद अहम है। उम्मीद है कि देश में जल्द शांति लौटे और जनता की आवाज हिंसा या डर से नहीं, बल्कि मतपत्र के जरिए सुनी जाए।