Seat Ka Samikaran: इस सीट पर चार दशक से है एक परिवार का दबदबा, ऐसा है मधुबन का चुनावी इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज मधुबन विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर 2020 में भाजपा के राणा रणधीर सिंह को जीत मिली थी।

विस्तार
बिहार में चुनावी पारा अभी से चढ़ने लगा है। तारीखों का एलान भी कभी भी हो सकता है। सीट बंटवारे को लेकर खींचतान भी शुरू हो चुकी है। इस सियासी हलचल के बीच अमर उजाला की खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज मधुबन सीट की बात करेंगे। इस सीट से पिछले दो चुनाव से भाजपा के राणा रणधीर सिंह को जीत मिल रही है।

पहले जानते है मधुबन सीट के बारे में
बिहार के 38 जिलों में से एक पूर्वी चंपारण जिला भी है। जिले में कुल 12 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन और मोतिहारी विधानसभा सीटें शामिल हैं। मधुबनी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती है जिसमें तीन पूर्वी चंपारण, एक शिवहर और दो सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। इसमें मधुबन, चिरैया और ढाका पूर्वी चंपारण, शिवहर शिवहर और रीगा और बेलसंड सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हैं। इस सीट पर 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे।
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1957 में पहली बार हुए चुनाव
1957 में मधुबन सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। पहली बार हुए चुनावों में जहां ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वहीं इस सीट की बार करें तो पहले चुनावों में यहां कांग्रेस को हार मिली थी। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रूपलाल राय ने कांग्रेस के ब्रज बिहारी शर्मा को 7871 वोट से हरा दिया था।
1962 में कांग्रेस को मिली जीत
1962 के विधानसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली। कांग्रेस के मंगल प्रसाद यादव ने तत्कालीन विधायक और स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार रूपलाल राय को 1723 वोट से हरा दिया था।
भाकपा से किया सीट पर कब्जा
1967 से 1972 तक मधुबन सीट पर भाकपा का कब्जा रहा। 1967 में भाकपा के एम. भारती ने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक एम.पी. यादव को 23,849 वोट से हरा दिया था।
1969 में एक बार फिर से भाकपा के महेंद्र भारती को सीट पर जीत मिली। यह उनकी लगातार दूसरी जीत थी। उन्होंने कांग्रेस के रूपलाल राय को 11399 वोट से हरा दिया।
1972 में भाकपा ने तत्कालीन विधायक महेंद्र राय को टिकट नहीं दिया। इस चुनाव में भी भाकपा से राजपति देवी को जीत मिली थी। राजपति देवी ने महेंद्र राय को 10819 वोट से हरा दिया था।
रूप लाल राय की हुई वापसी
1957 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते रूप लाल राय को 1977 में एक बार फिर जीत मिली। इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने जनता पार्टी के महेंद्र राय को 3825 वोट से हरा दिया था।
वृज किशोर सिंह को मिली जीत
1980 के चुनाव में कांग्रेस इंदिरा के उम्मीदवार वृज किशोर सिंह को यहां से जीत मिली। उन्होंने जनता पार्टी सेक्युलर के महेंद्र राय को 28492 वोट से हरा दिया था।
सीताराम सिंह की जीत का सिलसिला शुरू
1985 में मधुबन सीट पर जनता पार्टी के उम्मीदवार सीताराम को पहली बार जीत मिली थी। इसके बाद यह सिलसिला 2000 तक नहीं थमा। 1985 में सीताराम सिंह ने कांग्रेस के राम नंदन सिंह को 2573 वोट से हरा दिया।
1990 में एक बार फिर यहां से जनता दल के सीता राम सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा के रामजी सिंह को 41963 वोट से हरा दिया था।
1995 में एक बार फिर जनता दल के टिकट पर सीता राम सिंह ने समता पार्टी के कृष्ण चंद्र को 28909 वोट से हरा दिया था।
2000 में सीता राम सिंह को मधुबन सीट पर चौथी जीत मिली। इस बार वह राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में सीता राम सिंह ने समता पार्टी के राजेश कुमार रोशन उर्फ बबलु देव को 20809 वोट से हरा दिया था।
2005 में सीताराम ने बेटे ने जीता चुनाव
2005 में बिहार में दो बार चुनाव हुए थे। इसमें 2005 फरवरी में राजद को जीत मिली। राजद के राणा रणधीर ने जदयू के शिवाजी राय को 3191 वोट से हरा दिया। राणा रणधीर पूर्व विधायक सीताराम सिंह के बेटे हैं।
2005 के दूसरे चुनाव में जदयू ने सीताराम परिवार के गढ़ में सेंध लगाई। जदयू के शिवाजी राय ने राजद के राणा रणधीर को 19478 वोट से हरा दिया।
2010 में एक बार फिर जदयू के शिवाजी राय को जीत मिली थी। मुकाबला एक बार फिर शिवाजी राय और राणा रणधीर के बीच में ही था। शिवाजी राय ने राजद के राणा रणधीर को 10122 वोट से हरा दिया था।
2015 में राणा रणधीर ने की वापसी
2015 में इस सीट पर भाजपा को पहली बार जीत मिली। इस बार भाजपा के टिकट पर राणा रणधीर मैदान में थे। लगातार दो बार राजद के टिकट पर हारने के बाद वह पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने इस चुनाव में तत्कालीन विधायक और जदयू के शिवाजी राय को 16222 वोट से हरा दिया। वह 2017 से 2020 तक बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री के पद पर भी रहे। 2020 में भी मधुबन सीट पर भाजपा के राणा रणधीर को जीत मिली। इस बार उन्होंने राजद के मदन प्रसाद को 5,878 वोट से हरा दिया।
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