Seat Ka Samikaran: पिछले तीन चुनाव में तीन अलग चेहरे पिपरा से जीतकर पहुंचे विधानसभा, ऐसा है इसका चुनावी इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज पिपरा विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर 2020 में जदयू के रामबिलास कामत को जीत मिली थी।

विस्तार
बिहार में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। हर दल चुनावों को लेकर तैयारियां तेज कर चुका है। आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। चुनाव तारीखों का एलान भी इसी महीने हो सकता है। इस चुनावी हलचल के बीच हमारी खास सीरीज 'सीट का समीकरण' में आज बात पिपरा सीट की बात करेंगे।

पहले जानते है पिपरा सीट के बारे में
बिहार के 38 जिलों में से एक सुपौल जिला भी है। जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। पिपरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती है जिसमें पांच सुपौल और एक मधेपुरा जिले का हिस्सा है। इसमें निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर सुपौल और सिंहेश्वर (एससी) मधेपुरा जिले का हिस्सा है। सुपौल की पिपरा सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर अब तक तीन बार ही चुनाव हुए हैं। यहां दो बार जदयू और एक बाद राजद के जीत मिली है।
सुपौल जिला 2425 वर्ग किमी में फैला हुआ है। जो 11 ब्लॉक, 181 पंचायत और 1 नगर निगम में बंटा हुआ है। यहां 2229076 आबादी है। बिहार में दो पिपरा विधानसभा सीट है। एक सुपौल में स्थित है और एक पूर्वी चंपारण जिले में स्थित है।
2010 में सुजाता देवी को मिली जीत
2010 में इस सीट पर सुजाता देवी को जीत मिली थी। जदयू की सुजाता देवी ने लोजपा के दीनबंधु यादव को 14686 वोट से हरा दिया था। जदयू की सुजाता देवी को 44883 वोट मिले थे। लोजपा के दीनबंधु यादव को 30195 वोट मिले थे। वहीं तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार दिलेश्वर कामैत को 19298 वोट मिले थे।
दिलेश्वर कामैत इस समय सुपौल के सांसद हैं। वह 2008 में राजनीति में आने से पहले तक वे भारतीय रेलवे में अधिकारी थे। 2009 में वे त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र से बिहार विधानसभा पहुंचे और 2014 में उन्होंने सुपौल लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा। 2014 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 में वे पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे।

2015 में राजद को मिली जीत
2015 में इस सीट पर राजद के यदुबंश कुमार यादव को जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 36369 वोट से हरा दिया था। राजद के यदुबंश कुमार यादव को 85944 वोट मिले थे। भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 49575 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर बसपा के महेंद्र साह को 4204 वोट मिले थे। 2015 में तत्कालीन विधायक सुजाता देवी जदयू छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं। लेकिन 2015 में उन्हें पिपरा से भाजपा का टिकट नहीं मिला था।
2020 में जदयू ने की वापसी
2020 में राजद और जदयू एक साथ चुनाव नहीं लड़ रही थीं।इस बार दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को उतारा था। जदूय के रामबिलाश कामत ने राजद के विश्व मोहन कुमार को हरा दिया। रामबिलाश कामत को 82,388 वोट मिले थे। राजद के विश्व मोहन कुमार को 63,143 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर 5,660 वोट से साथ लोजपा की शकुंतला प्रसाद रही थीं।
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