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SIR Row: 'आधार मतदाता सूची के लिए वैध पहचान पत्र, पर नागरिकता के लिए नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 08 Sep 2025 03:12 PM IST
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सार
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता। चुनाव आयोग को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा।

बिहार एसआईआर पर सुप्रीम आदेश
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आधार, मतदाता सूची के लिए वैध पहचान पत्र है, लेकिन इसे नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता। सोमवार को बिहार मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वे आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज मानें ताकि मतदाता वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए आधार कार्ड को भी पेश कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश- आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करे चुनाव आयोग
चुनाव आयोग पहले ही 11 दस्तावेजों की सूची जारी कर चुका है, जिन्हें दिखाकर मतदाता, वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कर सकते हैं। पहले इन दस्तावेजों में आधार कार्ड शामिल नहीं था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को बतौर 12वां दस्तावेज मानने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से अपने सभी अधिकारियों को निर्देश जारी करने को भी कहा है ताकि आधार कार्ड को स्वीकार किया जा सके। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।
'चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जानने का अधिकार'
चुनाव आयोग को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट देने की अनुमति होगी, जाली दस्तावेजों के आधार पर असली होने का दावा करने वालों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाए।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'कोई भी नहीं चाहता कि चुनाव आयोग अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में शामिल करे।'
सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ- 'आधार कार्ड नागरिकता का सबूत नहीं'
चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने सबमिशन दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर जस्टिस बागची ने भी साफ किया कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर, चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध किए गए 11 दस्तावेज भी नागरिकता के सबूत नहीं माने जाएंगे।
ये भी पढ़ें- Vice Presidential Polls: उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले BRS-BJD का बड़ा एलान; मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे दोनों दल
चुनाव आयोग ने इन दस्तावेजों को दी मान्यता:
1. केंद्र, राज्य सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत कर्मियों के पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश
2. एक जुलाई 1987 के पूर्व सरकारी, स्थानीय प्राधिकार, बैंक, पोस्टऑफिस, एलआईसी एवं पब्लिक सेक्टर उपक्रमों से जारी आईकार्ड, दस्तावेज
3. सक्षम प्राधिकार से जारी जन्म प्रमाणपत्र
4. पासपोर्ट
5. मान्यता प्राप्त बोर्ड, विश्वविद्यालय से जारी मैट्रिक व अन्य शैक्षिक प्रमाणपत्र
6. स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र
7. वन अधिकार प्रमाणपत्र
8. सक्षम प्राधिकार द्वारा जारी ओबीसी/एससी/एसटी जाति प्रमाणपत्र
9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो)
10. राज्य/स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर
11. सरकार का कोई भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र
राजद ने लगाए ये आरोप
राजद और अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड दिखाने पर लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जाए। इन याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आदेश जारी किया। राजद की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद बूथ लेवल अधिकारी आधार कार्ड को स्वीकार नहीं कर रहे थे। सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी नहीं किए।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश- आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करे चुनाव आयोग
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'चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जानने का अधिकार'
चुनाव आयोग को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट देने की अनुमति होगी, जाली दस्तावेजों के आधार पर असली होने का दावा करने वालों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाए।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'कोई भी नहीं चाहता कि चुनाव आयोग अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में शामिल करे।'
सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ- 'आधार कार्ड नागरिकता का सबूत नहीं'
चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने सबमिशन दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर जस्टिस बागची ने भी साफ किया कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर, चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध किए गए 11 दस्तावेज भी नागरिकता के सबूत नहीं माने जाएंगे।
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1. केंद्र, राज्य सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत कर्मियों के पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश
2. एक जुलाई 1987 के पूर्व सरकारी, स्थानीय प्राधिकार, बैंक, पोस्टऑफिस, एलआईसी एवं पब्लिक सेक्टर उपक्रमों से जारी आईकार्ड, दस्तावेज
3. सक्षम प्राधिकार से जारी जन्म प्रमाणपत्र
4. पासपोर्ट
5. मान्यता प्राप्त बोर्ड, विश्वविद्यालय से जारी मैट्रिक व अन्य शैक्षिक प्रमाणपत्र
6. स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र
7. वन अधिकार प्रमाणपत्र
8. सक्षम प्राधिकार द्वारा जारी ओबीसी/एससी/एसटी जाति प्रमाणपत्र
9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो)
10. राज्य/स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर
11. सरकार का कोई भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र
राजद ने लगाए ये आरोप
राजद और अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड दिखाने पर लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जाए। इन याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आदेश जारी किया। राजद की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद बूथ लेवल अधिकारी आधार कार्ड को स्वीकार नहीं कर रहे थे। सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी नहीं किए।
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