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Train Accident: सिग्नल फेल या ड्राइवर की गलती से हुआ बिलासपुर हादसा? रेलवे की सुरक्षा पर खड़े हुए ये सवाल
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 05 Nov 2025 04:05 PM IST
सार
मंगलवार शाम 4 बजे के करीब गोंदिया-कोरबा पैसेंजर ट्रेन बिलासपुर की ओर तेज रफ्तार में जा रही थी। इस बीच गतौरा रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी खड़ी थी, तभी गोंदिया-कोरबा पैसेंजर ट्रेन ने मालगाड़ी को टक्कर मार दी थी।
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बिलासपुर रेल हादसा
- फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक बड़ा रेल हादसा हुआ। गतौरा रेलवे स्टेशन के पास खड़ी मालगाड़ी में तेज रफ्तार पैसेंजर ट्रेन का इंजन जा घुसा। हादसा लाल खदान इलाके में मंगलवार देर शाम हुआ। इसमें 11 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 20 लोग घायल हो गए। मौके पर राहत और बचाव अभियान चलाया गया, जो रात मंगलवार तक जारी रहा। रेलवे ने इस हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है। जानकारों ने सिग्नल, टर्न, स्पीड या फिर इमरजेंसी ब्रेक लगाने को हादसे की वजह बताई है।
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दरअसल,मंगलवार शाम 4 बजे के करीब गोंदिया-कोरबा पैसेंजर ट्रेन बिलासपुर की ओर तेज रफ्तार में जा रही थी। इस बीच गतौरा रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी खड़ी थी, तभी गोंदिया-कोरबा पैसेंजर ट्रेन ने मालगाड़ी को टक्कर मार दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक ब्रेक लगने की आवाज और फिर जोरदार धमाका सुना। कई यात्रियों ने खिड़कियों से कूदकर अपनी जान बचाई, जबकि राहत दलों ने गैस कटर की मदद से बोगियां काटकर फंसे लोगों को बाहर निकाला। हादसे में 11 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 20 घायल हुए हैं।
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रेलवे ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी इसकी जांच कर रहे हैं। रेल मंत्री ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 5 लाख और सामान्य घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीं, छत्तीसगढ़ सरकार ने भी मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि, बिलासपुर रेल हादसे की शुरुआती जांच में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम में तकनीकी खराबी को एक संभावित कारण माना जा रहा है। यह सिस्टम ट्रेनों को आगे बढ़ने या रुकने का संकेत देता है। अगर किसी वजह से यह सिस्टम फेल हो जाए, तो लोको पायलट को लाल सिग्नल दिखाई नहीं देता। ऐसे में ड्राइवर को लगता है कि ट्रैक क्लीयर है और वह ट्रेन आगे बढ़ा देता है। एक और संभावना मानवीय गलती की बताई जा रही है। यह भी संभावना है कि लोको पायलट ने सिग्नल देखा ही नहीं या उसे नजरअंदाज कर दिया हो। रेलवे सिस्टम में हर सिग्नल का रंग और ब्लिंकिंग पैटर्न तय होता है, जो ट्रेन की गति और दिशा नियंत्रित करता है। कई बार सिग्नल साफ दिखता है, लेकिन अगर ड्राइवर थका हुआ हो, ध्यान भटका हो या अचानक विजुअल गड़बड़ी हुई हो, तो ऐसी चूक हो सकती है। ऐसे मामलों में कुछ ही सेकंड की लापरवाही बड़ा हादसा बन जाती है।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि, मालगाड़ी रेल ट्रैक के टर्निंग पॉइंट पर खड़ी थी, जहां से दृश्यता काफी सीमित थी। इसी कारण गोंदिया-कोरबा पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट को सामने खड़ी मालगाड़ी दिखाई नहीं दी। विशेषज्ञों का कहना है कि, जैसे ही ट्रेन मोड़ पार कर सीधी हुई, ड्राइवर ने अचानक सामने खड़ी मालगाड़ी को देखा और तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाए। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ट्रेन की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि इंजन मालगाड़ी से जा टकराया। विशेषज्ञ अब इस बात की भी जांच की मांग कर रहे हैं कि उस ट्रैक पर निर्धारित गति सीमा का पालन किया गया था या नहीं।
CRS जांच रिपोर्ट रेलवे मिनिस्ट्री को सौंपी जाएगी
हादसे की सीआरएस (कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी) जांच कराई जाएगी। यह जांच रेलवे सेफ्टी के सबसे ऊंचे स्तर पर होती है। इसमें ट्रैक, सिग्नल, लोको पायलट, स्टेशन मास्टर से लेकर कंट्रोल रूम तक की हर जानकारी खंगाली जाएगी। जांच रिपोर्ट रेलवे मंत्रालय को सौंपी जाएगी।