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Politics: '...पाखंडी राष्ट्रवाद के लिए 'वंदे मातरम' की वर्षगांठ का दुरुपयोग कर रही BJP', कांग्रेस ने बोला हमला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई / नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 07 Nov 2025 03:09 PM IST
सार
BJP Vs Congress: देश में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। वहीं इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग शुरू हो गई है। भाजपा के तमाम आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार किया है और कहा कि भाजपा पाखंडी राष्ट्रवाद के लिए 'वंदे मातरम' की वर्षगांठ का दुरुपयोग कर रही है।
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कांग्रेस नेताओं का भाजपा पर हमला
- फोटो : ANI
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विस्तार
महाराष्ट्र कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ का इस्तेमाल राजनीतिक ध्रुवीकरण और दिखावटी राष्ट्रवाद फैलाने के लिए कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि भाजपा झूठा प्रचार कर रही है कि कांग्रेस के कुछ मुस्लिम विधायक 'वंदे मातरम' का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस विधायक अस्लम शेख और अमीन पटेल दोनों ने साफ कहा है कि उन्हें गीत से कोई आपत्ति नहीं है। सचिन सावंत ने कहा, 'अगर भाजपा नेता 'वंदे मातरम' गाना चाहते हैं, तो वे हमारे दफ्तर के अंदर आकर गाएं बाहर तमाशा न करें।'
यह भी पढ़ें - 150 Years of Vande Mataram: PM मोदी बोले- 1937 में विभाजन के बीज बोए गए, वही सोच आज भी देश के लिए बड़ी चुनौती
'भाजपा की विभाजनकारी राजनीति उजागर'
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर मुस्लिम विधायकों को निशाना बना रही है ताकि समाज में धार्मिक तनाव पैदा किया जा सके। सचिन सावंत ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा राष्ट्रीय गौरव से जुड़े गीत को भी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। इससे उसकी विभाजनकारी राजनीति उजागर होती है।'
'वंदे मातरम' कांग्रेस की आत्मा का हिस्सा- सचिन सावंत
उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' कांग्रेस की आत्मा का हिस्सा है। 'जब हमारे स्वतंत्रता सेनानी इसे ब्रिटिश राज के खिलाफ गा रहे थे, तब आरएसएस का अस्तित्व भी नहीं था। जो लोग कभी संविधान का विरोध करते थे, जिन्होंने 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, वे आज खुद को देशभक्त कह रहे हैं।' सचिन सावंत ने आगे कहा, 'वंदे मातरम' हमारे लिए त्याग और गर्व का गीत है, लेकिन भाजपा के लिए यह सिर्फ चुनावी नारा बन गया है। वे इसे मंच पर गाते हैं, लेकिन दिल से वे 'नमस्ते सदा वत्सले' जैसे आरएसएस के गीत को पूजते हैं।'
देशभक्ति हमारे खून में है- अमीन पटेल
कांग्रेस विधायक अमीन पटेल ने भी भाजपा के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता उनके कार्यालय के बाहर गीत गाने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैं उनका स्वागत करने के लिए तैयार हूं। अगर वे मेरे दफ्तर आएंगे, तो मैं उन्हें नाश्ता-पानी भी दूंगा।' उन्होंने आगे कहा कि भाजपा को सिर्फ चुनाव के वक्त ही वंदे मातरम याद आता है। 'कांग्रेस को देशभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं। देशभक्ति हमारे खून में है।'
यह भी पढ़ें - Maharashtra: वंदे मातरम पर घमासान; अबु आजमी के राष्ट्रीय गीत गाने से इनकार के बाद भाजपा का हंगामा
पीएम मोदी के बयान पर संदीप दीक्षित का तंज
वहीं 'वंदे मातरम' से दो छंद हटाने संबंधी पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि उन्हें कुछ समझ में आया है। हमें किसी अज्ञानी व्यक्ति को जवाब भी नहीं देना चाहिए। हमारा राष्ट्रगान जन मन गण है। क्या वह छोटा किया गया है या पूरा गाया गया है? केवल कुछ छंद गाए गए हैं... आनंदमठ कविता में, संन्यासी और फकीर विद्रोह एक ऐतिहासिक घटना थी, और इसमें कुछ भी सांप्रदायिक नहीं था... आनंदमठ पुस्तक ने पूरी घटना को कुछ हद तक सांप्रदायिक बना दिया; साधुओं और फकीरों का विद्रोह... और हिंदू-मुस्लिम विभाजन की बात की। यह एक उपन्यास था... कुछ अंश ऐसे हैं जो कभी-कभी एक समुदाय के बारे में सवाल उठाते प्रतीत होते हैं... इसलिए 1935, 1936, 1937 में, नेहरू और सुभाष चंद्र बोस... दोनों ने मिलकर रवींद्रनाथ टैगोर को एक पत्र लिखा कि हमें कौन से छंद शामिल करने चाहिए और कौन से निकालने चाहिए... पंडित नेहरू और नेताजी सुभाष चंद्र बोस दोनों ने इसमें भाग लिया... रवींद्रनाथ ने सुझाव दिया कि पहले दो या तीन छंद भारत माता के लिए एक भजन हैं और पर्याप्त हैं... राष्ट्रीय स्तर पर या किसी सम्मेलन में गाया जाने वाला कोई भी गीत आठ-10 मिनट तक नहीं गाया जा सकता... इसीलिए कुछ छंद चुने गए... अगर वे हर चीज में सांप्रदायिकता देखते हैं, अगर वे कविता नहीं पढ़ सकते हैं, और अगर वे वंदे मातरम को नहीं समझ सकते हैं, और यह नहीं समझ सकते हैं कि इसके सभी छंद क्या कर रहे हैं, तो हम मूर्खों को बैठकर जवाब नहीं दे सकते।'
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'भाजपा की विभाजनकारी राजनीति उजागर'
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर मुस्लिम विधायकों को निशाना बना रही है ताकि समाज में धार्मिक तनाव पैदा किया जा सके। सचिन सावंत ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा राष्ट्रीय गौरव से जुड़े गीत को भी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। इससे उसकी विभाजनकारी राजनीति उजागर होती है।'
'वंदे मातरम' कांग्रेस की आत्मा का हिस्सा- सचिन सावंत
उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' कांग्रेस की आत्मा का हिस्सा है। 'जब हमारे स्वतंत्रता सेनानी इसे ब्रिटिश राज के खिलाफ गा रहे थे, तब आरएसएस का अस्तित्व भी नहीं था। जो लोग कभी संविधान का विरोध करते थे, जिन्होंने 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, वे आज खुद को देशभक्त कह रहे हैं।' सचिन सावंत ने आगे कहा, 'वंदे मातरम' हमारे लिए त्याग और गर्व का गीत है, लेकिन भाजपा के लिए यह सिर्फ चुनावी नारा बन गया है। वे इसे मंच पर गाते हैं, लेकिन दिल से वे 'नमस्ते सदा वत्सले' जैसे आरएसएस के गीत को पूजते हैं।'
देशभक्ति हमारे खून में है- अमीन पटेल
कांग्रेस विधायक अमीन पटेल ने भी भाजपा के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता उनके कार्यालय के बाहर गीत गाने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैं उनका स्वागत करने के लिए तैयार हूं। अगर वे मेरे दफ्तर आएंगे, तो मैं उन्हें नाश्ता-पानी भी दूंगा।' उन्होंने आगे कहा कि भाजपा को सिर्फ चुनाव के वक्त ही वंदे मातरम याद आता है। 'कांग्रेस को देशभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं। देशभक्ति हमारे खून में है।'
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पीएम मोदी के बयान पर संदीप दीक्षित का तंज
वहीं 'वंदे मातरम' से दो छंद हटाने संबंधी पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि उन्हें कुछ समझ में आया है। हमें किसी अज्ञानी व्यक्ति को जवाब भी नहीं देना चाहिए। हमारा राष्ट्रगान जन मन गण है। क्या वह छोटा किया गया है या पूरा गाया गया है? केवल कुछ छंद गाए गए हैं... आनंदमठ कविता में, संन्यासी और फकीर विद्रोह एक ऐतिहासिक घटना थी, और इसमें कुछ भी सांप्रदायिक नहीं था... आनंदमठ पुस्तक ने पूरी घटना को कुछ हद तक सांप्रदायिक बना दिया; साधुओं और फकीरों का विद्रोह... और हिंदू-मुस्लिम विभाजन की बात की। यह एक उपन्यास था... कुछ अंश ऐसे हैं जो कभी-कभी एक समुदाय के बारे में सवाल उठाते प्रतीत होते हैं... इसलिए 1935, 1936, 1937 में, नेहरू और सुभाष चंद्र बोस... दोनों ने मिलकर रवींद्रनाथ टैगोर को एक पत्र लिखा कि हमें कौन से छंद शामिल करने चाहिए और कौन से निकालने चाहिए... पंडित नेहरू और नेताजी सुभाष चंद्र बोस दोनों ने इसमें भाग लिया... रवींद्रनाथ ने सुझाव दिया कि पहले दो या तीन छंद भारत माता के लिए एक भजन हैं और पर्याप्त हैं... राष्ट्रीय स्तर पर या किसी सम्मेलन में गाया जाने वाला कोई भी गीत आठ-10 मिनट तक नहीं गाया जा सकता... इसीलिए कुछ छंद चुने गए... अगर वे हर चीज में सांप्रदायिकता देखते हैं, अगर वे कविता नहीं पढ़ सकते हैं, और अगर वे वंदे मातरम को नहीं समझ सकते हैं, और यह नहीं समझ सकते हैं कि इसके सभी छंद क्या कर रहे हैं, तो हम मूर्खों को बैठकर जवाब नहीं दे सकते।'
#WATCH | Delhi | On PM Modi's statement regarding removing stanzas from 'Vande Mataram', Congress leader Sandeep Dikshit says, "I don't think they understand anything. We shouldn't even have to answer an ignorant person. Our national anthem is Jana Mana Gana. Is that truncated or… pic.twitter.com/dszgje3fDw
— ANI (@ANI) November 7, 2025
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