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Bombay High Court: भिवंडी हादसे पर सख्त हुआ बॉम्बे हाईकोर्ट, निर्माण स्थलों की सुरक्षा पर दोबारा उठाया सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 08 Aug 2025 12:23 PM IST
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सार

भिवंडी में मेट्रो साइट से लोहे की रॉड गिरने से युवक घायल होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 की याचिका फिर से खोली है। कोर्ट ने सुरक्षा उपायों की अनदेखी पर चिंता जताई और कहा कि ऐसी घटनाएं आम जनता के जीवन के अधिकार का हनन हैं। साथ ही कोर्ट ने समिति की सिफारिशों को तुरंत लागू करने के भी निर्देश दिए है।

Bombay High Court became strict on Bhiwandi accident raised questions on the safety of construction sites
बॉम्बे हाईकोर्ट। - फोटो : ANI
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विस्तार
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में भिवंडी में हुए एक गंभीर हादसे के बाद 2024 में दायर की गई याचिका को फिर से खोल दिया है। यह याचिका मुंबई और आसपास के इलाकों में ऊंची इमारतों और निर्माण स्थलों पर हो रही सुरक्षा लापरवाहियों को लेकर थी। दरअसल, 5 अगस्त को ठाणे जिले के भिवंडी इलाके में एक निर्माणाधीन मेट्रो साइट से एक लोहे की रॉड चलती हुई ऑटो रिक्शा पर गिर गई, जो सीधे एक 20 साल के युवक के सिर में घुस गई, जिससे युवक बुरी तरह घायल हो गया। यह युवक ऑटो में यात्री के रूप में सफर कर रहा था। इस घटना से लोगों में भारी दहशत है।

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मामले में इस घटना पर चिंता जताते हुए न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि ऐसी लापरवाह घटनाएं लगातार हो रही हैं, जबकि 2023 में हाईकोर्ट के निर्देश पर एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी, जिसने निर्माण स्थलों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए थे। लेकिन अभी तक उन सिफारिशों को सभी नगर निगमों और प्लानिंग अथॉरिटीज को नहीं भेजा गया है। मामले में अगली सुनवाई की तारीख 12 अगस्त तय की गई है।

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कोर्ट ने दोहराई अपनी पुरानी टिप्पणी
मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपनी पुरानी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि हमने आशा जताई थी कि मुंबई की ऊंची इमारतों के निर्माण से किसी भी आम आदमी की जान को खतरा नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह से जान को खतरे में डालना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और आजीविका के अधिकार का उल्लंघन है।


ऐसे में अब जबकि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को निर्देश दिया है कि वह समिति की सिफारिशें रिकॉर्ड पर रखे, ताकि राज्य सरकार उन्हें सभी नगर निगमों और नियोजन प्राधिकरणों तक भेज सके। अदालत ने कहा कि ये सुरक्षा उपाय जनहित में हैं, इसलिए इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। 

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कहां से मामले ने पकड़ ली तूल?
बता दें कि ये पूरा मामला दो सार पहले यानी साल 2023 का है। जब वर्ली इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत की 52वीं मंजिल से सीमेंट का ब्लॉक गिरने से दो राहगीरों की मौत हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए (सुओ मोटू) मामले की सुनवाई शुरू की थी और सुरक्षा उपायों के लिए समिति गठित करने का आदेश दिया था।

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