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Bombay High Court: 'गैर-निर्धारित जगह पर फीडिंग रोकना अपराध नहीं', आवारा कुत्तों के मामले में कोर्ट की टिप्पणी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: हिमांशु चंदेल Updated Tue, 23 Dec 2025 04:05 PM IST
सार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि गैर-निर्धारित जगहों पर आवारा कुत्तों को खाना देने से रोकना अपराध नहीं है। अदालत ने पुणे के एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा कि यह कदम बच्चों और निवासियों की सुरक्षा के लिए था। 

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Bombay High Court remarks Stopping someone from feeding strays in non-designated areas is not illegal
बॉम्बे हाईकोर्ट। - फोटो : ANI
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विस्तार
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आवारा कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर सोसायटियों में अक्सर होने वाले विवादों पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम और स्पष्ट फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि गैर-निर्धारित जगहों पर आवारा कुत्तों को खाना देने से किसी को रोकना कानूनन अपराध नहीं है और इसे न तो गलत तरीके से रोकना माना जा सकता है और न ही अवैध। अदालत ने इस फैसले से आम नागरिकों और आवासीय समितियों को बड़ी राहत दी है।

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न्यायमूर्ति मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की पीठ ने पुणे के 42 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द कर दिया। उस व्यक्ति पर आरोप था कि उसने एक महिला और उसके साथियों को अपनी हाउसिंग सोसायटी के गेट पर आवारा कुत्तों को खाना देने से रोका और कथित तौर पर उन्हें बाहर जाने से भी रोका। अदालत ने कहा कि ऐसे हालात में यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध नहीं बनता।
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गैर-निर्धारित जगह पर रोकना गलत नहीं
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि फुटपाथ, सोसायटी के प्रवेश और निकास द्वार, स्कूल बस स्टॉप जैसे स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना देने से रोकना स्वैच्छिक बाधा या गलत तरीके से रोकना नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति गैर-निर्धारित स्थान पर कुत्तों को खाना खिला रहा है और उसे रोका जाता है, तो यह कानून का उल्लंघन नहीं है।

बच्चों की सुरक्षा अहम
अदालत ने माना कि आरोपी का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि सोसायटी में रहने वाले बच्चों और अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। रिकॉर्ड में यह बात सामने आई कि उस सोसायटी में पहले भी कुत्तों के काटने और हमले की घटनाएं हो चुकी थीं। ऐसे में कुत्तों को उन जगहों पर खाना देने से रोकना, जहां बच्चों की आवाजाही रहती है, किसी भी तरह से अवैध नहीं कहा जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट और नियमों का हवाला
हाईकोर्ट ने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के पुराने फैसलों और एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों का भी हवाला दिया। अदालत ने कहा कि इन नियमों में आवारा कुत्तों के लिए तय फीडिंग एरिया का प्रावधान है और उसी के अनुसार खाना दिया जाना चाहिए। आरोपी ने शिकायतकर्ता को केवल यह बताया था कि वह स्थान निर्धारित फीडिंग स्पॉट नहीं है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता।

हिंजेवाड़ी थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता जब आवारा कुत्तों को खाना देने आई थीं, तब सोसायटी के लोगों ने आपत्ति जताई और उनके सामने खड़े हो गए। आरोपी ने अदालत को बताया कि सोसायटी में 40 से अधिक आवारा कुत्ते हैं, जिससे निवासियों को परेशानी हो रही है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे हालात में किसी को गैर-निर्धारित जगह पर कुत्तों को खाना देने से रोकना पूरी तरह कानूनी है और इसे अपराध नहीं ठहराया जा सकता।

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