{"_id":"68d0fcf5887c1f267f0195ad","slug":"bombay-high-court-three-judge-bench-recused-from-hearing-maratha-reservation-case-chief-justice-hear-matter-2025-09-22","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bombay HC: मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई से तीन जजों की बेंच ने खुद को अलग किया, अब चीफ जस्टिस सुनेंगे मामला","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Bombay HC: मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई से तीन जजों की बेंच ने खुद को अलग किया, अब चीफ जस्टिस सुनेंगे मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Mon, 22 Sep 2025 01:08 PM IST
सार
बॉम्बे हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मराठा आरक्षण पर दायर याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। मामला मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी श्रेणी में शामिल करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले से जुड़ा है। कुनबी सेना और अन्य संगठनों ने इसे मनमाना और असंवैधानिक बताया। अब मामला मुख्य न्यायाधीश की बेंच सुनेगी।
विज्ञापन
बंबई उच्च न्यायालय
- फोटो : एएनआई (फाइल)
विज्ञापन
विस्तार
मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार के हालिया फैसले पर दायर याचिकाओं की सुनवाई से बॉम्बे हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने खुद को अलग कर लिया। मामला उन आदेशों से जुड़ा है जिनमें मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र जारी कर उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले को ओबीसी संगठनों ने मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है।
कुल पांच याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें कुनबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मंडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल शामिल हैं। उनका कहना है कि सरकार का फैसला तीन जातियों कुनबी, कुनबी मराठा और मराठा कुनबी के प्रमाणपत्र जारी करने के मानकों को बदल देता है। यह न केवल अस्पष्ट है बल्कि इससे अराजक स्थिति पैदा होगी।
जस्टिस संदीप पाटिल का बयान
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप पाटिल ने कहा कि वे इन पर सुनवाई नहीं कर सकते। इसके बाद जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीप पाटिल की बेंच ने मामले से खुद को अलग कर लिया। अब यह याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकल की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए पेश की जाएंगी।
ये भी पढ़ें- सीएम स्टालिन बोले- मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करेगी DMK, वक्फ कानून-तीन तलाक पर भाजपा को घेरा
जारंगे की भूमिका और सरकार का कदम
सरकार का यह फैसला मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जारंगे के आंदोलन के बाद लिया गया। जारंगे ने 29 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन तक भूख हड़ताल की थी। इस दौरान उनके समर्थकों ने शहर के कई इलाकों में प्रदर्शन किया, जिससे बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि मुंबई ठप हो गई है।
सरकार का जीआर और समिति गठन
दो सितंबर को राज्य सरकार ने हैदराबाद गजेटियर पर आधारित एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया और समिति बनाने का ऐलान किया। यह समिति उन मराठा परिवारों की पहचान करेगी जो ऐतिहासिक रूप से कुनबी दर्ज हैं। ऐसे लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा और वे ओबीसी कोटे का लाभ ले सकेंगे।
ये भी पढ़ें- 'DNA, CCTV फुटेज से हुई मुख्य आरोपी की भूमिका की पुष्टि', कोलकाता पुलिस का आरोपपत्र में दावा
ओबीसी समाज की नाराजगी
सरकार के इस कदम से ओबीसी समाज में बेचैनी है। सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी किए गए जीआर के बाद ओबीसी संगठनों ने चिंता जताई है कि इससे उनकी आरक्षण व्यवस्था प्रभावित होगी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह परिपत्र तरीके से मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में शामिल करने की कोशिश है, जो कानूनन गलत है। दरअसल, ओबीसी समुदाय का मानना है इस फैसले से उनके कोटे का आरक्षण बंट जाएगा.
Trending Videos
कुल पांच याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें कुनबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मंडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल शामिल हैं। उनका कहना है कि सरकार का फैसला तीन जातियों कुनबी, कुनबी मराठा और मराठा कुनबी के प्रमाणपत्र जारी करने के मानकों को बदल देता है। यह न केवल अस्पष्ट है बल्कि इससे अराजक स्थिति पैदा होगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
जस्टिस संदीप पाटिल का बयान
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप पाटिल ने कहा कि वे इन पर सुनवाई नहीं कर सकते। इसके बाद जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीप पाटिल की बेंच ने मामले से खुद को अलग कर लिया। अब यह याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकल की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए पेश की जाएंगी।
ये भी पढ़ें- सीएम स्टालिन बोले- मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करेगी DMK, वक्फ कानून-तीन तलाक पर भाजपा को घेरा
जारंगे की भूमिका और सरकार का कदम
सरकार का यह फैसला मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जारंगे के आंदोलन के बाद लिया गया। जारंगे ने 29 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन तक भूख हड़ताल की थी। इस दौरान उनके समर्थकों ने शहर के कई इलाकों में प्रदर्शन किया, जिससे बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि मुंबई ठप हो गई है।
सरकार का जीआर और समिति गठन
दो सितंबर को राज्य सरकार ने हैदराबाद गजेटियर पर आधारित एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया और समिति बनाने का ऐलान किया। यह समिति उन मराठा परिवारों की पहचान करेगी जो ऐतिहासिक रूप से कुनबी दर्ज हैं। ऐसे लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा और वे ओबीसी कोटे का लाभ ले सकेंगे।
ये भी पढ़ें- 'DNA, CCTV फुटेज से हुई मुख्य आरोपी की भूमिका की पुष्टि', कोलकाता पुलिस का आरोपपत्र में दावा
ओबीसी समाज की नाराजगी
सरकार के इस कदम से ओबीसी समाज में बेचैनी है। सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी किए गए जीआर के बाद ओबीसी संगठनों ने चिंता जताई है कि इससे उनकी आरक्षण व्यवस्था प्रभावित होगी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह परिपत्र तरीके से मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में शामिल करने की कोशिश है, जो कानूनन गलत है। दरअसल, ओबीसी समुदाय का मानना है इस फैसले से उनके कोटे का आरक्षण बंट जाएगा.
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन