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Telangana Politics: BRS पार्टी पहुंची दिल्ली हाईकोर्ट; 'कार' से मिलते-जुलते चुनाव निशानों को हटाने की मांग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Thu, 12 Oct 2023 03:54 PM IST
सार

बीआरएस नेता रावुला श्रीधर रेड्डी ने कहा कि हमने चुनाव आयोग को प्रतीकों को शामिल न करने का निर्देश देने के हमारे अनुरोध पर विचार करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ये प्रतीक बीआरएस पार्टी के चुनाव चिह्न 'कार' से मिलते-जुलते हैं।

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BRS move to Delhi High Court seeking removal of car-like symbols in telangana assembly elections
केसीआर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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तेलंगाना में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव आयोग ने इसकी तारीखों की भी घोषणा कर दी है। इससे पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने अपने चुनाव निशान कार से मिलते-जुलते प्रतीकों को हटाने की अपनी मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बीआरएस नेता रावुला श्रीधर रेड्डी ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि वे अपनी मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे हैं। 

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क्या बोले बीआरएस नेता रावुला श्रीधर रेड्डी? 
बीआरएस नेता रावुला श्रीधर रेड्डी ने कहा कि हमने चुनाव आयोग को कुछ प्रतीकों को शामिल न करने का निर्देश देने के हमारे अनुरोध पर विचार करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ये प्रतीक बीआरएस पार्टी के चुनाव चिह्न 'कार' से मिलते-जुलते हैं। उन्होंने कहा कि जब वोटर वोट करने के लिए ईवीएम पर जाते हैं, तो वहां कुछ चिह्न जैसे रोड रोलर, चपाती मेकर, कैमरा आदि कार की तरह ही होते हैं। ऐसे में कई बार लोग बीआरएस को वोट देना चाहते हैं, लेकिन सही प्रतीकों की पहचान न कर पाने के कारण वे लोग दूसरे निशान पर मतदान कर सकते हैं।  
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चुनाव आयोग के पास भी पहुंचा था बीआरएस का प्रतिनिधिमंडल
गौरतलब है कि इससे पहले केसीआर की पार्टी ने चुनाव आयोग में भी अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। बीआरएस का प्रतिनिधिमंडल ने 27 सितंबर को अपनी मांग को लेकर चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा था। बीआरएस पार्टी के कार चुनाव चिन्ह से मिलता-जुलता रोड रोलर चुनाव चिन्ह दूसरी पार्टी को दिये जाने पर प्रतिनिधिमंडल ने न केवल अपना विरोध जताया था बल्कि चुनाव आयोग से तत्काल समाधान का आग्रह भी किया था।

बता दें कि तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होना है। वहीं, चुनाव के नतीजे तीन दिसंबर को आ जाएंगे। तेलंगाना में 35 हजार से अधिक मतदान केंद्र हैं। अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो तेलंगाना में 3.17 करोड़ मतदाता हैं। 
गौरतलब है, तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) की सरकार है। 2018 में आए चुनाव नतीजों के बाद तेलंगाना में तत्कालीन तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने सरकार बनाई थी और के. चंद्रशेखर राव राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। 

अभी क्या है विधानसभा की स्थिति?
2018 के चुनाव के बाद 119 सदस्यीय विधानसभा में बीआरएस की 88, कांग्रेस की 19, आईएमआईएम की सात, टीडीपी की दो, भाजपा की एक, एआईएफबी की एक सीट थी। इसके अलावा एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुए चार उपचुनावों में से तीन पर सत्ताधारी बीआरएस ने जीत दर्ज की। पहले इनमें से तीन सीटें उसके पास थी जबकि बीआरएस ने एक सीट कांग्रेस ने छीन ली। वहीं, एक सीट भाजपा ने बीआरएस की कब्जाई। इसके अलावा कांग्रेस के 12 विधायकों के बीआरएस में शामिल होने से पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ गई है। इस वक्त 119 सदस्यीय विधानसभा में बीआरएस के 101, एआईएमआईएम के सात, कांग्रेस के पांच और भाजपा के तीन विधायक हैं। दो सीट पर निर्दलीय विधायक हैं, जबकि एक सीट अभी खाली है। 

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