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Bypolls: मैनपुरी, रामपुर समेत इन छह सीटों पर उपचुनाव, जानें मुलायम और आजम की खाली सीटों का नया समीकरण

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Sat, 05 Nov 2022 05:39 PM IST
सार

जिन पांच राज्यों की विधानसभा सीटों पर चुनाव का एलान किया गया है, उनमें ओडिशा की पदमपुर सीट, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार की कुरहनी, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर, उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट शामिल हैं। इसके अलावा जिस संसदीय सीट पर उपचुनाव होने हैं, वह है उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट, जो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है। 
 

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Bypolls in six seats including Mainpuri, Rampur, know the new equation of vacant seats of Mulayam and Azam
उपचुनाव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव के शोरगुल के बीच चुनाव आयोग ने पांच राज्यों की पांच विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव की तिथियों का भी एलान कर दिया। इन सीटों पर पांच दिसंबर को मतदान होगा, जबकि आठ दिसंबर को हिमाचल और गुजरात चुनाव के साथ इन सीटों के भी नतीजे आएंगे।  
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जिन पांच राज्यों की विधानसभा सीटों पर चुनाव का एलान किया गया है, उनमें ओडिशा की पदमपुर सीट, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार की कुरहनी, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर, उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट शामिल हैं। इसके अलावा जिस संसदीय सीट पर उपचुनाव होने हैं, वह है उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट, जो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है। 
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इन सीटों पर मौजूदा समीकरण क्या हैं? कौन सी पार्टी का प्रभाव ज्यादा है और पिछले चुनाव में क्या हुआ था? आइए जानते हैं... 
 

पहले चुनाव का पूरा कार्यक्रम जान लीजिए
चुनाव आयोग के मुताबिक, उपचुनाव के लिए अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है। नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 21 नवंबर है। पांच दिसंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। इसी दिन हिमाचल और गुजरात चुनाव के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।
 

मुलायम के मैनपुरी में अब क्या होगा? 
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह मैनपुरी लोकसभा सीट से 2019 में सांसद चुने गए थे। पिछले महीने 10 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई है। अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर भाजपा और सपा दोनों ने कमर कस ली है। सपा किसी भी हालत में ये सीट अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है, जबकि भाजपा ने रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा की तरह यहां भी जीत हासिल करने की कोशिश करेगी। 

 

पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य ने चुनाव लड़ा था। मुलायम को 5.24 लाख वोट मिले थे, जबकि शाक्य के खाते में 4.30 लाख वोट गए थे। चर्चा है कि भाजपा यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव या फिर उनके समधी हरिओम यादव को टिकट दे सकती है। मैनपुरी में शाक्य, लोधी वोटर्स की संख्या भी काफी अधिक है। ऐसे में भाजपा अपने पुराने प्रत्याशी पर भी दांव लगा सकती है। 

वहीं, सपा की तरफ से अखिलेश यादव परिवार के ही किसी सदस्य को मौका मिल सकता है। धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव या परिवार के किसी अन्य सदस्य को मौका दिए जाने की अटकलें हैं। सपा सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह के निधन के बाद अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में भी नमी देखी गई है। ऐसे में ये भी संभव है कि मैनपुरी सीट से अखिलेश यादव अपने चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव को चुनाव लड़वा सकते हैं। दोनों के बीच, राजनीतिक दायरे का भी बंटवारा हो सकता है। अखिलेश यूपी और शिवपाल केंद्र की जिम्मेदारी संभाल सकते। ऐसा होने से परिवार का विवाद खत्म हो जाएगा। 

शिवपाल सिंह यादव इस ओर इशारा भी कर चुके हैं। सपा में वापसी के सवाल पर उन्होंने हाल ही में मीडिया के सामने बयान दिया था। शिवपाल ने कहा था कि अभी वह सही रोल का इंतजार कर रहे हैं। शिवपाल ने कहा, 'अभी मैं सही रोल का इंतजार कर रहा हूं। वर्तमान में नेताजी के जाने से हम सभी दुखी हैं।'
 

रामपुर विधानसभा सीट का क्या होगा? 
रामपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है।आजम खान को तीन साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई। इस वजह से यहां चुनाव हो रहे हैं। इसी साल मार्च में हुए चुनाव में आजम खान ने रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। आजम को 1.31 लाख वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना हनी को 76 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को महज चार-चार हजार वोट मिले थे।

अब आजम को सजा मिलने के बाद उनकी सीट से उनकी पत्नी तंजीन फातिमा चुनाव लड़ सकती हैं। आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम भी रामपुर की स्वार सीट से विधायक हैं। वहीं, भाजपा फिर से आकाश सक्सेना पर दांव लगा सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लड़ने वाले नवाब काजिम अली को भी भाजपा से मौका मिल सकता है। नवाब कााजिम अली कई बार भाजपा सरकार की तारीफ कर चुके हैं और रामपुर में आजम खान परिवार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। 
 

बाकी सीटों पर क्या होगा? 

1. पदमपुर (ओडिशा) : इस सीट से 2019 विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल (बीजद) के बिजय रंजन सिंह बरिहा विधायक चुने गए थे। बिजय रंजन को कुल 83,299 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के प्रदीप पुरोहित ने 77,565 वोट हासिल किए थे। इस बार भाजपा फिर से प्रदीप पर दांव लगा सकती है। वहीं, बीजद की तरफ से बिजय रंजन के परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिल सकता है। बिजय रंजन के परिवार का सदस्य अगर चुनाव लड़ता है तो उसे जनता की संवेदना भी मिलेगी। 
 
2. सरदारशहर (राजस्थान): इस सीट से कांग्रेस के विधायक रहे भंवरलाल शर्मा का पिछले महीने नौ अक्तूबर को निधन हो गया था। इसके बाद से ये सीट खाली है। अब यहां उपचुनाव होना है। कांग्रेस यहां से भंवरलाल शर्मा के परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है। वहीं, भाजपा अपने पुराने प्रत्याशी अशोक कुमार पर दांव लगा सकती है। 2018 चुनाव में अशोक ने 78 हजार वोट हासिल किए थे। भंवरलाल को 95 हजार वोट मिले थे। 

3. कुरहनी (बिहार) : इस सीट से 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल कुमार साहनी चुनाव लड़े थे। साहनी भी अयोग्य घोषित हो चुके हैं। अवकाश एवं यात्रा भत्ता (एलटीसी) घोटाला मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने अनिल कुमार साहनी को तीन के खिलाफ सजा सुनाई है। उनके अयोग्य घोषित होने के बाद से ये सीट खाली है।  

4. भानुप्रताप पुर (छत्तीसगढ़) : 2018 में इस सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के मनोज सिंह मांडवी ने चुनाव जीता था। मांडवी छत्तीसगढ़ विधानसभा में उपाध्यक्ष भी थे। पिछले महीने 16 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। मांडवी के निधन से खाली हुई इस सीट पर अब कांग्रेस उनके परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ा सकती है। वहीं, भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार देवलाल दुग्गा पर दांव लगा सकती है। 2018 चुनाव में दुग्गा दूसरे नंबर पर थे।
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