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Tamil Nadu: 'सांसदों की संख्या में छेड़छाड़ से बिगड़ेगा संघीय संतुलन', परिसीमन पर बैठक के बाद बोले KT रामा राव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई Published by: पवन पांडेय Updated Sat, 22 Mar 2025 04:00 PM IST
सार

JAC On Delimitation: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में परिसीमन को लेकर हुई बैठक में शामिल होने के बाद भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा कि, केवल जनसंख्या ही परिसीमन का मानदंड क्यों होनी चाहिए?

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Chennai: BRS Working President ktr, Tamil Nadu CM MK Stalin, JAC meeting, delimitation, News in hindi
केटी रामा राव, बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष - फोटो : ANI
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विस्तार
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परिसीमन के मुद्दे को लेकर आज तमाम विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं की बैठक चेन्नई में हुई। इस बैठक को ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) नाम दिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने किया। वहीं इस बैठक में तेलंगाना की प्रमुख विपक्षी बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव भी शामिल हुए। इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए केटी रामा राव (केटीआर) ने कहा, 'हम प्रस्ताव कर रहे हैं कि केंद्र सरकार को राज्य के भीतर विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए ताकि जहां भी जनसंख्या में वृद्धि हो, प्रतिनिधित्व, बेहतर प्रशासन और विकेंद्रीकरण की चुनौतियों से निपटा जा सके... क्योंकि सांसदों की संख्या में छेड़छाड़ संघीय संतुलन को बिगाड़ देगी'।
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'जनसंख्या ही परिसीमन का मानदंड क्यों?'
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक केटीआर ने आगे कहा, 'यदि आप सांसदों की सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए दृढ़ हैं, तो या तो राष्ट्रीय औसत वृद्धि दर लें या हर राज्य के लिए समान अनुपात बनाए रखें... केवल जनसंख्या ही परिसीमन का मानदंड क्यों होनी चाहिए? राजकोषीय योगदान, विकास या प्रगति क्यों नहीं?... हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व को पुराने घावों को भरने का प्रयास करना चाहिए, न कि नए घाव बनाने का... यदि भारत को वास्तव में 2047 तक महाशक्ति बनना है, तो आज का क्रम सहकारी संघवाद है, न कि बलपूर्वक संघवाद।'



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परिसीमन को लेकर जेएसी ने रखी दो प्रमुख प्रस्ताव
इस दौरान केटीआर ने परिसीमन पर पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक पर कहा, 'हमने दो बातें कही, पहली, अगर परिसीमन अधिक प्रतिनिधित्व के लिए है, तो हम हर राज्य में विधायकों की सीटों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाते हैं, यही हमारा प्रस्ताव है। दूसरी बात, अगर संसद की सीटों की संख्या बढ़ानी है, तो उन्हें उसी अनुपात में बढ़ाना होगा, जो आज है। अन्यथा, यह उन राज्यों के साथ वास्तव में अन्याय होगा, जिन्होंने हर संकेतक पर असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, चाहे वह शिक्षा हो, सामाजिक संकेतक हों, या यहां तक कि जनसंख्या नियंत्रण और स्वास्थ्य आदि'।




 
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