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चिंताजनक: प्रदूषण का कहर बच्चों पर सर्वाधिक, वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरणीय नहीं; स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 13 Nov 2025 07:40 AM IST
सार

नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदूषण सबसे अधिक बच्चों पर कहर बरपा रहा है। स्वास्थ्य बीमा दावों के आंकड़ों के मुताबिक, 0-10 साल के बच्चों से जुड़े प्रदूषण दावे 43% हैं, यानी उनका असर बाकी सभी उम्र के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है। दिल्ली, बंगलूरू और हैदराबाद में दावे सबसे अधिक हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों में आठ फीसदी प्रदूषण से संबंधित हैं।

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Children are most affected by pollution air pollution is not just an environmental issue News In Hindi
प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर (एआई द्वारा बनाई गई तस्वीर) - फोटो : Google Gemini
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विस्तार
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प्रदूषण सबसे अधिक कहर मासूमों पर बरपा रहा। यह सच्चाई स्वास्थ्य बीमा से जुड़े दावों से सामने आई है। दरअसल प्रदूषण से जुड़े सभी स्वास्थ्य बीमा दावों में से 43 फीसदी 0-10 वर्ष के उम्र के बच्चों के हैं। पॉलिसी बाजार की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बच्चों पर प्रदूषण का असर बाकी सभी आयु वर्गों के मुकाबले पांच गुना अधिक पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 31–40 साल की उम्र वालों के प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य बीमा दावे 14 फीसदी हैं, जबकि 60 साल से ऊपर के लोगों का हिस्सा महज सात फीसदी है।

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अस्पताल में भर्ती होने वाले कुल मामलों में से आठ फीसदी प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के हैं, जिनमें सांस और हृदय संबंधी रोग सबसे अधिक हैं। प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य बीमा दावे दिल्ली में सबसे अधिक दर्ज किए गए हैं, जबकि बंगलूरू और हैदराबाद में दावों का अनुपात अधिक रहा। जयपुर, लखनऊ और इंदौर जैसे टियर-2 शहरों में भी मामलों में बढ़ोतरी हुई है यानी अब यह संकट सिर्फ महानगरों के दायरों तक नहीं है।
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रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी
रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि वायु प्रदूषण अब पर्यावरणीय नहीं बल्कि जन स्वास्थ्य आपातकाल बन गया है। बीमारियों के कारण इलाज की लागत में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रदूषण से जुड़ा औसत बीमा दावा 55,000 रुपये और अस्पताल का औसत खर्च 19,000 रुपये प्रतिदिन था।

सितंबर में नौ फीसदी बीमा दावे प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के
देश के कई हिस्सों में अक्तूबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत के बीच प्रदूषण का स्तर पराली जलाने, आतिशबाजी और सर्दियों में स्थिर हवा के कारण मध्यम से गंभीर हो जाता है। अकेले सितंबर 2025 में, अस्पताल में भर्ती होने के सभी दावों में से नौ फीसदी वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से जुड़े थे। मरीज प्रदूषण संबंधी बीमारियों जैसे सांस की तकलीफ, हृदय रोग, त्वचा और आंखों की एलर्जी से पीड़ित थे।

दिवाली के आसपास बढ़ती  हैं बीमारियां
प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां दिवाली के आसपास बढ़ती हैं। इस दौरान प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां दिवाली के वक्त समय सबसे अधिक सिर उठाती हैं। त्योहार के बाद ऐसे दावे 14 फीसदी तक बढ़ जाते हैं, जो इस दौरान भारत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में तेज वृद्धि देखी गई। इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है और हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।

चार साल से लगातार बढ़ रही समस्या
बीते चार वर्षों में प्रदूषण से जुड़े बीमा दावों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। प्रदूषण से जुड़े दावे दिवाली से पहले 2022 में 6.4 फीसदी से बढ़कर 2025 में दिवाली के बाद 9 फीसदी तक पहुंच गए। यह बढ़ते स्वास्थ्य बोझ की तरफ इशारा करता है। प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को नहीं, कई अंगों को करता है घायल रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों पर नहीं बल्कि कई अंगों पर पड़ता है। आम बीमारियों में अस्थमा, सीओपीडी, अनियमित हृदय गति, हाई ब्लड प्रेशर, एक्जिमा, कंजंक्टिवाइटिस, गर्भावस्था जटिलताएं और साइनस एलर्जी शामिल हैं।

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