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भारत-अमेरिका वायुसेना: दक्षिण में द्विपक्षीय युद्धाभ्यास, सुखोई-30 और बी-1बी लांसर की संयुक्त उड़ान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 13 Nov 2025 08:20 AM IST
सार

भारत और अमेरिका की वायुसेना 10 नवंबर से दक्षिण भारत में द्विपक्षीय युद्धाभ्यास कर रही है। इसमें भारतीय सुखोई-30 और मिराज-2000 विमान अमेरिकी बी-1बी लांसर के साथ उड़ान भर रहे हैं। अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सीख और अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाना है। यह पहला मौका है जब सुखोई-30 इस अमेरिकी बमवर्षक के साथ समन्वित मिशन में शामिल हुआ।

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India-US Air Force Bilateral maneuvers in the south, joint flight of Sukhoi-30 and B-1B Lancer
दक्षिण में युद्धाभ्यास - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत और अमेरिका की वायुसेना के बीच दक्षिण भारत में द्विपक्षीय युद्धाभ्यास चल रहा है। इसमें भारत की ओर से सुखोई-30 लड़ाकू विमान और अमेरिकी वायुसेना से लंबी दूरी का सुपरसोनिक बमवर्षक बी-1बी लांसर भाग ले रहा है। 10 नवंबर से शुरू हुआ यह अभ्यास बृहस्पतिवार तक चलेगा। वायुसेना ने बुधवार को एक्स पर लिखा कि वह अमेरिकी वायुसेना के साथ द्विपक्षीय अभ्यास में भाग ले रही, जिसका उद्देश्य दोनों वायुसेनाओं के बीच सीख और अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाना है।

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वायुसेना ने यह भी लिखा कि युद्धाभ्यास में बी-1बी लांसर भाग ले रहा है। वायुसेना ने युद्धाभ्यास की तस्वीरें भी साझा की। इन तस्वीरों में सुखोई-30 एमकेआई के साथ मिराज-2000 भी अमेरिकी बी-1बी लांसर के साथ उड़ान भरता दिखाई दिया। रूसी मूल के सुखोई-30 ने पहले भी अमेरिकी वायुसेना के साथ युद्धाभ्यास किया है, लेकिन यह पहला मौका है, जब भारतीय वायुसेना का यह विमान इस अमेरिकी बमवर्षक के साथ समन्वित मिशन में हिस्सा ले रहा है। बी-1बी लांसर लंबी दूरी के मिशन में सटीक हमलों के लिए उपयोग किया जाता है। यह विमान इस साल फरवरी में बंगलूरू में आयोजित एयरो इंडिया शो में भी आया था।
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बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर दिखी भारत की संयुक्त सैन्य शक्ति
भारतीय सेनाओं ने पूर्वी हिमालय की दुर्गम घाटियों में एक्सरसाइज पूर्वी प्रचंड प्रहार के जरिये एकजुटता और सामरिक कौशल का शानदार प्रदर्शन किया। पूर्वी कमान के तत्वावधान में आयोजित इस व्यापक संयुक्त सैन्य अभ्यास ने भारत की बढ़ती सैन्य समन्वय क्षमता का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया।

सेना अधिकारियों के मुताबिक, इस युद्धाभ्यास में भारतीय थलसेना की स्पीयरहेड डिवीजन, वायुसेना, नौसेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अभूतपूर्व समन्वय और सहयोग का प्रदर्शन किया। बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच किए गए इस अभ्यास का मुख्य मकसद तेजी से फोर्स मोबिलाइजेशन, सटीक तालमेल और बहु-क्षेत्रीय (मल्टी-डोमेन) संचालन की क्षमता को परखना था। अधिकारियों ने कहा कि आईटीबीपी की सक्रिय भागीदारी ने सशस्त्र बलों और नागरिक एजेंसियों के बीच सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह अभ्यास आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनने के भारत के संकल्प को पुष्ट करता है।

भारतीय सेना का अखंड प्रहार अभ्यास तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमता का प्रदर्शन
भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के कोणार्क कोर की टुकड़ियां जैसलमेर के रेगिस्तानी क्षेत्र में चल रहे अखंड प्रहार सैन्य अभ्यास में भाग ले रही हैं। यह अभ्यास तीनों सेनाओं थल, वायु और नौसेना के संयुक्त ढांचे त्रिशूल के तहत किया जा रहा है। इसका उद्देश्य संयुक्त युद्ध तत्परता और संचालनात्मक एकीकरण को प्रदर्शित करना है। इसी कड़ी में सेना की नवगठित रुद्र इंटीग्रेटेड ऑल आर्म्स ब्रिगेड ने थार मरुस्थल में चल रहे सैन्य अभ्यास अखंड प्रहार के दौरान ऑपरेशनल वेलिडेशन पूरा कर लिया।

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