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जलवायु आपदाओं का भारत पर भारी असर: तीन दशकों में 80 हजार मौतें, एक अरब प्रभावित; वैश्विक जोखिम में 9वां स्थान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 13 Nov 2025 07:56 AM IST
सार

पिछले 30 वर्षों में भारत जलवायु आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर है। वर्ष 1995-2024 के बीच 430 से अधिक बाढ़, चक्रवात, लू और सूखे जैसी घटनाओं ने एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित किया और 80 हजार से ज्यादा की जान ली। अकेले 2024 में बाढ़, लू और सूखे से करोड़ों लोग प्रभावित हुए।

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India is facing a significant impact from climate disasters 80,000 deaths in three decades News In Hindi
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Google Gemini
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विस्तार
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पिछले तीन दशकों में जलवायु आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत नौवें स्थान पर है। जर्मनवॉच की क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (सीआरआई) 2026 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। ब्राजील के बेलेम में कॉप30 में जारी, क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत बार-बार आने वाली बाढ़, चक्रवात, लू और सूखे जैसी आपदाओं से लगातार प्रभावित होता रहा है। इसके चलते न केवल जनजीवन बल्कि, अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है। वर्ष 1995 से 2024 के बीच भारत में 430 से अधिक मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं हैं। इन घटनाओं से देश के एक अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए, जबकि 80 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई। इससे देश को करीब 170 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।

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2024 में 15वें स्थान पर रहा भारत : रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में 15वें स्थान पर रहा, जबकि 30 साल की अवधि के आकलन में नौवें स्थान पर रहा। 2024 में वैश्विक स्तर पर बाढ़ सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा रही, इससे करीब पांच करोड़ लोग प्रभावित हुए। इसके बाद लू से 3.3 करोड़ और सूखे से लगभग 2.9 करोड़ लोग प्रभावित हुए। अकेल साल 2024 में मानसूनी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में करीब 80 लाख लोगों को प्रभावित किया। विशेषरूप से गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में इस तरह के हालात बने थे।
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संकट में आजीविका
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की स्थिति लगातार जलवायु आपदा के बढ़ते खतरे को दर्शाती है। बार-बार होने वाली मौसमी घटनाएं भी लोगों की आजीविका को कमजोर बना रही हैं। पिछले वर्ष दुनियाभर में सबसे ज्यादा नुकसान बाढ़ और तूफानों से हुआ। इसके चलते वैश्विक स्तर पर अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। 1998 का गुजरात चक्रवात, 1999 का ओडिशा सुपर चक्रवात, 2013 की उत्तराखंड बाढ़ और हीटवेव जैसी कई घटनाओं ने भारत को वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में शीर्ष देशों में शामिल किया है।

सबसे अधिक प्रभावित देश
पिछले तीन दशकों में डोमिनिका सबसे अधिक प्रभावित देश था, उसके बाद म्यांमार, होंडुरास, लीबिया, हैती, ग्रेनाडा, फिलीपीन, निकारागुआ, भारत और बहामास का स्थान था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जर्मनवॉच की वरिष्ठ सलाहकार वेरा कुनजेल ने कहा, भारत, फिलीपन और हैती जैसे देश इतनी बार बाढ़, लू या तूफान से प्रभावित होते हैं कि एक आपदा से उबरने से पहले दूसरी आ जाती है। अगर नुकसान की भरपाई और अनुकूलन के लिए लंबी अवधि का सहयोग नहीं मिला, तो इन देशों के सामने चुनौतियों से पार पाना असंभव हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार, डोमिनिका, होंडुरास और लीबिया जैसे देश भी अत्यधिक जोखिम में हैं।

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