Chinnaswamy Stampede Case: आईपीएस विकास कुमार का निलंबन रद्द, सीएटी ने निलंबित अफसरों को दी बड़ी राहत
चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ मामले में निलंबित आईपीएस विकास कुमार को बड़ी राहत मिली है। सीएटी ने मंगलवार को उनका निलंबन रद्द कर दिया और सभी सेवा लाभ देने का आदेश दिया। सीएटी की तरफ से रोका हया ये निलंबन अन्य निलंबित अधिकारियों की बहाली का रास्ता भी खोल सकता है।
विस्तार
कर्नाटक के बंगलूरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर बीते चार जून को हुई भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद कर्नाटक सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास को निलंबित कर दिया था। लेकिन अब इस मामले में बड़ा मोड़ आया है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (सीएटी) ने मंगलवार को उनका निलंबन रद्द कर दिया। बता दें कि मामले में बंगलुरू बेंच के जस्टिस बीके श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य संतोश मेहरा की पीठ ने 24 जून को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया है। सीएटी ने विकास कुमार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें सेवा नियमों के तहत सभी लाभ मिलेंगे।
सीएटी ने निलंबन को बताया अवैध
आईपीएस अधिकारी विकास कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ध्यान चिन्नप्पा ने बताया कि सीएटी ने निलंबन को अवैध ठहराते हुए उसे रद्द कर दिया है और अधिकारी को सभी सेवा लाभ देने का निर्देश दिया है।सात ही सीएटी ने यह भी कहा कि इस फैसले का लाभ तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बी दयानंद और डीसीपी शेखर एच. टेप्पन्नावर को भी मिल सकता है, जिससे उनकी बहाली का रास्ता खुल गया है।
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आरसीबी की जीत के जश्न में मची भगदड़
गौरतलब है कि आरसीबी की जीत के जश्न में 4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आयोजित ‘विजय रैली’ में भारी भीड़ उमड़ी थी, जिससे भगदड़ मच गई और 11 लोगों की मौत हो गई थी। आरसीबी के सीईओ ने 3 जून को पुलिस कमिश्नर को ईमेल के जरिए कार्यक्रम की जानकारी दी थी, लेकिन पुलिस की तरफ से समय की कमी बताते हुए कोई औपचारिक जवाब नहीं भेजा गया।
सरकार का आरोप था कि पुलिस को भारी भीड़ की संभावना पहले से पता थी, फिर भी पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। न तो सार्वजनिक सूचना जारी की गई, न ही भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया। उच्च अधिकारियों से भी मार्गदर्शन नहीं लिया गया।
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राज्य सरकार ने पांच अधिकारियों को किया था निलंबित
इस घटना के बाद सरकार ने पांच अधिकारियों को निलंबित किया था, जिसमें बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद, एडिशनल कमिश्नर विकास कुमार विकास, डीसीपी शेखर एच. टेप्पन्नावर, एसीपी सी बालकृष्ण और इंस्पेक्टर ए. के. गिरीश के नाम शामिल था। रिपोर्ट के अनुसार तीनों आईपीएस अधिकारियों को अनुशासन और अपील के निमय 1969 के तहत निलंबित किया गया था, जबकि एसीपी और इंस्पेक्टर पर कर्नाटक पुलिस अनुशासन नियम 1965 के तहत कार्रवाई की गई थी। ऐसे में अब जब सीएटी ने विकास कुमार के निलंबन को रद्द कर दिया है, तो यह अन्य अधिकारियों के लिए भी राहत का संकेत माना जा रहा है।