Supreme Court: 'हमें अपने संविधान पर गर्व है', नेपाल और बांग्लादेश में अशांति के बीच बोले सीजेआई गवई
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। इस दौरान उन्होंने नेपाल-बांग्लादेश में फैली अशांति का जिक्र किया। साथ ही भारत की लोकतांत्रिक स्थिरता को सराहा। जस्टिस विक्रम नाथ ने भी इस बात पर सहमति जताई।
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। इस दौरान उन्होंने नेपाल-बांग्लादेश में फैली अशांति का जिक्र किया। साथ ही भारत की लोकतांत्रिक स्थिरता को सराहा। जस्टिस विक्रम नाथ ने भी इस बात पर सहमति जताई।

विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने भारत के आस-पड़ोस में फैली अशांति का हवाला देते हुए कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। ये बात सीजेआई गवई ने तब कही जब सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई एक अहम सुनवाई के दौरान भारत के पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल का जिक्र हुआ। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में बनी पांच जजों की संविधान पीठ राष्ट्रपति के पास भेजे गए एक संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी। मामला यह था कि क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति को विधानसभा से पास हुए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय-सीमा दी जा सकती है या नहीं।

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हमें अपने संविधान पर गर्व है- सीजेआई गवई
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। उन्होंने कहा कि देखिए, हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। इस बात पर इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि हां, बांग्लादेश में भी। बता दें कि इन टिप्पणियों के जरिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह इशारा किया कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाकी देशों की तुलना में कहीं अधिक स्थिर और सम्मानित है।
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नेपाल में अशांति से हाल बेहाल
गौरतलब है कि नेपाल में इन दिनों जेन जेड के द्वारा भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जो कि बड़े पैमाने पर हिंसक हो गए है। फलस्वरूप प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को जनता के गुस्से के चलते पद से इस्तीफा देना पड़ा, जब हजारों प्रदर्शनकारी उनके कार्यालय में घुस आए। ये प्रदर्शन भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ थे। पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 25 लोगों की मौत भी हो गई थी। ऐसा ही कुछ हाल पिछले साल बांग्लादेश का था। जब एक छात्रों के विरोध प्रदर्शन के साथ शुरू हुए आंदोलन ने देश की तख्त पलट कर रख दी थी।