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CJI प्रोटोकॉल मामला: शीर्ष कोर्ट ने खारिज की याचिका, सीजेआई गवई बोले- सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर की पीआईएल

,न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Fri, 23 May 2025 03:20 PM IST
सार

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका को खारिज करने से पहले कहा कि ऐसी याचिका कुछ और नहीं बल्कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई प्रचार हित याचिका है।

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CJI protocol case: Supreme Court dismissed PIL, Chief Justice says petition was filed for cheap popularity
जस्टिस बीआर गवई - फोटो : PTI
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विस्तार
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सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन मामले को लेकर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में याचिका डालने वाले शख्स पर 7000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जनहित याचिका (पीआईएल) भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के सीजेआई के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद अपने गृह राज्य महाराष्ट्र की पहली यात्रा के संबंध में प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर एक दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह याचिका केवल "पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन" है। जिसे "सस्ती लोकप्रियता" हासिल करने के लिए दायर किया गया है। इसके बाद पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।

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सीजेआई गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ता शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी पर 7,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करना होगा।त्रिपाठी सात वर्षों से वकालत के पेशे से जुड़े हुए हैं। गवई 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के बाद, 18 मई को महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई गये थे।

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प्रधान न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत होने के बाद महाराष्ट्र की पहली यात्रा के दौरान उनकी अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) या शहर के पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई थी। इसके बाद, संबंधित राज्य के अधिकारियों ने प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की और खेद जताया।याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा, एक मामूली मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए’’ और इस संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया।

जनहित याचिका में कहा गया था कि पदोन्नति के बाद, सीजेआई के रूप में राज्य के उनके पहले दौरे के दौरान, महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति आधिकारिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘यह महज प्रचार पाने के लिए दायर की गई याचिका है। आप अपना नाम अखबार में देखना चाहते हैं। बस इतना ही।’सीजेआई ने कहा, ‘इसे (याचिका को) जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है।’

पीठ ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस मुद्दे पर विराम लगाने को कहा है और यह एक मामूली मामला है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, तीनों अधिकारी मेरे जाने तक हवाई अड्डे पर ही थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी। उन्होंने कहा, एक प्रेस नोट भी जारी किया गया, जिसमें कहा गया था कि मुद्दे पर विराम लगा दिया जाए। यह किसी व्यक्ति विशेष का मामला नहीं है, बल्कि पद की गरिमा का मामला है। हमें राई का पहाड़ नहीं बनाना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि इस मामले को आगे बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा और इससे, हल हो चुके मुद्दे पर अनावश्यक ध्यान ही जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘सीजेआई के पद को अनावश्यक विवाद में न लाया जाए।

क्या है मामला?
प्रधान न्यायाधीश बनने के बाद जस्टिस बीआर गवई पहली बार महाराष्ट्र पहुंचे थे। 14 मई को शपथ लेने वाले सीजेआई गवई महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह के लिए मुंबई में थे। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त कोई भी उनके स्वागत के लिए मौजूद नहीं था। सीजेआई की टिप्पणी के कुछ घंटों बाद तीनों शीर्ष अधिकारी उस समय मौजूद रहे, जब सीजेआई गवई प्रतिष्ठित समाज सुधारक और भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार को श्रद्धांजलि देने के लिए दादर में बीआर अंबेडकर के अंतिम संस्कार स्थल चैत्यभूमि गए थे। 

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