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CP Radhakrishnan: कांग्रेस ने देश के नए उपराष्ट्रपति को दी बधाई, डॉ. राधाकृष्णन के आदर्शों को दिलाया याद

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 10 Sep 2025 12:37 PM IST
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सार

एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने पर कांग्रेस ने शुभकामनाएं दीं और पहले उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ऐतिहासिक शब्दों को याद किया। जयराम रमेश ने डॉ राधाकृष्णन के शब्दों को कोट करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को निष्पक्ष आलोचना की स्वतंत्रता न मिले तो वह तानाशाही में बदल सकता है।

Congress congratulated CP Radhakrishnan on becoming Vice President sent a reminder of impartiality
सीपी राधाकृष्णन, एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार - फोटो : ANI
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विस्तार
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उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत के साथ ही संसद में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। ऐसे में बुधवार को कांग्रेस ने सीपी राधाकृष्णन को जीत की बधाई दी। साथ ही पार्टी ने देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 1952 में राज्यसभा में कहे ऐतिहासिक शब्दों को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लोकतंत्र में विपक्ष को सरकार की नीतियों की निष्पक्ष, स्वतंत्र और स्पष्ट आलोचना करने की आजादी नहीं दी जाती, तो वह तानाशाही में बदल सकता है।

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कांग्रेस ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को शब्दों को किया याद
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम सीपी राधाकृष्णन को भारत के नए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बनने पर शुभकामनाएं देते हैं। इस मौके पर हम डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उन प्रेरणादायक शब्दों को याद करते हैं, जो उन्होंने 16 मई 1952 को राज्यसभा की पहली बैठक में कहे थे।

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रमेश ने आगे डॉ राधाकृष्णन के उन शब्दों को कोट किया, जिसमें  सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मैं किसी एक पार्टी का नहीं हूं, इसका मतलब है कि मैं इस सदन की हर पार्टी का हूं। मेरा प्रयास रहेगा कि मैं संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं को कायम रखूं और हर दल के साथ निष्पक्षता और सद्भाव से व्यवहार करूं, किसी से द्वेष नहीं और सभी के प्रति सद्भावना रखूं। इसके साथ ही जयराम रमेश ने यह भी जोड़ा डॉ राधाकृष्णन ने जो कहा, उसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से अपने आचरण में उतारा।

ये भी पढ़ें:- उपराष्ट्रपति के तौर पर क्या होंगी राधाकृष्णन की शक्तियां: कौन सी जिम्मेदारियां संभालेंगे, सुविधाएं-वेतन कितना?

विपक्ष ने इस जीत को बताया राजनीतिक हार

बता दें कि उप राष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। इस तरह राधाकृष्णन ने उम्मीद से ज्यादा अंतर से जीत हासिल की। हालांकि कांग्रेस ने इस जीत को सिर्फ गणितीय बताया। साथ ही दावा किया कि यह भाजपा की नैतिक और राजनीतिक हार है।

जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि विपक्ष इस चुनाव में पूरी तरह एकजुट रहा और उसका प्रदर्शन सम्मानजनक रहा। रेड्डी को कुल वोटों का 40% मिला, जबकि 2022 में विपक्ष को सिर्फ 26% वोट मिले थे। यह हमारी विचारधारा की लड़ाई की मजबूती को दिखाता है।

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डेरेक ओ ब्रायन - फोटो : पीटीआई

नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने दी ये सलाह
वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं। ओ ब्रायन ने उम्मीद जताई कि राधाकृष्णन विपक्ष की बात सुनेगें और लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करेंगे। डेरेक ने अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि नए उपराष्ट्रपति को शुभकामनाएं। उनके सामने जिम्मेदारी है कि राज्यसभा को निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह बनाएं।

ब्रायन ने दी अहम सलाह
ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्षी सांसदों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस देने का अधिकार है, लेकिन पिछले आठ वर्षों में इन नोटिसों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उन्होंने राज्यसभा के नियम 267 का जिक्र किया, जिसके तहत किसी जरूरी मुद्दे पर पूरे दिन का काम स्थगित कर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आठ वर्षों में एक भी चर्चा इस नियम के तहत नहीं हुई।

सांसदों के निलंबन और विरोध प्रदर्शन पर चिंता
इसके साथ ही टीएमसी सांसद ने दिसंबर 2023 में 146 सांसदों के निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के 10 वर्षों में केवल 50 सांसद ही निलंबित हुए थे। इसके अलावा, उन्होंने संसद टीवी पर सरकार का पक्ष दिखाए जाने और विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शनों को सेंसर करने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कैमरों में केवल सत्ता पक्ष दिखता है, क्या यह न्यायसंगत है?

विधेयकों पर कम चर्चा, समिति में भेजने की मांग
डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि अब बहुत कम विधेयक संसदीय समितियों को भेजे जाते हैं, जिससे कानूनों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि समितियों में विशेषज्ञों से राय लेकर बिलों को और बेहतर बनाया जा सकता है।

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