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SC: राष्ट्रीय उद्यानों-अभयारण्यों के 1 किमी के दायरे में खनन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया प्रतिबंध, जानें मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Thu, 13 Nov 2025 12:49 PM IST
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Supreme Court news and updates mining activities Captain Sumeet Sabharwal Elgar Parishad Case SC in hindi
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं से एक किलोमीटर के दायरे में सभी खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी गतिविधियां जंगल में रहने वाले जीवों के लिए हानिकारक हैं।
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चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच झारखंड के सरंडा वन्यजीव अभयारण्य (एसडब्ल्यूएल) और ससांगदाबुरू संरक्षण रिजर्व (एससीआर) से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही थी। जजों ने कहा, “इस न्यायालय का यह लगातार मत रहा है कि संरक्षित क्षेत्रों से एक किलोमीटर की दूरी के भीतर खनन गतिविधियां वन्यजीवों के लिए खतरनाक होंगी। गोवा फाउंडेशन मामले में ऐसे निर्देश गोवा राज्य के लिए दिए गए थे, लेकिन हम पाते हैं कि अब ऐसे निर्देश पूरे देश में लागू किए जाने चाहिए।”
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कोर्ट ने आदेश दिया कि अब राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के अंदर और उनकी सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी।” शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि संबंधित क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया जाए। साथ ही स्पष्ट किया कि क्षेत्र में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा वन अधिकार अधिनियम के तहत की जानी चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार को इस संबंध में व्यापक रूप से जनजागरूकता कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया गया।

इससे पहले, बेंच ने झारखंड सरकार से सरंडा क्षेत्र को आरक्षित वन घोषित करने पर निर्णय लेने के लिए कहा था। मामला पश्चिम सिंहभूम जिले के सरंडा और ससांगदाबुरू के पारिस्थितिक रूप से समृद्ध वन क्षेत्रों को क्रमशः वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षित रिजर्व घोषित करने के लंबित प्रस्ताव से जुड़ा था। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि उसने 31,468.25 हेक्टेयर के मूल प्रस्ताव की तुलना में अब 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने का प्रस्ताव रखा है।
 
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