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Delhi Car Blast: Diaries of Dr. Umar and Dr. Muzammil recovered, conspiracy codes decoded, big revelation.
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Delhi Car Blast: डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल की डायरी हाथ लगी, साजिश के कोड हुए डिकोड, बड़ा खुलासा।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 13 Nov 2025 01:09 PM IST
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जांच एजेंसी के सूत्रों ने यह खुलासा किया है।डॉक्टर उमर और डॉक्टर मुजम्मिल की डायरियां सुरक्षा एजेंसी के हाथ लगी हैं। जिससे अब दिल्ली धमाका के कई सवालों के जवाब मिलने की संभावना है। यह डायरी मंगलवार और बुधवार को अलफलाह यूनिवर्सिटी के कैंपस के अंदर डॉक्टर उमर के रूम नंबर चार और मुजम्मिल के रूम नंबर 13 से मिली हैं। इसके अलावा पुलिस को एक डायरी मुजम्मिल के उस कमरे से भी मिली है जहां से पुलिस ने धौज में 360 किलो विस्फोटक बरामद किया था और यह अलफलाह यूनिवर्सिटी से महज 300 मीटर की दूरी पर है। मिली डायरी और नोटबुक में कोड वर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है, जिनका रेफरेंस आठ से 12 नवंबर के तौर पर भी आ रहा है। सूत्रों की मानें तो डायरी के अंदर ऑपरेशन शब्द का कई बार इस्तेमाल किया गया है।दिल्ली बम धमाके और फरीदाबाद में मिले 2921 किलो विस्फोटक समेत आतंक की पूरी कहानी अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 के कमरा नंबर 13 में रची जा रही थी। तीसरी मंजिल पर स्थित ये कमरा यहां कार्यरत डॉ. मुज्जमिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब को अलॉट था। इसके बगल वाला कमरा दिल्ली धमाके में शामिल डॉ. उमर को अलॉट था, लेकिन उमर अपना कमरा छोड़कर मुज्जमिल के साथ ही रहता था।
यूनिवर्सिटी के सूत्रों ने बताया कि दोनों बीते कई माह से काफी अच्छे दोस्त थे। वे यूनिवर्सिटी परिसर में अधिकतर समय एक साथ बिताते थे और एक-दूसरे से ही चर्चाओं का दौर रखते थे। इनके कई अन्य दोस्त भी थे जो अक्सर इनके साथ देखे जाते रहे हैं। जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें तो दोनों बीते लगभग 3 महीने से आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अंसर गजावत-उल-हिंद के पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में थे। वे अक्सर अपने हैंडलर से बात करते थे। इसके चलते दोनों ही एक कमरे में अधिकतर समय रहते थे।यूनिवर्सिटी के सूत्र ने बताया कि सोमवार को एटीएस टीम ने लगभग 5 घंटे तक यूनिवर्सिटी परिसर में पूछताछ की। कार में सवार होकर एटीएस के कई लोगों की टीम यहां पहुंची। पहले ये सादे कपड़ों में थे और इनके साथ एक महिला भी थी। लगभग 2 घंटे तक इन्होंने यूनिवर्सिटी के छात्रों व स्टाफ से बातचीत करने के साथ ही पूछताछ भी की। इसमें सभी ने डॉ. मुज्जमिल और उसके साथियों के बारे में पूछा। बाद में टीम ने अपनी एटीएस की जैकेट पहनी और फिर तीसरी मंजिल पर डॉ. मुज्जमिल व उमर के कमरे का दरवाजा तोड़कर उसकी तलाशी ली। यहां टीम ने लगभग ढाई घंटे तक सामान खंगाला। इस दौरान यहां से काफी सामान टीम ने जब्त भी किया है। टीम ने यहां से जाने के दौरान भी छात्रों व स्टाफ को कहा कि पूछताछ में आप लोगों को सहयोग करना है ताकि अपराधी बच न सकें और बेकसूर लोगों को कोई परेशानी न हो।
आम भाषा में अमोनियम नाइट्रेट को खाद उर्वरक कहा जाता है। मगर इस उर्वरक ने कैसे दिल्ली को दहला दिया और कैसे विस्फोटक बना। यह सवाल सभी के जेहन में है। दरअसल इस उर्वरक ने इससे पहले भी तबाही मचाई है। अमेरिका में 1000 किलो अमोनियम नाइट्रेट से विस्फोट किया गया था जिसके टुकड़े धमाके के बाद आठवीं मंजिल तक गए थे। भारत में भी यूपी और महाराष्ट्र में इसका इस्तेमाल हो चुका है। स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लालकिला बम धमाका घटनास्थल से दो तरह के केमिकल और गंध होने के सबूत मिले हैं। ऐसे में अमोनियम नाइट्रेट के साथ अन्य विस्फोटक मिलाया गया है। सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर अमोनियम नाइट्रेट होता क्या है? क्या ये बम होता है या विस्फोटक होता है? और अगर ये विस्फोटक होता है तो इतनी बड़ी मात्रा में कैसे इसको स्टॉक कर के रखा गया था। अमोनियम नाइट्रेट ये असल में एक तरह का नमक होता है। नमक की तरह ही इसके सफेद क्रिस्टल होते हैं। इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर तो एक खाद के रूप में होता है। ये प्राकृतिक नहीं होता, मतलब इसको लैब में बनाया जाता है। नाइट्रेट वाले ज्यादतर केमिकल खाद के रूप में इस्तेमाल होते हैं, क्योंकि इनसे फसल को नाइट्रोजन मिलती है। हालांकि यह खुद विस्फोट करने में सक्षम नहीं है। इसमें कोई अन्य विस्फोटक पदार्थ मिलते ही यह ब्लास्ट को कई गुना घातक बना देता है।
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