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Sariska: 'पर्यावरण के लिए विनाशकारी होगा', सरिस्का टाइगर रिजर्व को लेकर केंद्र की योजना पर भड़के जयराम रमेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Sun, 29 Jun 2025 01:25 PM IST
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सार
जयराम रमेश ने लिखा कि 'सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा का फिर से निर्धारण होने वाला है। इससे बंद हो चुकी 50 खनन कंपनियां अपना परिचालन फिर से शुरू कर सकेंगी, लेकिन 50 खदानों (संगमरमर, डोलोमाइट, चूना पत्थर और मेसोनिक पत्थर) को फिर से खोलने का यह कदम बाघों के आवास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।'

टाइगर रिजर्व में बाघ
- फोटो : AI
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विस्तार
केंद्र सरकार ने राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं का फिर से पुनर्निधार्रण करने का प्रस्ताव पेश किया है। बाघ संरक्षण केंद्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण से सरिस्का में खनन का काम फिर से शुरू हो सकेगा। इसे लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की और चेताया कि यह कदम पर्यावरण के लिहाज से विनाशकारी साबित हो सकता है।
'सरिस्का में जीरो हो गई थी बाघों की संख्या'
सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में जयराम रमेश ने लिखा कि 'अलवर के निकट सरिस्का टाइगर रिजर्व पुनरुद्धार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अवैध शिकार नेटवर्क के कारण दिसंबर 2004 तक सरिस्का में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी। इसने पूरे देश में हलचल मचा दी और अप्रैल 2005 में टाइगर टास्क फोर्स का गठन किया गया तथा मई 2005 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में विभिन्न राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डनों के साथ डॉ. मनमोहन सिंह की बैठक हुई। इसके बाद दिसंबर 2005 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा जून 2007 में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो अस्तित्व में आया।'
ये भी पढ़ें- सीमा की रक्षा फिर प्रकृति के प्रहरी: रमेश खरमाले के हौसले ने बदल दी पहाड़ी की तकदीर, अब PM मोदी ने भी की तारीफ
'खनन का बाघों के आवास पर पड़ेगा प्रतिकूल असर'
कांग्रेस नेता ने लिखा कि 'इसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ-साथ सरिस्का में भी बाघों को स्थानांतरित करने की पहल की गई। कुछ विशेषज्ञों की ओर से संदेह जताने के बावजूद- और आज सरिस्का में बाघों की संख्या 48 के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है। लेकिन अब सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा का फिर से निर्धारण होने वाला है। इससे बंद हो चुकी 50 खनन कंपनियां अपना परिचालन फिर से शुरू कर सकेंगी। बाघ अभयारण्यों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी जरूरी है, लेकिन 50 खदानों (संगमरमर, डोलोमाइट, चूना पत्थर और मेसोनिक पत्थर) को फिर से खोलने का यह कदम बाघों के आवास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।'
जयराम रमेश ने चेताया कि 'बाघों के महत्वपूर्ण आवास को नष्ट कर दिया जाएगा। बफर क्षेत्र में उस नुकसान की भरपाई करना, सिर्फ कागजी समाधान है। यह विशेष रूप से बाघों की आबादी के लिए पारिस्थितिक रूप से विनाशकारी होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अलवर से हैं। राजस्थान के पर्यावरण मंत्री भी अलवर से हैं। सुप्रीम कोर्ट को ही इसमें दखल देना होगा क्योंकि उसके अपने निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है।'

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'खनन का बाघों के आवास पर पड़ेगा प्रतिकूल असर'
कांग्रेस नेता ने लिखा कि 'इसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ-साथ सरिस्का में भी बाघों को स्थानांतरित करने की पहल की गई। कुछ विशेषज्ञों की ओर से संदेह जताने के बावजूद- और आज सरिस्का में बाघों की संख्या 48 के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है। लेकिन अब सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा का फिर से निर्धारण होने वाला है। इससे बंद हो चुकी 50 खनन कंपनियां अपना परिचालन फिर से शुरू कर सकेंगी। बाघ अभयारण्यों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी जरूरी है, लेकिन 50 खदानों (संगमरमर, डोलोमाइट, चूना पत्थर और मेसोनिक पत्थर) को फिर से खोलने का यह कदम बाघों के आवास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।'
जयराम रमेश ने चेताया कि 'बाघों के महत्वपूर्ण आवास को नष्ट कर दिया जाएगा। बफर क्षेत्र में उस नुकसान की भरपाई करना, सिर्फ कागजी समाधान है। यह विशेष रूप से बाघों की आबादी के लिए पारिस्थितिक रूप से विनाशकारी होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अलवर से हैं। राजस्थान के पर्यावरण मंत्री भी अलवर से हैं। सुप्रीम कोर्ट को ही इसमें दखल देना होगा क्योंकि उसके अपने निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है।'
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