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SIR: कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने अमित शाह को लिखा पत्र, मटुआ समुदाय के लिए एसआईआर नियमों में छूट की मांग

पीटीआई, कोलकाता Published by: राहुल कुमार Updated Sat, 15 Nov 2025 07:46 PM IST
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Congress leader Adhir Ranjan writes to Amit Shah, seeking relaxation in SIR rules for Matua community
अधीर रंजन चौधरी - फोटो : एएनआई
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पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मटुआ समुदाय के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नियमों में ढील देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि समुदाय के लोगों को ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा जा रहा है, जो उनके पास कभी थे ही नहीं।

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अधीर रंजन ने दो पन्नों के अपने पत्र में लिखा कि मटुआ परिवार पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से निरंतर और निर्मम उत्पीड़न के कारण भारत आए थे। ऐसे में 25 साल पुराने कागजात मांगना क्रूर और अनुचित है। उन्होंने कहा कि 2002 की मतदाता सूची को एसआईआर का आधार वर्ष बनाया गया है, जबकि उस समय सूची में मटुआ समुदाय के कई नाम शामिल ही नहीं थे। 
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उन्होंने कहा कि वर्षों से मतदान करने और निर्वाचित प्रतिनिधि देने के बावजूद आज यह समुदाय अपने मताधिकार से वंचित किए जाने के डर में जी रहा है। हाल ही में अखिल भारतीय मटुआ महासंघ की ओर से किए गए अनिश्चितकालीन आमरण अनशन का उल्लेख करते हुए चौधरी ने कहा कि समुदाय ने अपनी पीड़ा और असुरक्षा उजागर करने के लिए यह कदम उठाया था। बाद में उनकी मांग पर विचार किए जाने के आश्वासन के बाद वे अनशन समाप्त करने को तैयार हुए। 

चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि दशकों से नागरिकता का आश्वासन दिए जाने के बावजूद वादे पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि मटुआ समुदाय को अवैध की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि वे धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए थे।

नागरिकता संशोधन कानून की तरह राहत देने की मांग
उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत प्रभावित लोगों के लिए कटऑफ तारीख बढ़ाने जैसे संशोधनों का हवाला देते हुए कहा कि मटुआ समुदाय के लिए भी इसी तरह की राहत दी जानी चाहिए। चौधरी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार चाहे तो शीतकालीन सत्र से पहले अध्यादेश लाकर इस मुद्दे पर स्पष्टता दे सकती है। अंत में उन्होंने मांग की कि केंद्र संवेदनशील रुख अपनाए, क्योंकि मटुआ समुदाय पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जातियों का सबसे बड़ा हिस्सा है और उन्हें बिना किसी भय या कठिनाई के अपने अधिकारों का उपयोग जारी रखने दिया जाना चाहिए।

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