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Sam Pitroda: सैम पित्रोदा के बिगड़े बोल- कहीं बिगाड़ न दे कांग्रेस का खेल, 2019 में बोले थे 'हुआ तो हुआ'

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 24 Apr 2024 02:40 PM IST
सार
पित्रोदा ने कहा, अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है। किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है। अगर वह व्यक्ति मर जाता है, तो उसमें से केवल 45 फीसदी संपत्ति ही उसके बच्चों को ट्रांसफर होगी। बाकी राज्य के पास चली जाएगी। पिछली बार की तरह, इस बार भी भाजपा, पित्रोदा के बयान को खूब भुना रही है।
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Congress Leader Sam Pitroda inheritence Tax Row Lok Sabha Election 2019 Hua to Hua comment drew criticism news
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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सैम पित्रोदा, कांग्रेस पार्टी में एक जाना माना चेहरा है। ऐसा नहीं है कि लोकसभा चुनाव में पहली बार उनके 'बोल बिगड़े' हैं। इससे पहले भी उनके 'बिगड़े बोल' ने कांग्रेस पार्टी की चुनावी राह को मुश्किल बनाया था। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात है। हरियाणा और पंजाब में वोट पड़ने थे, लेकिन उससे पहले सैम पित्रोदा ने एक ऐसा बयान दे दिया था, जिसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर खूब हमला किया। उनके बयान को चुनाव में भुनाया गया। सैम पित्रोदा ने चुनाव के बीच कहा था कि अब क्या है '1984' का। आपने पांच साल में क्या किया, अब उसकी बात करिए। 1984 में जो हुआ, वो हुआ। पित्रोदा ने यहां पर 1984 के दंगों को लेकर बयान दिया था। भाजपा में पीएम मोदी से लेकर निचले स्तर तक के कार्यकर्ता ने उस बयान को 'हुआ तो हुआ' नाम से लोगों के बीच पहुंचाया था। इस बार में चुनाव में भी पित्रोदा ने भाजपा के हाथ में एक बड़ा मुद्दा दे दिया है।


पित्रोदा ने कहा, अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है। किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है। अगर वह व्यक्ति मर जाता है, तो उसमें से केवल 45 फीसदी संपत्ति ही उसके बच्चों को ट्रांसफर होगी। बाकी राज्य के पास चली जाएगी। पिछली बार की तरह, इस बार भी भाजपा, पित्रोदा के बयान को खूब भुना रही है।


2019 के चुनाव में पित्रोदा का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी बैक फुट पर आ गई। लोकसभा चुनाव में राजनेताओं द्वारा की गई बयानबाजी कहीं वोटों का खेल न बिगाड़ दे, इसे ध्यान में रखकर नेताओं के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई। इसमें नेताओं की जुबान पर लगाम कसने के लिए कई बातें कही गई थीं। किस नेता को कब और कौन सा बयान देना है, यह सब एडवाइजरी का हिस्सा था। अगर कोई नेता किसी मुद्दे पर अपनी राय रखना चाहता है, तो उसे पहले पार्टी की मीडिया इकाई या किसी दूसरे वरिष्ठ नेता को बताना होगा। पित्रोदा के बयान के सियासी नुकसान को भांपते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सलाहकार सैम पित्रोदा ने 1984 दंगों पर जो बयान दिया है, वह पार्टी का बयान नहीं है।

उनके इस बयान को भुनाने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की एक रैली में कहा, कांग्रेस पार्टी आजकल न्याय की बात करने लगी है। इस पार्टी को 1984 के दंगों का हिसाब देना होगा। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, पित्रोदा का बयान हैरान करने वाला है। कोई भी इसकी उम्मीद नहीं कर सकता। पित्रोदा कहते हैं कि 1984 में नरसंहार हुआ तो क्या हुआ। देश में इस तरह का बयान स्वीकार्य नहीं है। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी सैम पित्रोदा के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। कांग्रेस पार्टी को यह बात समझने में देर नहीं लगी कि सैम पित्रोदा का बयान हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में वोटों का खेल बिगाड़ सकता है। 2019 में दिल्ली और हरियाणा में 12 मई को मतदान हुआ था।

कांग्रेस पार्टी नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, अगर कोई भी व्यक्ति इस तरह का गलत और किसी समुदाय को दुख पहुंचाने वाला बयान देता है तो उसे पार्टी का बयान नहीं माना जाएगा। कांग्रेस पार्टी, पित्रोदा के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती। भविष्य में इस तरह का कोई बयान पार्टी की ओर से न आए, इसके लिए एक एडवाइजरी जारी कर दी गई है। खासतौर से वे लोग, जिन्हें कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का कम अनुभव है या वे दूसरे दलों से आए हैं। सिख दंगों की कांग्रेस पार्टी कड़ी भर्त्सना करती है। दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी पहले भी प्रयास करती रही है और आगे भी जारी रखेगी।

सैम पित्रोदा ने इस मामले में 'एक्स' पर सफाई देते हुए लिखा, मैंने टीवी पर अपनी सामान्य बातचीत में केवल एक उदाहरण के तौर पर अमेरिका में अमेरिकी 'विरासत टैक्स' का उल्लेख किया था। मैंने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को चर्चा और बहस करनी होगी। इसका कांग्रेस समेत किसी भी पार्टी की नीति से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस पार्टी की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले रशीद किदवई कहते हैं, चुनाव के दौरान इस तरह के बयान, पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नेताओं को सोच समझकर बयान देना चाहिए। चुनाव में विरोधी दल, ऐसे बयानों की ताक में रहता है। आजकल मुद्दों की राजनीति करने का दौर नहीं है। सियासत में जो कोई बयान, जिस पार्टी को ठीक लगता है, वह उसे उठा लेता है। ऐसे में नेताओं को कोई बात या विचार रखते समय सावधानी बरतनी चाहिए। भाजपा ने इस मुद्दे को खूब भुनाया।

खुद पीएम ने अपनी रैलियों में कहा, जनता का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा। जिनके अधिक बच्चे हैं, उनमें आप लोगों की संपत्ति बांटी जाएगी। कांग्रेस नेता, जयराम रमेश ने कहा- सैम पित्रोदा मेरे सहित दुनिया भर में कई लोगों के गुरु, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने भारत के विकास में असंख्य, स्थायी योगदान दिया है। वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। सैम पित्रोदा उन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय व्यक्त करते हैं, जिनके बारे में वे दृढ़ता से महसूस करते हैं। वे लोकतंत्र में अपने व्यक्तिगत विचारों पर चर्चा करने, व्यक्त करने और बहस करने के लिए स्वतंत्र है। इसका मतलब यह नहीं है कि सैम पित्रोदा के विचार, हमेशा ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति को दर्शाते हैं। भाजपा उनके बयान पर कोशिश कर रही है कि उसे सनसनीखेज कैसे बनाया जाए।  
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