Congress: कर्नाटक में वीबी-जी राम जी और नेशनल हेराल्ड को लेकर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
सरकार ने मनरेगा को हटाकर वीबी-जी राम जी नाम से एक योजना लाने का बिल संसद में पेश किया है। इसे लेकर लगातार विपक्ष विरोध कर रहा है। अब कर्नाटक कांग्रेस भी इसे लेकर विरोध करने उतरी है।
विस्तार
कर्नाटक कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को बेलगावी के सुवर्ण सौधा में गांधी प्रतिमा के पास केंद्र सरकार के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर वीबी-जी राम जी करने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया। सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का बयान
विरोध प्रदर्शन के दौरान, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि नेशनल हेराल्ड भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा हुआ था। उन्होंने कहा, "नेशनल हेराल्ड देश का गौरव है, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू ने स्थापित किया था," और इस मामले में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर सवाल उठाया।
विरोध प्रदर्शन में मनरेगा का नाम बदलने के केंद्र के फैसले का भी विरोध हुआ, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मनरेगा को खत्म करने के महात्मा गांधी का अपमान बताया। साथ ही सामाजिक कल्याणकारी योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया।
‘भाजपा मनरेगा को पचा नहीं पाई’- मंत्री एम बी पाटिल
कर्नाटक के मंत्री एम बी पाटिल ने कहा, "महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं। यह एक सफल कार्यक्रम था जिसने स्थानीय रोजगार प्रदान किया, जिसे मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू किया गया था। भाजपा इसे पचा नहीं पाई और इसका नाम बदल दिया।"
भाजपा ने कांग्रेस को गांधी विरोधी कहा
कांग्रेस के विरोध को देखते हुए, कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालवडी नारायणस्वामी ने कहा, "हम गांधी के खिलाफ नहीं हैं। कांग्रेस गांधी के खिलाफ है क्योंकि गांधी ने कांग्रेस के लोगों से कहा था कि उन्हें स्वतंत्रता मिल गई है, इसलिए कांग्रेस संगठन को तुरंत भंग कर दें, क्योंकि यह कोई राजनीतिक दल नहीं है। वे ही गांधी के खिलाफ हैं।"
सरकार के नए बिल में क्या है?
लोकसभा में कृषि मंत्री द्वारा पेश किए गए विधेयक में ग्रामीण परिवार के प्रत्येक वयस्क सदस्य को 125 दिनों के वेतन रोजगार की गारंटी दी गई है, जो मौजूदा 100 दिनों से अधिक है, जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं। बिल के सेक्शन 22 के अनुसार, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न 60:40 होगा, जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) के लिए यह 90:10 होगा।
बिल का सेक्शन 6 राज्य सरकारों को एक फाइनेंशियल ईयर में कुल 60 दिनों की अवधि पहले से नोटिफाई करने की अनुमति देता है, जिसमें बुवाई और कटाई के मुख्य कृषि मौसम शामिल होंगे, जब बिल के तहत कोई काम शुरू या पूरा नहीं किया जाएगा।